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हकीकत से कोसों दूर प्रवासी मजदूरों को सरकारी मदद पहुंचाने के दावें
प्रवासी मजदूरों को सरकारी मदद पहुँचाने के सरकारी दावें हवा-हवाई साबित हो रहे हैं। ऐसा ही एक मामला आज शामली जनपद में देखने को मिला। यहां एक प्रवासी मजदूर की फैमिली करनाल से होती हुई शामली पहुंची।
पंकज प्रजापति
शामली: प्रवासी मजदूरों को सरकारी मदद पहुँचाने के सरकारी दावें हवा-हवाई साबित हो रहे हैं। ऐसा ही एक मामला आज शामली जनपद में देखने को मिला। यहां एक प्रवासी मजदूर की फैमिली करनाल से होती हुई शामली पहुंची।
उसने मेरठ करनाल के रोड पर एक गांव में आटा मांगा और फिर पुलिस चौकी पर पानी की व्यवस्था मिलने पर खाना बनाकर अपनी विकलांग पत्नी और बच्चे को खिलाया। 4 दिन में साइकिल से आज यह मजदूर शामली पहुंचा है और अब मुजफ्फरनगर जाएगा।
दरअसल कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते जहां लोग डाउन के आदेश है तो वहीं प्रवासी मजदूर खाने का संकट होने के बाद किसी ना किसी माध्यम से हर संभव प्रयास करते हुए अपने गांव अपने घर लौट रहे हैं।
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सीएम योगी के आदेशों का नहीं हो रहा पालन
जहां सरकार प्रवासी मजदूरों को घर वापस लाने के लिए बस से ट्रेन और जगह-जगह पर खाने की व्यवस्था कर रही है तो वही शामली जनपद में प्रवासी मजदूर को सरकार द्वारा दी जा रही व्यवस्था की पोल खुल रही है।
एक ओर जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साईकिल या ट्रकों में या पैदल किसी भी माध्यम से प्रवासी मजदूरों के चलने पर उच्च अधिकारियों को अच्छी व्यवस्था कराने और उनको उनके घर सरकारी बसों के माध्यम से पहुंचाने के आदेश दिए हैं, लेकिन शामली जनपद में माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश का पालन नहीं हो रहा हैं।
एक और परिवार को साईकिल रेड़ा में सवार कर खुद छोटू अपनी गोदी में बच्चे को लेकर रेड़ा चलाकर करनाल से होता हुआ शामली पहुंच रहा है, जहां यह मजदूर चार-पांच दिन में शामली पहुंचा तो वही खाने की व्यवस्था ना मिलने के चलते गांव में घूम घूम कर आटा मांगता है और फिर कहीं ईटों से खाना बनाने के लिए चूल्हा तैयार करता है और अपने परिवार के लिए खाना बनाता है।
पेट भरने के लिए मांगनी पड़ी भीख
पीड़ित प्रवासी मजदूर की पत्नी विकलांग है तो वहीं उसका 5 वर्षीय नन्हा सा बालक भूख से तिलमिलाता है तपती धूप और एक तरफ भूख की मार परिवार को भीख मांगने पर मजबूर करती है तो वही प्रवासी मजदूर अपने परिवार को दिन भर साईकिल रेडा में बिठाकर खींचता है और फिर उनके लिए भीख मांगकर खाना तैयार करता है।
तस्वीरें साफ दिखाती है कि किस तरीके से मुख्यमंत्री के आदेशों के बाद भी प्रवासी मजदूर की हालत क्या है और कितना जनपदीय अधिकारी मुख्यमंत्री के आदेशों का पालन कर रहा है वहीं इस मामले में प्रवासी मजदूर छोटू का कहना है कि 5 दिन के करीब हम लोगों को चलते चलते हो गए हम लोगों को कहीं भी सरकार द्वारा खाने की व्यवस्था नहीं मिली।
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प्रवासी मजदूर ने सुनाई दुःखभरी दास्तां
हम लोगों ने भूख लगी तो आटा मांग लिया और फिर कच्ची ईंटों का चूल्हा बनाकर परिवार के लिए खाना बना कर पेट भर लिया । मेरी पत्नी विकलांग है इसलिए मुझे खुद पहले खाना के लिए सामान मांगना पड़ता है और फिर खाना बनाता हूं हम लोग यमुनानगर में भट्टे पर काम करते थे और वहां के मकान मालिक ने हमसे किराया भी नहीं लिया जब हमारे पास खाने पीने के लिए सामान और ना ही पैसा बचा तो फिर हम वहां से छोड़ कर अपने घर वापस आ गए हैं।
उधर इस मामले में प्रवासी मजदूर की पत्नी पिंकी का कहना है कि हमलोग चार-पांच दिन पहले घर से चले थे और रास्ते में हमें किसी तरह की कोई भी सरकारी व्यवस्था नहीं मिली हम लोगों ने रास्ते में खाने का सामान मांग मांग कर अपने लिए खाना बनाया है और कुछ देर आराम कर फिर चल दिए हैं मेरे शरीर में कमजोरी है और मैं विकलांग हूं इसलिए मेरे पति सारा काम खुद करते हैं और अब हम लोग करनाल से होते हुए सामने आए और मुजफ्फरनगर जाएंगे।
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