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हमीरपुर के बीहड़ों में खुले लर्निंग सेंटर, किशोरियों के सपनों को लगे पंख
कोविड-19 ने एक समय स्कूलों के दरवाजे बंद कर दिए। इंटरनेट सेवाओं से दूर ग्रामीण इलाकों की बच्चियों का सारा दिन खेत-खलिहान और मवेशी चराने जैसे कामों में गुजरने लगा।
हमीरपुर: कोविड-19 ने एक समय स्कूलों के दरवाजे बंद कर दिए। इंटरनेट सेवाओं से दूर ग्रामीण इलाकों की बच्चियों का सारा दिन खेत-खलिहान और मवेशी चराने जैसे कामों में गुजरने लगा। ऐसे ही दौर में समर्थ फाउंडेशन और आरटीई फोरम ने संयुक्त रूप से जनपद के कुरारा और मौदहा ब्लाक के पांच-पांच गांवों में बच्चियों को पढ़ाने का बीड़ा उठाया और समुदाय के सहयोग से आरटीई लर्निंग सेंटर का संचालन शुरू किया। एक दिसंबर से शुरू हुए इन केंद्रों ने बच्चियों के सपनों को फिर से उड़ान दी। अब बच्चियां इन केंद्रों पर तीन से चार घंटे तक समय बिताती हैं और पठन-पाठन के साथ ही स्वास्थ्य जैसे मुद्दे पर अपनी समझ बढ़ा रही हैं।
स्कूल बंद से जिंदगी में आया ठहराव हुआ दूर
गहबरा गांव की सुरेखा बताती हैं कि जिस दिन स्कूलों की बंदी हुई उस दिन से उसकी दिनचर्या बदलनी शुरू हो गई। जो काम वह पढ़ाई की वजह से छोड़ चुकी थीं, वह फिर से उसके सामने आने लगे। लेकिन अब वह ज्यादा समय लर्निंग सेंटर में बिताती हैं। इसी गांव की कक्षा 6 की प्रीती कहती हैं कि स्कूल की बंदी के बाद पिता ने दुकान में बैठने को कहा। पढ़ाई ठप हो गई थी। दिसंबर माह में जैसे ही गांव में आईटीई लर्निंग सेंटर शुरू हुए, वैसे ही उसकी उम्मीदें जाग गई। अब उस पर काम का दबाव नहीं है।
इस सेंटर में उसे शिक्षा और स्वास्थ्य दोनों विषयों के बारे में जानकारी मिल जाती है। टोडरपुर गांव की कक्षा 7 की रागिनी और कक्षा 6 की नंदनी देवी भी आईटीई लर्निंग सेंटर के चलने से अपनी पढ़ाई को दोबारा पटरी पर ला सकी। रागिनी देवी का कहना है कि एक समय लगने लगा था कि सब कुछ ठप हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पढ़ाई के साथ स्वास्थ्य के विषयों पर नई-नई जानकारी मिल रही हैं।
प्रत्येक सेंटर में 40 बच्चियों का पंजीकरण
समर्थ फाउंडेशन के देवेंद्र गांधी ने बताया कि प्रत्येक स्कूल में 40 बच्चियों को प्रवेश दिया गया है। 20-20 बच्चियों के बैच बने हैं, जिन्हें एक दिन छोड़कर एक दिन सेंटर में पढ़ाया जाता है। प्रत्येक स्कूल में स्नातक डिग्रीधारक शिक्षक हैं, जिन्हें संस्था द्वारा मानदेय दिया जा रहा है। खासतौर पर अंग्रेजी और गणित जैसे विषयों की पढ़ाई कराई जा रही है। स्कूली कोर्स के मद्देनजर भी बच्चियों को पढ़ाया जा रहा है।
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स्वास्थ्य को लेकर केंद्रों पर लगवाए शिविर
देवेंद्र गांधी ने बताया कि समय-समय पर राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) टीम के द्वारा बच्चियों की काउंसिलिंग कराई जाती है। इनके स्वास्थ्य परीक्षण कराए जा रहे हैं, साथ ही उन्हें माहवारी प्रबंधन, एनीमिया जैसी समस्याओं से निपटने की जानकारी दी जाती है। इससे बच्चियों में जागरूकता बढ़ रही है। एनीमिया ग्रसित बच्चियों ने खानपान में बदलाव कर अच्छे नतीजे प्राप्त किए हैं। एनीमिया ग्रसित बच्चियों को फोलिक एसिड की गोलियां भी निगरानी में खिलाई जाती हैं। केंद्रों पर एक दिन बच्चियों के अभिभावकों को बुलाकर परिवार नियोजन से जुड़ी जानकारी दी जाती है और इच्छुक लोगों को अस्थाई साधन भी मुहैया कराए जाते हैं। संस्था का उद्देश्य है कि कोरोना काल में शिक्षा से वंचित बच्चियों में पढ़ाई के प्रति रुझान कम न हो और वह अपने स्वास्थ्य को लेकर भी जागरूक रहें।
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संकट में रोजगार मिलने की खुशी
कुरारा ब्लाक के चंदूपुर गांव में पढ़ाने वाली राधा, सिकरोढ़ी गांव के गोपाल,् खरौंज के लवलेश, कुतुबपुर के इसरार और टोडरपुर की मंजूलता, मौदहा ब्लाक के खैरी गांव में पढ़ाने वाले नवनीत, लरौंद की पूजा, गहबरा के ब्रजेश, छिरका के रामगोपाल, छोटा लेवा की सरोजलता सभी का कहना है कि इन केंद्रों पर पढ़ाने से उन्हें भी इस संकट में रोजगार मिल गया। लॉकडाउन के बाद से स्कूलों की बंदी से जॉब चली गई थी, आर्थिक स्थिति प्रभावित हो रही थी।
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उद्देश्य- शिक्षा और बेहतर स्वास्थ्य
आरटीई फोरम की कार्यक्रम अधिकारी सृजिता मजूमदार बताती हैं कि हमारा उद्देश्य बच्चियों की बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य है। इसी दिशा में फोरम लगातार कार्य कर रहा है। कोरोना की वजह से स्कूलों की बंदी का समय जब लंबा खिचा तब फोरम ने हमीरपुर के मौदहा और कुरारा ब्लाक के दस गांवों में इंटरनेट सेवाओं से वंचित गरीब परिवारों की बच्चियों के लिए आरटीई लर्निंग सेंटर खोले। सभी केंद्रों पर बच्चियों की शिक्षा और स्वास्थ्य पर कार्य किया जा रहा है, जिसके नतीजे भी अच्छे आ रहे हैं।
रिपोर्ट- रविंद्र सिंह