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संजीत हत्याकांड: CBI के सामने चुनौती, सुलझानी होंगी ये गुत्थियां

पुलिस अभी तक न तो संजीत का शव बरामद कर पायी है और न ही संजीत का मोबाइल, पहचान पत्र, बैग और फिरौती की रकम वाला बैग का भी कोई पता नहीं कर पायी हैं। ऐसे में सीबीआई को संजीत के शव के साथ ही हत्याकांड से जुड़ी ये सभी साक्ष्य ढंूढने होंगे।

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Published on: 3 Aug 2020 6:38 AM GMT
संजीत हत्याकांड: CBI के सामने चुनौती, सुलझानी होंगी ये गुत्थियां
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लखनऊ। कानपुर के संजीत अपहरण और हत्याकांड में पुलिस की नाकामी के बाद अब योगी सरकार ने सीबीआई से इस मामलें की जांच की सिफारिश कर दी है। इस पूरे मामलें में पुलिस के अधूरे कामों को पूरा करने की जिम्मेदारी अब सीबीआई पर आ गई है। इसके साथ ही सीबीआई को इस पूरे मामलें में पुलिस की भूमिका की जांच भी करनी होगी। क्योंकि संजीत के परिजन लगातार पुलिस पर मिलीभगत का आरोप लगा रहे है।

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संजीत के परिजनों का आरोप

इस बहुचर्चित मामलें में संजीत के परिजनों का आरोप है कि फिरौती की रकम पुलिस की मौजूदगी में दी गई है लेकिन कानपुर पुलिस इससे न सिर्फ साफ इनकार कर रही है बल्कि वह इसे साबित करने भी जुुटी थी और इसकी जांच एडीजी पीएचक्यू बीपी जोगदंड को दी गई थी लेकिन वह भी इसका जवाब नहीं ढूंढ पाए। इसलिए सीबीआई के सामने इसकी जांच करनी होगी और यह देखना होगा कि संजीत के परिजन या पुलिस में से कौन सच बोल रहा है। इसके अलावा पुलिस ने अपहरण के एक महीने के बाद पांच आरोपितों को पकड़ तो लिया लेकिन वह उनसे कोई पुख्ता सबूत नहीं जुटा पायी।

पुलिस के हाथ पूरी तरह से खाली

इतने दिनों मेें पुलिस के हाथ पूरी तरह से खाली ही रहे। पुलिस अभी तक न तो संजीत का शव बरामद कर पायी है और न ही संजीत का मोबाइल, पहचान पत्र, बैग और फिरौती की रकम वाला बैग का भी कोई पता नहीं कर पायी हैं। ऐसे में सीबीआई को संजीत के शव के साथ ही हत्याकांड से जुड़ी ये सभी साक्ष्य ढंूढने होंगे। संजीत के परिजन बर्रा थाने की पुलिस पर अपहर्ताओं से मिले होने का आरोप लगा रहे है। ऐसे में सीबीआई जांच के दायरे में बर्रा थाना भी रहेगा।

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ये है मामला

बता दे कि बीती 22 जून की रात को लैब टैक्नीशियन संजीत का अस्पताल से घर आने के दौरान अपहरण हो गया। 23 जून को संजीत के परिजनों ने बर्रा थाना क्षेत्र की जनता नगरी चैकी पर गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करायी। 26 जून को एसएसपी के आदेश पर पुलिस ने राहुल यादव के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की। 29 जून को संजीत के पिता को फोन करके 30 लाख रुपये की फिरौती मांगी गई। 02 जुलाई को अपहरणकर्ता का फोन आया और राहुल यादव को छुड़वाने को कहा। 05 जुलाई को संजीत के परिजन इंसाफ किए जाने की मांग को लेकर शास्त्री चैक पर धरना पर बैठे। 07 जुलाई को पंलिस ने संजीत के पिता से 30 लाख रुपये का इंतजाम करने को कहा। 08 जुलाई को अपहरणकर्ता ने फोन कर धमकी दी और फिरौती की रकम के बारे में पूंछा।

पुलिस ने अपहरण में शामिल संजीत के दो पुराने दोस्तों को उठाया

12 जुलाई को संजीत के परिजन एसपी साउथ से मिले और कार्रवाई की मांग की। 13 जुलाई को फिरौती की रकम लेकर गुजैनी पुल पहुंचे और पुल से रकम का बैग नीचे फेंका। 14 जुलाई फिरौती देने के बाद भी संजीत के वापस न आने पर परिजनों ने आईजी से मुलाकात कर कार्रवाई की मांग की। 15 जुलाई को एसएसपी ने 04 दिन का समय मांगा और पुलिस की 08 टीमें इस मामलें की छानबीन में लगा दी। 16 जुलाई को बर्रा थाने के इंस्पेक्टर रणजीत राय को निलंबित किया गया। 22 जुलाई को पुलिस ने अपहरण में शामिल संजीत के दो पुराने दोस्तों को उठाया। 23 जुलाई को संजीत के दोस्तों से पूछताछ के आधार पर दो और दोस्तों और एक महिला मित्र को उठाया। 24 जुलाई को पुलिस ने पांच आरोपितों को गिरफ्तार कर जेल भेजा।

रिपोर्ट- मनीष श्रीवास्तव, लखनऊ

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