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UP News: पुरानी फाइल से! खुद को असहाय महसूस कर रहा है लिब्राहन आयोग, न कल्याण को बुला सका और न ही भाजपा के किसी नेता को

UP News: लिब्राहन आयोग एक महत्वपूर्ण संस्था है जो भ्रष्टाचार और शोषण के मुद्दों को लेकर जांच और जानकारी प्रदान करती है। हालांकि, हाल के रिपोर्ट्स के अनुसार, इस संस्था को अपनी संस्थागत ज़रूरतों को पूरा करने में असमर्थता महसूस की गई है। इस संस्था को कल्याण समेत कुछ लोगों को बुलाने की ज़रूरत है, लेकिन यह कुछ भाजपा के नेताओं को नहीं बुला पा रही है जो इस संस्था के विरोध में खड़े हुए हैं।

Yogesh Mishra
Published on: 14 May 2023 4:54 PM GMT
UP News: पुरानी फाइल से! खुद को असहाय महसूस कर रहा है लिब्राहन आयोग, न कल्याण को बुला सका और न ही भाजपा के किसी नेता को
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UP News (Social Media)

Liberhan Commission: नई दिल्ली, 22 जुलाई, 2000,अयोध्या में विवादित ढांचा गिराए जाने के मामले में गठित लिब्राहन आयोग अपने को असहाय महसूस कर रहा है। बार-बार बुलाए जाने के बाद न तो कल्याण सिंह और न ही भाजपा का कोई अन्य नेता आयोग के सामने हाजिर हुआ है। आयोग के अधिकारियों की समझ में नही आ रहा कि आखिर इन नेताओं को कार्यवाही में भाग लेने के लिए किस तरह बाध्य किया जाए।

सोलह दिसंबर 1992 को केंन्द्र सरकार की अधिसूचना के माध्यम से केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन गठित इस आयोग से यह आशा की गई थी कि यह तीन महीने या इससे भी जल्दी अपनी रिपोर्ट सौंप देगा। परंतु यह रिपोर्ट आज तक नही सौंपी जा सकी है। विवादित ढांचे को गिराए जाने का अभियोग जिन 41 लोगों पर लगाया गया है । उनमें से आज तक महज बारह लोग ही आयोग के सामने पेश हुए है। इनमें विवादित ढांचे के विध्वंस के समय प्रदेश के सचिवालय और फैजाबाद में तैनात पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी शामिल है। आयेग के सामने जो बारह लोग पेश हुए उनमें से ज्यादातर या तो सरकारी अधिकारी हैं या कुछ विहिप नेता। भाजपा अथवा तत्कालीन प्रदेश सरकार का कोई भी कैबिनेट मंत्री आयोग के समक्ष कभी उपस्थित नही हुआ। सबसे अजीबोगरीब मामला फैजाबाद के तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डी0बी0राय का है।

उन्होंने आयोग के सामने पेश होने का आश्वासन तो दिया किंतु उसे कभी पूरा नहीं किया। इस दौरान राय भाजपा के सांसद भी बन गए। उनके मामले में कोई निर्णय लेना तो दूर अब आयोग इस तर्क का सहारा ले रहा है कि श्री राय से पूछताछ बाद में की जाएगी। आयोग के एक अधिकारी ने नाम न प्रकाशित करने के अनुरोध के साथ बताया कि इस प्रकरण में भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी का भी नाम है। क्या आयोग ने इन नेताओं को कोई नोटिस भेजी है? इस सवाल पर आयोग के सीनियर कोर्ट मास्टर टी.पी.भाटिया ने बताया कि इन्हें जरूरत पड़ने पर नोटिस भेजी जाएगी। आयोग के अधिकारों के बारे में उन्होंने कहा कि यदि आयोग के पास अधिकार होते तो वह डी.बी.राय कल्याण सिंह और अन्य आरोपियों को अब तक तलब कर चुका होता। कल्याण सिंह आयोग के सामने तो नहीं पेश हो रहे हैं । लेकिन बाहर कई तरह के विवादास्पद बयान दे रहे हैं।

क्या आयोग इन बयानों का संज्ञान लेगा? इस सवाल पर आयोग के रजिस्ट्रार अरूनजीत लाल वर्मा ने कहा कि पहले आयोग कल्याण सिंह से यह पूछेगा कि क्या अखबारों में दिए गए बयानों को वह आयोग के सामने स्वीकारते हैं। तभी आयोग उनका संज्ञान ले पाएगा। आयोग आरोपियों को क्यों तलब नहीं कर पा रहा है, इस सवाल पर उन्होंने बताया कि कल्याण सिंह समेत 25 भाजपा नेताओं ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से किसी तरह का सम्मन न जारी करने के पक्ष में स्थगन आदेश हासिल कर रखा है। ऐसे में सम्मन कैसे जारी किया जा सकता है।

इस सवाल पर उन्होंने कहा कि चूंकि अब जांच नये चरण में प्रवेश कर गई है इसीलिए सम्मन जारी किया जा सकता है। लिब्राहन आयोग के सचिव डॉ. एस.के.पचौरी ने आयोग के बजट के बारे में पूछने पर कहा कि आप लोग निरर्थक छोटे सवाल पूछते हैं। बड़े मुद्दों पर गौर नहीं करते। यह पूछने पर कि बड़े मुद्दे क्या हैं, उन्होंने कहा आयोग का कार्यकाल और अधिकार। जमीनी हकीकत यह है कि हाईकोर्ट के स्थगन आदेश के बने रहते आयोग कोई ठोस कदम नहीं उठा सकता है।
(मूल रूप से दैनिक जागरण के नई दिल्ली संस्करण में दिनांक- 23 जुलाई, 2000 को प्रकाशित)

Yogesh Mishra

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