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कौन हैं कमलेश तिवारी और कैसे आये थे चर्चा में? यहां पढ़ें पूरी डिटेल

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में शुक्रवार को हिंदू समाज पार्टी के नेता कमलेश तिवारी की गला रेतकर हत्या कर दी गई। कमलेश ज़िंदा न बचे इसलिए गला रेतने के बाद उसे गोलियों से भून दिया गया।

Aditya Mishra
Published on: 30 Aug 2023 9:55 AM GMT
कौन हैं कमलेश तिवारी और कैसे आये थे चर्चा में? यहां पढ़ें पूरी डिटेल
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में शुक्रवार को हिंदू समाज पार्टी के नेता कमलेश तिवारी की गला रेतकर हत्या कर दी गई। कमलेश ज़िंदा न बचे इसलिए गला रेतने के बाद उसे गोलियों से भून दिया गया।

इस हत्याकांड में जो जानकारी निकलकर सामने आ रही है उसके मुताबिक़ हत्यारे मिठाई का डिब्बा लेकर आये थे। उसके अंदर उन्होंने हथियार छिपा रखे थे। जिससे उन्होंने इस हत्याकांड को अंजाम दिया है।

वह फिलहाल जमानत पर रिहा चल रहे थे। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अभी हाल ही में कमलेश तिवारी पर लगी राष्ट्रीय सुरक्षा कानून(रासुका) हटा दिया था।

आइये जानते है कौन हैं कमलेश तिवारी:-

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कौन हैं कमलेश तिवारी

कमलेश तिवारी हिंदू महासभा के कार्यकारी अध्यक्ष रहे हैं। बाद में वह हिंदू समाज पार्टी से भी जुड़ गये। उन पर पैगंबर ए-इस्लाम हजरत मुहम्मद साहब के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणी करने का आरोप लग चुका है। मामला 2015 का बताया जाता है।

इसके विरोध में उत्तर प्रदेश के कई शहरों में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने शहरों से लेकर छोटे कस्बों तक भारी तादाद में सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया था। मुस्लिमों ने कमलेश तिवारी को फांसी देने तक की मांग कर डाली थी।

विवादों से रहा है पुराना नाता

उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के रहने वाले कमलेश लगातार विवादों में रहते थे। इसके चलते उन्हें 2 बार गिरफ्तार भी किया गया था। बताया जाता है कि वह कुछ पत्रकारों को भी धमका चुके थे। साथ ही, काशी विश्वनाथ मंदिर के एरिया में स्थित मस्जिद को लेकर भी उन्होंने आपत्तिजनक टिप्पणी की थी।

गोडसे का मंदिर बनवाने की मांग भी की थी

बता दें कि उत्तर प्रदेश में कमलेश तिवारी की छवि कट्टर हिंदू नेता की थी। एक बार उन्होंने उन्होंने महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे के सम्मान में मंदिर बनवाने का भी ऐलान किया था, जिस पर काफी विवाद भी हुआ था।

कमलेश के सिर पर रखा गया था 51 लाख का इनाम

बता दें कि 2015 में कमलेश ने विवादित बयान दिया था, जिसके बाद यूपी खासकर लखनऊ में खूब हो-हल्ला मचा था। इसके विरोध में रैली भी निकाली गई थी। वहीं, बिजनौर में जमीयत शाबाबुल इस्लाम के जनरल सेक्रेटरी मौलाना अनवरुल हक ने कमलेश तिवारी के सिर पर 51 लाख रुपए का इनाम रख दिया था।

किसने क्या कहा था?

विवादित टि‍प्पणी को लेकर मौलाना मुफ्ती अबुल हसन अरशद कांधलवी ने कहा था कि पैगंबरों, अवतारों और धर्म गुरुओं की शान में गुस्ताखी करने वालों को फांसी का कानून बनना चाहिए। ऐसे लोगों की नागरिकता भी समाप्त होनी चाहिए।

कमलेश तिवारी का हिंदू महासभा ने नहीं दिया था साथ

बताया जाता है कि पैगंबर साहब के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले कमेलश तिवारी से अखिल भारत हिंदू महासभा ने भी किनारा कर लिया था।

हिंदू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पंडित अशोक शर्मा ने कहा था कि जिस तरह से आजम खान के आरएसएस के खिलाफ दिए गए बयान के जवाब में कमलेश तिवारी ने अपना विवादित बयान दिया, उससे लगता है कि कमलेश आरएसएस के कार्यकर्ता हैं।

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योगी आदित्यनाथ ने कमलेश को लेकर कही थी ये बात

यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी उस वक्त कमलेश तिवारी से किसी प्रकार के संबंध से इनकार किया था। एक कार्यक्रम में पत्रकार द्वारा सवाल पूछे जाने पर उन्होंने कहा था कि हिंदू युवा वाहिनी से कमलेश तिवारी का कोई संबंध नहीं है।

कमलेश के खिलाफ लोगों ने किया था प्रदर्शन

कमलेश तिवारी के बयान के बाद मुस्लिम समुदाय काफी गुस्से में आ गया था। उनके खिलाफ देवबंद, सहारनपुर, लखनऊ सहित देश के कई हिस्सों में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने प्रदर्शन भी किया था।

एनएसए के तहत कमलेश की हुई थी गिरफ्तारी

साल 2015 में पैगंबर मोहम्मद पर आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद हिंदू महासभा के नेता कमलेश तिवारी को लखनऊ में गिरफ्तार किया गया था। कमलेश को नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (एनएसए) के तहत गिरफ्तार किया गया था।

नेशनल सिक्योरिटी एक्ट के तहत नियम है कि इसकी हर तीन महीने में समीक्षा की जाए। लेकिन कमलेश पर एक साल के नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (एनएसए) लगाया गया था।

कमलेश की पत्नी ने कोर्ट से लगाई थी गुहार

कमलेश की पत्नी ने मार्च में अपने वकील के माध्यम से हाई कोर्ट में अर्जी दी थी कि कानून का दुरुपयोग करके जबरन कैद में रखा जा रहा है। हाई कोर्ट में अभी तक मामले की सुनवाई ना होने के बाद कमलेश के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी थी।

कोर्ट ने हटा ली थी रासुका

वह फिलहाल जमानत पर रिहा चल रहे थे। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अभी हाल ही में कमलेश तिवारी पर लगी राष्ट्रीय सुरक्षा कानून(रासुका) हटा दिया था।

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