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अब दुल्हन को नहीं मिलेगा बेड और सोफा! कोरोना काल में फैक्ट्रियां कर रहीं ये काम
वर्तमान में सरकारी अस्पताल और नर्सिंग होम में सर्वाधिक दिक्कत स्पेस की है। कोरोना संक्रिमतों को पास-पास रखना संभव नहीं है।
गोरखपुर: कोरोना ने बाजार में जहां नये उत्पाद उतारने को मजबूर किया है, तो वहीं फैक्ट्रियों के अंदर की तस्वीर भी बदल गई है। गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) में फर्नीचर बनाने वाली फैक्ट्री में अब विवाह के लिए बेड, सोफा नहीं बन रहा है। न ही कार्यालयों की जरूरतों के समान। बदले हालात में यहाँ कोरोना से लड़ने वाले उत्पादों पर काम हो रहा है।
मैनेजमेंट की पढ़ाई करने के बाद उद्यमी बने डॉ.आरिफ साबिर फिलहाल पूरी ताकत कोरोना से लड़ाई में इस्तेमाल होने वाले उत्पादों पर लगा दी है। इस फैक्ट्री में कान्टेक्ट लेस सैनिटाइजर मशीन और कान्टेक्ट लेस कैश काउंटर के साथ ही अब कान्टेक्ट लेस आइसोलेशन बेड का उत्पादन शुरू हो गया है। फैक्ट्री के निदेशक कहते हैं कि जर्मनी और इटली के अत्याधुनिक मशीनों से सिर्फ दस दिन में 5000 से अधिक आइसोलेशन बेड तैयार हो जाएंगे।
कोरोना से लड़ाई के लिए ही उत्पाद बन रहे
पूर्वांचल में फर्नीचर बनाने वाली अग्रणी फैक्ट्री में शुमार डैक फर्नीचर में अब कोरोना से लड़ाई के लिए ही उत्पाद बन रहे हैं। कोरोना संक्रमितों की बढ़ती संख्या को देखते हुए उद्यमी ने कांटेक्ट लेस आइसोलेशन बेड की डिजाइन तैयार किया है। सर्फ 144 वर्ग फीट के छोटे से कमरे में कांटेक्ट लेस आइसोलेशन बेड पर चार लोगों का इलाज हो सकता है। ऐसे ही बेड का इस्तेमाल अमेरिका से लेकर जर्मनी में हो चुका है। प्रदेश में कोरोना संक्रमितों की बढ़ती संख्या को देखते हुए निजी से लेकर सरकारी अस्पतालों में आइसोलेशन बेड की मांग बढ़ रही है। खुद मुख्यमंत्री ने प्रदेश में 25 हज़ार आइसोलेशन बेड की जरूरत बताई है।
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कोरोना संक्रिमतों को पास-पास रखना संभव नहीं
वर्तमान में सरकारी अस्पताल और नर्सिंग होम में सर्वाधिक दिक्कत स्पेस की है। कोरोना संक्रिमतों को पास-पास रखना संभव नहीं है। फैक्ट्री के निदेशक डॉ.आरिफ साबिर ने बताया कि चिकित्सकों की सलाह से कान्टेक्ट लेस बेड तैयार किया गया है। ऐसी ही डिजाइन अमेरिका और जर्मनी में प्रयोग में लाई गई है। सिर्फ 144 वर्ग मीटर के छोटी सी जगह में चार मरीजों को एक साथ रखा जा सकता है। मरीज एक-दूसरे के संपर्क में भी नहीं आएंगे और चिकित्सक भी राउंड के समय उन्हें आसानी से देख सकेंगे। बेड में वेंटीलेटर से लेकर सभी जरूरी चिकित्सा उपकरणों को आसानी से रखा जा सकता है। बेड के बीच छह फीट लकड़ी की दीवार से मरीज एक दूसरे के संपर्क में नहीं आएंगे।
20 से 22 हज़ार में तैयार हो रहा आइसोलेशन बेड
डॉ.आरिफ बताते हैं कि चार बेड की अनुमानित लागत 20 से 22 हजार रुपये आ रही है। चिकित्सा विभाग से जुड़े सभी जिम्मेदारों को बेड की डिजाइन भेजी जा रही है। बेड को लेकर निजी या सरकारी आर्डर मिलता है तो जर्मनी और इटली की अत्याधुनिक मशीनों से काफी कम दिनों में काफी बेड तैयार हो जाएंगे। पांच हजार बेड तैयार करने में बमुश्किल 10 से 12 दिन लगेंगे।
आरिफ का कहना है कि कोरोना संकट में विशेष तौर पर ये डिजाइन की गई है। आर्डर मिले तो बिना मुनाफे के सप्लाई करेंगे। उद्यमी बताते हैं कि वैवाहिक सीजन गुजर चुका है। ऐसे में सोफा, बेड, आलमारी आदि की डिमांड है नहीं। लोग लग्जरी आइटम खरीदने से बच भी रहे हैं। इसलिए ऐसा उत्पाद बनाया है जो लोगों को कोरोना से जंग में मदद करेगा। काफी कम कीमत रखी गई है। इस उत्पाद से हमारा लक्ष्य लोगों को सुरक्षित करना है। मुनाफा कमाना नहीं।
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एक लाख कांटेक्टलेस सैनिटाइजर स्टैंड की हो चुकी है बिक्री
फैक्ट्री में अप्रैल महीने में ही लकड़ी का ऐसा सैनिटाइजर बनाया था, जिसमें हाथ लगाने की जरूरत नहीं होती है। महज 1000 से 1200 रुपये में बिक रहे इस उत्पाद की मांग देश के विभिन्न महानगरों में है। स्थिति यह है कि फैक्ट्री लोगों की डिमांड पूरी नहीं कर पा रहा है। अभी तक एक लाख से अधिक कान्टेक्ट लेस सैनिटाइजर स्टैंड की बिक्री हो चुकी है।
इसी तरह कैश काउंटर पर दुकानदार की सुरक्षा को लेकर भी बनाया गया यह उत्पाद खूब पसंद किया जा रहा है। इसमें ग्राहक और दुकानदार का कैश लेनदेन के समय किसी प्रकार का संपर्क नहीं होता है। फैक्ट्री मालिक ने एक ऐसा उत्पाद बनाया है जिससे किसी भी दरवाजे को खोलने के लिए हाथ की जरूरत नहीं होगी। कोल्डड्रिंक ओपनर की तरह यह उत्पाद मार्केट में आ चुका है।
रिपोर्टर- पूर्णिमा श्रीवास्तव, गोरखपुर
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