×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

हमारी संस्कृति के कारण भारत को विश्व गुरु का स्थान मिला: गिरीश चंद्र त्रिपाठी

गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने कहा कि शिक्षा को सिर्फ नौकरी का साधन ही नहीं बल्कि उसको विकास का साधन माना जाना चाहिए। शिक्षा का उद्देश्य अर्थोपार्जन ही नहीं है बल्कि संस्कारवान, देशभक्ति, सामर्थ्यवान व्यक्तियों का निर्माण है।

Dharmendra kumar
Published on: 1 March 2021 10:48 PM IST
हमारी संस्कृति के कारण भारत को विश्व गुरु का स्थान मिला: गिरीश चंद्र त्रिपाठी
X
गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने कहा कि शिक्षा को सिर्फ नौकरी का साधन ही नहीं बल्कि उसको विकास का साधन माना जाना चाहिए। शिक्षा का उद्देश्य अर्थोपार्जन ही नहीं है।

लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एसबी सिंह सभागार में सोमवार को नई शिक्षा नीति को लेकर भाउराव देवरस की शैक्षिक चिंतन की प्रासंगिकता पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता यूपी उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष और पूर्व कुलपति, बीएचयू प्रोफेसर गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने कहा कि शिक्षा संस्कृति के रूप में महत्वपूर्ण होती है।

उन्होंने कहा कि राष्ट्र का निर्माण सामर्थ्यवान, संस्कारवान, देशभक्त लोग करते हैं जो कि शिक्षा से संभव है। हमारी संस्कृति में हमारी शिक्षा परिलक्षित होनी चाहिए। हमारी संस्कृति के कारण भारत को विश्व गुरु का स्थान प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि पराधीन का असर शिक्षा पर पड़ा।

गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने कहा कि शिक्षा को सिर्फ नौकरी का साधन ही नहीं बल्कि उसको विकास का साधन माना जाना चाहिए। शिक्षा का उद्देश्य अर्थोपार्जन ही नहीं है बल्कि संस्कारवान, देशभक्ति, सामर्थ्यवान व्यक्तियों का निर्माण है। शिक्षा का उद्देश्य अधिकारबोध से अधिक कर्तव्यबोध करना है।

ये भी पढ़ें...अटल मेडिकल यूनिवर्सिटी जल्द होगा तैयार, 60 नर्सिंग कॉलेजों को मिले सहमति पत्र

उन्होंने कहा कि शिक्षा नीति की विशेषता यह है कि मूल पर संस्कृति का विचार प्रतिष्ठित है। नई शिक्षा नीति सामर्थ्य के निर्माण को समाहित किया है जो कि भाउराव जी के विचार थे। शिक्षा के माध्यम से विद्यार्थी के प्रतिभा को पहचान कर निष्कर्ष कर निष्कर्ष तक पहुंचना नई शिक्षा नीति के अंतर्गत है।

Lucknow

''जीसी त्रिपाठी को भाउराव जी के साथ काम करने का मौका मिला''

तो वहीं विषय प्रवर्तक प्रोफेसर एसके द्विवेदी(विषय प्रवर्तक) भारतीय शोध संस्थान के उपाध्यक्ष ने कहा कि प्रोफेसर जीसी त्रिपाठी को भाउराव जी के साथ काम करने का मौका मिला। भाउराव जी की सोच विस्तृत थी समाज कल्याण को ही उन्होंने जीवन का उद्देश्य बताया। उन्होंने कहा कि भाउराव जी का जीवन सरल व साधारण था। उन्होंने ने भाउराव जी की सरलता पर घटनाक्रम का वर्णन किया कि किस प्रकार वह साधारण जीवन व्यतीत करते थे।

ये भी पढ़ें...बंगाल में योगी की ललकार, हिन्दू मतों का ध्रुवीकरण करेंगे यूपी के सीएम

एसके द्विवेदी ने कहा कि शिक्षा अध्ययन के लिए कार्य किया। उनका मानना था कि शिक्षा व्यक्ति के आचरण को विशेष बनाती है। वर्तमान शिक्षा प्रणाली पर चर्चा करते हुए पांच दोष- काम, क्रोध, मद, लोभ, मकसद। शिक्षा ही मनुष्य को अंधकार से प्रकाश की ले जाती है।

भाउराव शिक्षा पद्धित निर्धारण के 5 चरण हैं

1- नैमिषारणय

2-लोकमत परिषकार

3-परिवार की भूमिका

4-शिक्षक 'शिक्षक मशीन रही मिशनरी है।

5-विद्यालय

उन्होंने कहा कि विद्यालय लोक सहायता से चलते हैं। भाउराव जी ने लोक सहायता का शिक्षा क्षेत्र में महत्व बताया। भाउराव जी ने राधाकृष्णन की विचारों को महत्वपूर्ण बताया है। शिक्षा का उद्देश्य मानव का विकास है। शिक्षक दायित्व निरंतर अध्ययन शील रहना है। पुन: बताया कि शिक्षा के महत्वपूर्ण पक्ष अनौपचारिक पक्ष हैं।

-सरस्वती संस्कार केंद्र

-एक शिक्षा केंद्र

ये भी पढ़ें...पत्नी की हत्या कर साधू बना पति, झांसी पुलिस को 3 साल से तलाश, अब लगा हाथ

द्विवेदी ने कहा कि भाउराव जी ने वनवासी संदेश में एकल शिक्षण केंद्र की स्थापना की। शिक्षा का गरीब वर्ग तक पहुंचना आवश्यक है। नई शिक्षा नीति से व्यापक है भाउराव जी के विचार। शिक्षा का उद्देश्य मनुष्य बनाना व आचरण का विकास है। भाउराव जी के विचार प्रासंगिक हैं और उन्हें अपनाए जाने की आवश्यकता है।

कार्यक्रम में आए वक्ताओं और अतिथियों का प्रोफेसर अवधेश त्रिपाठी, विभागाध्यक्ष वाणिज्य विभाग ने धन्यबा किया, तो भाउराव देवरस शोधपीठ के निदेशक प्रोफेसर सोमेश कुमार शुक्ला ने स्वागत किया।

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।



\
Dharmendra kumar

Dharmendra kumar

Next Story