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हाथरस केस: जिलाधिकारी पर कार्रवाई न होने से खड़े हुए सवाल

हाथरस में बड़े एक्शन को लेकर पहले रिपोर्ट आई कि एसपी विक्रांत वीर के साथ ही डीएम प्रवीण कुमार को भी सस्पेंड कर दिया गया है, लेकिन बाद में कहा गया कि डीएम के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गयी है।

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Published on: 2 Oct 2020 10:04 PM IST
हाथरस केस: जिलाधिकारी पर कार्रवाई न होने से खड़े हुए सवाल
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एसपी विक्रांत वीर के साथ ही डीएम प्रवीण कुमार को भी सस्पेंड कर दिया गया है, लेकिन बाद में कहा गया कि डीएम के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गयी है।

लखनऊ: हाथरस कांड पर योगी सरकार ने देर शाम दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ तो बड़ा एक्शन ले लिया, लेकिन डीएम प्रवीण कुमार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। इसे लेकर सत्ता के गलियारों में सवाल उठ रहे हैं। इसके पहले भी योगी सरकार में पुलिस अधिकारियों के खिलाफ तो कार्रवाई होती रही है पर डीएम को बचाया जाता रहा है।

हाथरस में बड़े एक्शन को लेकर पहले रिपोर्ट आई कि एसपी विक्रांत वीर के साथ ही डीएम प्रवीण कुमार को भी सस्पेंड कर दिया गया है, लेकिन बाद में कहा गया कि डीएम के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गयी है।

इस बारे में शासन सूत्रों का कहना है कि डीएम के खिलाफ अंतिम समय पर आदेश को रोक लिया गया, लेकिन हाथरस के एसपी विक्रांत वीर सिंह, क्षेत्राधिकारी राम शब्द, इंस्पेक्टर दिनेश कुमार वर्मा, सब इंस्पेक्टर जगवीर सिंह और हेड मोहर्रिर महेश पाल को निलंबित कर दिया गया है। सवाल इस बात का है कि जब पूरे मामले में हाथरस के जिलाधिकारी प्रवीण कुमार की कार्यशैली पर सवाल उठते रहे हों तो ऐसे में उन पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गयी।

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जिलाधिकारी प्रवीण कुमार पर गैंगरेप पीड़िता के परिवार ने धमकाने और दबाव डालने का आरोप भी लगाया था। इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। यहां यह बताना जरूरी है कि इस कांड में गैंगरेप के बाद आरोपियों ने युवती का गला दबाया जिससे उसकी रीढ़ की हड्डी भी तोड़ दी थी। वारदात के बाद वह एक हफ्ते से ज्यादा बेहोश रही थी।

DM Praveen Kumar पीड़ित के परिजन से बात करते जिलाधिकारी प्रवीण कुमार (फोटो: सोशल मीडिया)

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हालत खराब होने के बाद किशोरी को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल ले जाया गया, जहां 29 सितम्बर को उसकी मौत हो गयी। मीडिया के साथ हुए दुर्व्यवहार पर भी डीएम की भूमिका को ही जिम्मेदार बताया जा रहा है। फिर भी इस जिम्मेदार अधिकारी पर कार्रवाई न होना एक बड़ा सवाल है। स्थानीय प्रशासन की इसी चूक को लेकर विपक्षी दल लगातार योगी सरकार को घेरने का काम कर रहे थे।

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