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Jharkhand Result: झारखंड में किसी पार्टी को बहुमत नहीं! ये बनेंगे किंगमेकर

झारखंड में चुनाव नतीजों में त्रिशंकू विधानसभा के आसार दिख रहे हैं। नतीजों के बीच इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि यदि झारखंड में खंडित जनादेश आया, तो सरकार कैसे बनेगी? अब सवाल खड़ हो रहे हैं कि बीजेपी हरियाणा की तरह सरकार बना लेगी या महाराष्ट्र की तरह सरकार गंवा देगी।

Dharmendra kumar
Published on: 23 Dec 2019 4:21 AM GMT
Jharkhand Result: झारखंड में किसी पार्टी को बहुमत नहीं! ये बनेंगे किंगमेकर
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नई दिल्ली: झारखंड में चुनाव नतीजों में त्रिशंकू विधानसभा के आसार दिख रहे हैं। नतीजों के बीच इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि यदि झारखंड में खंडित जनादेश आया, तो सरकार कैसे बनेगी? अब सवाल खड़ हो रहे हैं कि बीजेपी हरियाणा की तरह सरकार बना लेगी या महाराष्ट्र की तरह सरकार गंवा देगी। नतीजों के बीच अटकलों का बाजार गर्म है।

माना जा रहा है कि खंडित जनादेश आता है तो यह तय है कि झारखंड विकास मोर्चा के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी और आजसू के सुदेश महतो किंगमेकर बनेंगे। एग्जिट पोल में खंडित जनादेश की संभावनाएं लगाई जा रही थीं। झारखंड में बहुमत के लिए जरूरी 41 सीटों की जरूरत है। अब भी तक आए नतीजों में बीजेपी 35 पर, जेएमएम 31 पर, आजसू 7 और जेवीएम 3 सीटों पर आगे है। अन्य 3 तीन पर आगे चल रहे हैं।

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बहुमत के लिए जरूरी 41 सीटों के जादुई आंकड़े तक अगर बीजेपी और जेएमएम गठबंधन नहीं पहुंच पाता है, तब ऐसी स्थिति में बाबूलाल मरांडी और सुदेश महतो का फैसला निर्णायक हो जाएगा। जिस पार्टी को यह समर्थन करेंगे उसकी सरकार बनेगी।

आजसू के अध्यक्ष सुदेश महतो को झारखंड की राजनीति का मौसम वैज्ञानिक कहा जाता है। प्रदेश के अस्तित्व में आने के बाद अब तक एक भी ऐसी सरकार नहीं बनी, जिसमें सुदेश महतो की भागीदारी न हो। सरकार चाहे जिसकी बने, सुदेश की पार्टी से कोई न कोई नेता मंत्रिमंडल में शामिल रहता है। वह रघुबर दास की सरकार में शामिल रहे हैं। हालांकि चुनाव से ठीक पहले सीटों के मसले पर तालमेल नहीं हो पाने के बाद महतो ने अकेले चुनाव लड़ा है। ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि वह फिर से बीजेपी के साथ जा सकते हैं।

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झारखंड के पहले मुख्यमंत्री और कभी बीजेपी के आदिवासी नेता के रूप में गिने जाने वाले बाबूलाल मरांडी पर सबकी निगाहें होंगी। मरांडी ने 2006 में बीजेपी से नाता तोड़कर झारखंड विकास मोर्चा का गठन किया था।

मरांडी की शहरी के साथ ही आदिवासी मतदाताओं में अच्छी पैठ है। 2019 के लोकसभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त के बाद उन्होंने अपनी पार्टी को महागठबंधन से अलग कर लिया था।

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बीजेपी अपने गठबंधन सहयोगी रहे सुदेश महतो के साथ ही कभी पार्टी के वरिष्ठ नेता रहे बाबूलाल मरांडी को भी फिर से अपने साथ लाने की कोशिश कर सकती है। वहीं विपक्षी गठबंधन भी बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए अपने साथ लाने की कोशिश करेगी।

Dharmendra kumar

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