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Mayawati: क्या सच में मायावती बीजेपी की 'बी टीम' हैं?
Mayawati: नये संसद भवन के उद्घाटन मुद्दे पर बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती पर एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी की बी टीम होने का आरोप लगा है। विपक्षी दल इससे पहले भी उन्हें बीजेपी की बी टीम बताते रहे हैं।
Mayawati: संसद के नये भवन के उद्घाटन को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष में सियासी घमासान और तेज हो गया है। कांग्रेस सहित करीब दो दर्जन (21) विपक्षी दल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू या लोकसभा अध्यक्ष से उद्घाटन कराने की मांग कर रहे हैं। वहीं, बसपा सुप्रीमो मायावती ने नए संसद भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कराए जाने का समर्थन कर सबको चौंका दिया है। वह खुलकर केंद्र सरकार के बचाव में आ गई हैं। समाजवादी पार्टी सहित कई विपक्षी दलों ने मायावती के इस कदम पर निशाना साधते हुए उन्हें बीजेपी की बी टीम करार दिया है। ऐसा पहली बार नहीं है जब मायावती पर बीजेपी की बी टीम होने का आरोप लगा है। इससे पहले भी खासकर 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद कई मुद्दों पर उन्होंने सरकार का समर्थन किया है।
2019 का लोकसभा चुनाव समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने मिलकर लड़ा था। इस चुनाव में बसपा को 10 और सपा को 05 सीटों पर जीत मिली थी। इससे पहले 2014 के आम चुनाव में बसका खाता नहीं खुला था जबकि सपा को 05 सीटें मिली थीं। 2019 के चुनावी नतीजों के कुछ ही दिनों बाद मायावती ने नतीजों पर असंतोष जाहिर करते हुए न केवल गठबंधन तोड़ दिया बल्कि यह ऐलान किया था कि भविष्य में वह कभी भी सपा के साथ मिलकर चुनाव नहीं लड़ेंगी।
बसपा को बताया बीजेपी की बी टीम
2022 का विधानसभा चुनाव बसपा ने अकेले दम लड़ा जरूर था लेकिन पार्टी का प्रदर्शन सुभासपा जैसे छोटे दलों से भी कमतर रहा। इस चुनाव में बसपा सिर्फ एक विधानसभा ही जीत सकी और पार्टी को महज 12.7 फीसदी वोट मिले। इस चुनाव में मायावती ने सिर्फ दो-तीन रैलियां ही कीं। अगर यह कहें कि इस चुनाव में वह निष्क्रिय बनी रहीं तो कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा। बसपा की इस भूमिका पर सपा और कांग्रेस ने मायावती को बीजेपी की बी टीम करार देते हुए भाजपा से गुप्त समझौता करने के आरोप लगाये। इसके बाद यूपी में हुए लोकसभा की दो और विधानसभा की तीन सीटों के लिए उपचुनाव में भी बसपा पर बीजेपी की बी टीम होने के आरोप लगाये।
इन नतीजों पर भी लगे आरोप
शुरुआत से ही बसपा की रणनीति उपचुनाव नहीं लड़ने की रही है लेकिन 2022 में पार्टी कई सीटों पर न केवल उपचुनाव लड़ी बल्कि कई सीटों पर नतीजों को प्रभावित भी किया। सपा का कहना है कि उपचुनाव में आजमगढ़ लोकसभा सीट के लिए उपचुनाव में बीजेपी की मदद के लिए बसपा ने अपना कोई कैंडिडेट नहीं उतारा और रामपुर में भी ऐसा ही किया। इससे साफ जाहिर होता है कि मायावती बीजेपी की बी टीम हैं। हाल ही यूपी नगर निकाय चुनावों में बसपा पर यही आरोप लगे। गौरतलब है कि प्रदेश के 17 नगर निगमों के महापौर चुनाव में बसपा ने सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से 11 मुस्लिम थे। इस चुनाव में सपा और बसपा एक भी सीट नहीं जीत पाई। सपा के वरिष्ठ नेता राजेंद्र चौधरी का कहना है कि बसपा का एकमात्र मकसद चुनावों में भाजपा की मदद करना है। अब यह बात किसी से छिपी नहीं है। भाजपा के इशारे पर ही उन्होंने 11 मुस्लिम कैंडिडेट उतारे।
द्रौपदी मुर्मू का किया था मुर्मू समर्थन
इससे पहले मायावती ने राष्ट्रपति चुनाव के दौरान बीजेपी गठबंधन यानि एनडीए की ओर से राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन का एलान किया था। हालांकि, द्रौपदी मुर्मू की जीत लगभग तय ही मानी जा रही थी, बावजूद बसपा प्रमुख के इस फैसले ने बीजेपी की राह को और आसान ही किया था। इसके अलावा भी कई और ऐसे फैसले हैं जब मायावती और उनके दल पर भारतीय जनता पार्टी की बी टीम होने का आरोप लगा। लेकिन अब वह जिस तरह से वह द्रौपदी मुर्मू की बजाय पीएम मोदी से नये संसद भवन के उद्घाटन की बात कह रही हैं, उस पर सवाल उठ रहे हैं।
मायावती के सामने चुनौतियां ही चुनौतियां
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो इन दिनों मायावती कई मोर्चों पर चुनौतियों से जूझ रही हैं। भारतीय जनता ने जहां बड़ी संख्या में उस दलित वोटबैंक को अपने पाले में कर लिया है जिसे कभी बसपा का कोर वोटर कहा जाता था। वहीं, विपक्षी दल बसपा को बीजेपी की बी टीम साबित करने पर लगे हैं। मायावती को डर है कि अगर जनता के मन में यह बात बैठ गई कि वह बीजेपी की बी टीम हैं तो गैर भाजपा वोट उनसे छिटक जाएगा। हालांकि, बसपा के एक नेता ने कहा कि मायावती ऐसा बिल्कुल नहीं मानतीं। उनका कहना है कि वह गलत को गलत और सही को सही कहने की हिम्मत रखती हैं। जो उन्हें सही लगता है वह वही करती हैं और उसका समर्थन करती हैं।