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बंद हो चुके विभाग के मुखिया बने उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य

पूर्व मनोरंजन कर विभाग के सेवा संघों ने बताया की दोनों विभागों के आमेलन के लिए शासन स्तर से एक कमेटी का गठन किया गया था। वाणिज्य कर के विशेष सचिव नेकपाल वर्मा इस कमेटी के अध्यक्ष थे, इसमें दोनों विभागों के अधिकारियों, सेवा संघों के साथ कार्मिक, वित्त और न्याय विभाग के अधिकारी सदस्य थे।

Manali Rastogi
Published on: 23 Aug 2019 1:39 PM IST
बंद हो चुके विभाग के मुखिया बने उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य
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बंद हो चुके विभाग के मुखिया बने उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य

धनंजय सिंह धनंजय सिंह

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने गुरुवार देर रात मंत्रियों के विभागों में जो फेरबदल किये उसमें एक बड़ी चूक सामने आई है। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या को समाप्त हो चुके मनोरंजन कर विभाग का भी आवंटन कर दिया गया है।

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बता दें कि 2017 में योगी सरकार जब सत्ता में आई थी तो उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या को अन्य विभागों के साथ मनोरंजन कर विभाग भी आवंटित किया गया था लेकिन प्रदेश में 1 जुलाई 2017 को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था लागू होने के बाद मनोरंजन कर को जीएसटी में समाहित कर दिया गया।

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इसी के तहत योगी सरकार ने 24 अप्रैल 2018 को मनोरंजन कर विभाग का विलय वाणिज्य कर विभाग में कर दिया। इस विलय में मनोरंजन का निरीक्षकों को छोड़कर अधिकारियों व कर्मचारियों को वाणिज्य कर विभाग में मर्ज कर दिया गया।

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वहीं, अत्यधिक विलम्ब से 9 मार्च 2019 को निरीक्षकों को भी वाणिज्य कर विभाग में निरीक्षक के पद पर मर्ज कर दिया गया। जिसके लिए निरीक्षकों और अन्य कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री के साथ उच्च अधिकारियों से कई बार गुहार लगाई और प्रदेश स्तरीय धरना प्रदर्शन भी किया। इन घटनाओं के बाद भी एक समाप्त हो चुके विभाग को उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को आवंटित करना सचिवालय प्रशासन की बड़ी चूक को दर्शाता है।

बगैर काम के वेतन उठा रहे कर्मचारी

पूर्व मनोरंजन कर विभाग के सेवा संघों ने बताया कि 2 वर्षों के बाद केवल अधिकारियों की तैनाती वाणिज्य कर में की गई। जबकि 120 से अधिक संख्या में वाणिज्य कर निरीक्षक एवं 125 से अधिक लिपिक और चपरासियों को अभी भी जीएसटी में कोई कार्य आवंटित नहीं किया गया है।

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इन कर्मचारियों के वेतन का भार सरकारी खजाने पर है। इतना समय बीत जाने के बाद भी बड़ी संख्या में निरीक्षक और कर्मचारी बगैर कार्य के बैठे हैं यह अधिकारियों की लापरवाही को उजागर करता है। उन्होंने बताया कि दोनों विभागों के मर्जर के बाद से निरीक्षक और कर्मचारी अधिकारियों से काम आवंटित करने की मांग कर रहे हैं लेकिन अभी तक इनको कोई भी कार्य आवंटित नहीं किया गया है।

शासन की रिपोर्ट भी दबाये बैठे अधिकारी

पूर्व मनोरंजन कर विभाग के सेवा संघों ने बताया की दोनों विभागों के आमेलन के लिए शासन स्तर से एक कमेटी का गठन किया गया था। वाणिज्य कर के विशेष सचिव नेकपाल वर्मा इस कमेटी के अध्यक्ष थे, इसमें दोनों विभागों के अधिकारियों, सेवा संघों के साथ कार्मिक, वित्त और न्याय विभाग के अधिकारी सदस्य थे। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट भी दे दी लेकिन अभी तक शासन ने आमेलन नियमावली जारी नहीं की है। जिससे दोनों विभागों के सेवा संबंधी प्रकरण अटके हुये हैं।

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