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गांवों को आत्मनिर्भर बनाना है तो सरकार को खुद करना होगा ये काम
देश के प्रधानमंत्री जी चाहे जितना दावा करें और आत्मनिर्भर होने की बात करें लेकिन ग्रामीण क्षेत्र तब तक आत्मनिर्भर नहीं हो सकेगा जब तक गांवों में लघु एवं सीमान्त उद्योगों की स्थापना नहीं होगी।
जौनपुर: देश के प्रधानमंत्री जी चाहे जितना दावा करें और आत्मनिर्भर होने की बात करें लेकिन ग्रामीण क्षेत्र तब तक आत्मनिर्भर नहीं हो सकेगा जब तक गांवों में लघु एवं सीमान्त उद्योगों की स्थापना नहीं होगी। इसके लिये बैंकों को अपनी नियमावलियों को सरल करते हुए ग्रामीण जनों को आर्थिक सहायता बतौर ऋण कम ब्याज पर दिये जाने की व्यवस्था सरकार को करानी पड़ेगी। साथ ही सरलता पूर्वक कच्चा माल मिलने का उपाय सरकार को करना पड़ेगा तब गांव में आत्मनिर्भरता संभव हो सकेगी।
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सड़कों की दशा ऐसी
इस संदर्भ में विकास खण्ड सिरकोनी क्षेत्र स्थित ग्राम सुल्तानपुर निवासी शम्भू नाथ सिंह से बात किया। उन्होंने कहा कि गांव को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार गांव को चाहिए कि उद्योग एवं रोजगार के साधनों से जोड़े, जहां तक सोलर लाइट का सवाल है तो जनप्रतिनिधिगण गांव प्रकाशित करने के बजाय अपने चाटुकारों को इसका लाभ देने में मशगूल नजर आ रहे हैं। सड़कों की दशा यह है कि आज भी सड़कें 60 से70 प्रतिशत जर्जर स्थिति में हैं। इनका मानना है कि गांव के लोगों को जीविका चलाने के लिये शहरों की ओर रुख करना मजबूरी है।
शम्भू नाथ सिंह, ग्रामीण
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10-12 घंटे भी बिजली मिलना मुश्किल
इसी विकास खण्ड के ग्राम सादीपुर सिरकोनी निवासी उदय प्रताप सिंह ने बताया कि आजादी के 70 सालों बाद आज भी गांव की जनता कृषि पर आश्रित है। कृषि से किसान किसी तरह पेट भर तो सकता है लेकिन तरक्की नहीं कर सकता है। न बच्चों को अच्छी शिक्षा दिला सकता है, न ही अपने स्वास्थ्य आदि को ठीक रख सकेगा। सरकारें दावा तो बहुत करती हैं लेकिन ग्रामीण इलाकों में आज भी बिजली 10 -12 घन्टे से अधिक नहीं मिलती है। उद्योग आदि के लिए पर्याप्त बिजली चाहिए वह मिल नहीं रही है। जल का संकट हमेशा बना रहता है। सबसे बड़ी बात यह है कि गांव आधारित उद्योगों को विकसित करने के लिए सरकारी तंत्र कभी प्रयास करता ही नहीं है।
उदय प्रताप सिंह, ग्रामीण
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बिजली बिल के नाम पर दोहन
विकास खण्ड मड़ियाहू क्षेत्र स्थित ग्राम कनावां निवासी कौशल पाण्डेय ने बताया कि सरकार जब तक नहीं चाहेगी, गांव जहां हैं, वहीं पड़े रहेंगे। ग्रामीण इलाकों में आज भी समस्याओं का अम्बार लगा हुआ है। पानी, बिजली, सड़क आदि समस्याएं सुरसा की तरह मुंह फैलाए खड़ी हैं। सरकारें केवल भाषण दे कर सस्ती लोकप्रियता हासिल करती हैं। प्रधानमंत्री जी का आत्मनिर्भर बनाने का आह्वान मात्र छलावा है। लॉकडाउन अवधि में पूरे देश की अर्थ व्यवस्था प्रभावित हुईं लेकिन बिजली विभाग ग्रामीण जनों को बिजली तो कम दिया लेकिन बिल के नाम पर किसानों का दोहन किया जा रहा है। किसान हित में सरकार को बिजली बिल माफ करना चाहिए लेकिन सरकार का ध्यान नहीं है, ऐसे में गांव कैसे आत्मनिर्भर बन सकेगा।
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जनप्रतिनिधि ही गंभीर नहीं
विकास खण्ड धर्मापुर के ग्राम पिलखिनी निवासी शिववंश सिंह से इस मसले पर चर्चा किया तो उन्होंने भी कहा कि जब तक सरकार गांवों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए खुद अग्रणी भूमिका नहीं निभायेगी तब तक ग्रामीण क्षेत्रों को आत्मनिर्भर बनाने का नारा बेमानी साबित होगा। हमारी सरकारें विकास का दावा तो करती है। उस पर अमल नहीं करती हैं। सोलर के सवाल पर कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में सोलर लाइट लगाने के प्रति न जनप्रतिनिधि गम्भीर है और न ही सरकारी तंत्र गांव की जनता अपने रोटी की व्यवस्था में परेशान है। बिजली न रहने पर गांव में घुप अंधेरा रहता है।
शिववंश सिंह, ग्रामीण
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छुट्टा जानवरों का कोई प्रबंध नहीं
विकास खण्ड धर्मापुर के ग्राम भदेवरा निवासी महेन्द्र सिंह से इन मुद्दों पर बात करने पर उनका भी जबाब मिला कि गांवों में जब तक कल कारखाने लगने की व्यवस्था सरकार नहीं करेगी। तब तक गांवों के विकास की कल्पना करना केवल दिवास्वप्न के समान होगा। इन्होंने कहा कि किसान खेती करता है। फसलें बर्बाद हो रही हैं। छुट्टा जानवरों का आतंक इतना है कि फसलें बर्बाद हो रही हैं। किसान जानवरों के भय से अब खेती से परहेज करने लगे हैं। ऐसे में किसान गांव से कैसे मजबूत हो सकेगा। उसे अपनी जीविका को चलाने के लिए शहर की शरण में जाना ही पड़ता है।
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उत्पादन के खपत की व्यवस्था करनी होगी
इन मुद्दों को लेकर सुशील कुमार स्वामी से वार्ता करने पर इनका मत था कि गांव को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ग्रामीण इलाकों में कुटीर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार को पहल करनी पड़ेगी साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों के उत्पादन के खपत की व्यवस्था करनी पड़ेगी तब गांव में आत्मनिर्भरता संभव हो सकेगी। शहरों की तरह गांवों को बिजली पानी सड़क से आच्छादित करने की जरूरत है। फ्री का खाद्यान बांटने से गांवों का विकास नहीं हो सकता है।
सुशील कुमार स्वामी, ग्रामीण
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रिपोर्ट : कपिल देव मौर्य