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कोरोना संकट के बीच नाबार्ड ने दी अहम सलाह, घरेलू उद्योगों पर कही ये बात
लॉकडाउन के द्वितीय चरण में जलागम विकास समिति के माध्यम से उपमान महिला संस्थान ने टी.एच.डी.सी. के सहयोग से 200 आदिवासी परिवारों को एक-एक माह का राशन वितरण किया। बढ़ते लॉकडाउन में मेघराज, दशरथ, रामनिवास, मेवालाल, राजा आदि किसानों को मछली पालन कराया जा रहा है।
झाँसी। आज प्रवासी मजदूरों के समक्ष कोविड-19 से महामारी के प्रभाव से जीवनयापन की समस्या बढ़ती जा रही है, वहीं दूसरी ओर देश के उद्योग मजदूरों के अभाव में साँसे ले रहे हैं, ऐसे समय में ‘‘नाबार्ड‘‘ के सहयोग से उपमान महिला संस्थान के नेतृत्व में बनी ‘जलागम विकास समितियों‘ ने रणनीति बनाकर गांव में ही काम और मजदूरी की योजना तैयार की।
कई मजदूरों को कार्यों से जोड़ा गया
प्रवासी मजदूर वापस परदेश न जाये इसलिये उन्होंने गांव में जल संरक्षण हेतु खेतों पर बंधीकरण, नालों की गहराई, लूज बोल्डर, गेवियन, गली प्लग, अर्थन बिग बन्ड जैसे कामों को वरीयता पर करना तय किया और 1015 मानव श्रम दिवस सृजित कर कार्य कराया। इतना ही नहीं गांव में नरेन्द्र, केशर, वीरसिंह, कैलाश, नरेश, रामजी, तखतसिंह, श्रीमती किरण, ज्योति, संध्या, रागिनी, रामकुवंर, मोहनलाल, सतीश, कालीचरण, रितिक, फूलसिंह, लक्ष्मी देवी, मीना आदि को बकरी, मुर्गी पालन, स्टेशनरी, साईकिल रिपेयरिंग, किराना, जलपान आदि कार्यों से जोड़ा व स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को सिलाई मशीन देकर आय वृद्वि की।
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200 आदिवासी परिवारों को दिया एक माह का राशन
लॉकडाउन के द्वितीय चरण में जलागम विकास समिति के माध्यम से उपमान महिला संस्थान ने टी.एच.डी.सी. के सहयोग से 200 आदिवासी परिवारों को एक-एक माह का राशन वितरण किया। बढ़ते लॉकडाउन में मेघराज, दशरथ, रामनिवास, मेवालाल, राजा आदि किसानों को मछली पालन कराया जा रहा है। इससे पूर्व इन किसानों ने कभी भी मछली पालन की ओर सोचा भी नहीं था। इसमें बबीना पीएनबी के बैंक मैनेजर प्रेमलाल व ग्रामीण बैंक के मैनेजर रामघाट पाल ने प्रोत्साहित किया तथा उपमान महिला संस्थान द्वारा नामित कृषकों/मजदूरों को छोटे-छोटे उद्योगों को स्थापित करने हेतु ऋण प्रदान करने का आश्वासन दिया।
संस्था की निदेशक डॉ. ममता जैन, शैली गंगेले, काजल अहिरवार, हरदेव सिंह, वी.डब्ल्यू.सी. अध्यक्ष सोहन सिंह, आत्माराम राजपूत, राजेश राजपूत ने गाँव के युवाओं को ‘‘आरोग्य सेतु‘ एप के प्रयोग की विधि समझाई। सामाजिक दूरी, हाँथ धोने , साफ-सफाई के तौर तरीके बताये। परिणामस्वरूप कोई भी पॉजिटिव केस नहीं है जबकि 75 से अधिक प्रवासी मजदूर गाँवों में लौटे हैं।
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मजदूरों और किसानों को बनाए आत्मनिर्भर
डीडीएम. नाबार्ड भूपेश पाल ने कहा कि नाबार्ड की प्राथमिकता है कि घरेलू उद्योग एवं जल संरक्षण के माध्यम से किसानों और मजदूरों को आत्मनिर्भर बनाये और किसानों को जलवायु परिवर्तन के मद्देनजर अनुकूलन और शमन उपायों को बढ़ावा देने हेतु जागरूक करें, जिससे कृषि उत्पादन बढे, कृषि लागत कम हो और किसानों की आय दोगुनी हो सके। डॉ. ममता जैन-निदेशक उपमान महिला संस्थान ने कहा कि जहाँ कोविड-19 महामारी के दौर में नाबार्ड की सोच एवं कार्यक्रमों ने सीधे किसानों और मजदूरों को लाभांवित किया है और राहत पहुँचायी है। स्थायी कृषि विकास ही स्थायी आय का विकल्प है। नाबार्ड के कार्यकमों ने मजदूरों और किसानों के बीच आशा और विश्वास की उम्मीद जगायी है।
रिपोर्टर- बी के कुशवाहा, झाँसी
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