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डॉक्टरों से अभ्रदता: परिजनों ने दौड़ा-दौड़ाकर पीटा, तोड़ डाली हड्डी
कोरोनाकाल में ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं, जहां पर कोरोना वॉरियर्स के साथ बुरा बर्ताव किया गया हो। या फिर उन पर हमला किया गया हो। ऐक ऐसी ही खबर सामने आई है, लखनऊ से।
लखनऊ: कोरोनाकाल में ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं, जहां पर कोरोना वॉरियर्स के साथ बुरा बर्ताव किया गया हो। या फिर उन पर हमला किया गया हो। ऐक ऐसी ही खबर सामने आई है, लखनऊ से। जहां पर केजीएमयू में गुरुवार को तीमारदारों ने जमकर बवाल काटा। साथ ही डॉक्टर को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा भी।
डॉक्टरों के साथ की अभद्रता
पहले तीमारदारों ने लापरवाही का आरोप लगाते हुए सीनियर डॉक्टर भूपेंद्र सिंह के साथ अभद्रता की। उसके बाद बीच-बचाव करने के लिए जूनियर डॉक्टर धर्मेंद्र आए तो उन्हें दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। इससे डॉक्टर की हड्डी टूट गई। घटना की खबर सुनते ही पुलिस मौके पर पहुंची और आरोपी दो तीमारदारों को हिरासत में ले लिया। वहीं केजीएमयू प्रशासन देर शाम तक इस मामले की जांच कराने की बात करता रहा।
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क्या है पूरा मामला?
दरअसल, ब्लड कैंसर से पीड़ित एक युवक को परिजन केजीएमयू के हीमेटोलॉजी विभाग लेकर आए थे। युवक को भर्ती करने से पहले डॉक्टरों ने मरीज के कई टेस्ट कराए, जिसके बाद उसके ब्लड कैंसर होने की पुष्टि हुई। उसके बाद मरीज को सोमवार को शताब्दी अस्पताल के हीमेटोलॉजी विभाग में भर्ती किया गया। डॉक्टरों ने परिजनों से कहा कि मरीज के इलाज के लिए बोनमैरो ट्रांसप्लांट करना ही आखिरी ऑप्शन है।
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इलाज में लापरवाही बरतने को लेकर डॉक्टरों से भिड़ गए परिजन
उसके बाद परिजन गुरुवार दोपहर मरीज के इलाज में लापरवाही बरतने की शिकायत लेकर डॉक्टरों से भिड़ गए। बहस के दौरान मरीज के तीमारदारों में से एक महिला ने सीनियर रेजीडेंट डॉ. भूपेंद्र सिंह को पकड़ लिया और तीन अन्य लोग उनसे धक्का-मुक्की करने लगे। जिसके बाद डॉ. भूपेंद्र ने खुद को छुड़ाने की कोशिश की और अपने साथियों व सुरक्षा कर्मियों को मदद के लिए आवाज दी।
मारपीट में टूटी डॉक्टर के हाथों की हड्डी
वहीं इस दौरान बीच-बचाव करने के लिए जूनियर डॉक्टर धर्मेंद्र आए तो उन्हें दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। तीमारदारों ने डॉक्टर को इतना पीटा कि उनके हाथों की हड्डी टूट गई। उसके बाद मौके पर पुलिस पहुंची और दो तीमारदारों को पकड़ कर ले गई। हालांकि उनमें से एक तीमारदार मौके से बचकर भाग निकला।
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डॉक्टरों का क्या है कहना?
मरीज का इलाज करने वाले सीनियर रेजीडेंट डॉ. भूपेंद्र सिंह ने बताया कि मरीज के इलाज में लापरवाही नहीं बरती गई है। मरीज को पहले ही बताया जा चुका था कि कैंसर के इलाज के लिए बोन मैरो ट्रांसप्लांट करना होगा, लेकिन तीमारदार इसके लिए राजी नहीं थे। मरीज को लगातार खून चढ़ाने के बाद भी उसका हीमोग्लोबिन पांच से अधिक नहीं हो पा रहा था। घरवालों का पता था कि मरीज की हालत गंभीर है। लेकिन फिर भी वह इलाज में लापरवाही को लेकर बहस कर रहे थे।
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