×

यहां भी अयोध्या: नहीं जानते होंगे आप इसके बारे में, विराजमान हैं प्रभु राम

ओरछा के लोगों का मानना है कि दिन के वक्त श्रीराम ओरछा में निवास करते हैं तो रात में विश्राम के लिए अयोध्या चले जाते हैं। इसीलिए ओरछाधाम को बुन्देलखण्ड की अयोध्या भी कहा जाता है।

Newstrack
Published on: 4 Aug 2020 1:39 PM IST
यहां भी अयोध्या: नहीं जानते होंगे आप इसके बारे में, विराजमान हैं प्रभु राम
X

अयोध्या में श्रीराम मंदिर के भूमिपूजन की तैयारियां चरम पर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई दिग्गज नेता और साधू-संत इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए 05 अगस्त को अयोध्या में मौजूद रहेंगे। लेकिन क्या आप जानते है कि हमारे देश में एक और अयोध्या भी है, जिसे बुंदेलखंड की अयोध्या कहा जाता है और ये मध्य प्रदेश के निवाड़ी जिले के कस्बे ओरछाधाम में है। देश का प्रधानमंत्री हो या प्रदेश का मुख्यमंत्री यहां किसी का भी प्रोटोकाॅल लागू नहीं होता। यहां आज भी मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम राजा के रुप में विराजमान हैं और मध्य प्रदेश सरकार की ओर से उन्हे चारो प्रहर गार्ड आफ आनर भी दिया जाता है।

सुशांत केस: दोस्त का चौंकाने वाला खुलासा, रिया चक्रवर्ती की बताई नई कहानी

श्रीराम ओरछा में निवास करते हैं

ओरछा के लोगों का मानना है कि दिन के वक्त श्रीराम ओरछा में निवास करते हैं तो रात में विश्राम के लिए अयोध्या चले जाते हैं। इसीलिए ओरछाधाम को बुन्देलखण्ड की अयोध्या भी कहा जाता है। श्रीराम के ओरछा आने के बारे में बताया जाता है कि सोलहवीं सदी में मधुकरशाह ओरछा के राजा थे। राजा कृष्ण के परम भक्त थे। एक बार जन्माष्टमी के अवसर पर होने वाली रासलीला में राजा को आभास हुआ कि भगवान कृष्ण उन्हे साक्षात दर्शन देकर गए है।

राजा ने तुरंत ही वृंदावन जा कर बांके बिहारी के दर्शन करने का निर्णय किया और अपनी पत्नी रानी कुंवरिगनेश से भी चलने को कहा। लेकिन रानी राम भक्त थी तो उन्होंने अयोध्या जाने की इच्छा जता दी। इस पर विवाद हो गया तो राजा ने खीज कर रानी से कहा कि मेरे कृष्ण तो मेरे साथ आ कर रास करते है, तुम अपने राम को ओरछा में लाकर बताओं तो तुम्हारी भक्ति को मानू।

Nokia ने लाॅन्च किया दमदार स्मार्टफोन, कीमत है इतनी कम, जानें फीचर्स

रानी भी पक्की रामभक्त

रानी भी पक्की रामभक्त थीं, राजा की यह बात उन्हे लग गई और वह अधोध्या जा पहुंची। वहां सरयू किनारे कठोर तप करने लगीं लेकिन कई दिन बीतने पर भी भगवान नहीं आए। इस पर रानी निराश हो गई और बिना भगवान राम के ओरछा लौटना उन्हे अपमान लगा तो उन्होंने वहीं सरयूं में छलांग लगा कर आत्महत्या करने का प्रयास किया। कहते है कि रानी को श्रीराम ने ही उन्हे डूबने से बचाया और वर मांगने को कहा तो रानी ने ओरछा चलने का निमंत्रण दे दिया।

इस श्रीराम ने तीन शर्ते रख दी। पहली यह कि ओरछा के राजा वह होंगे, दूसरी यह कि जहां एक बार विराजमान हो जायेंगे वहां से हटेंगे नहीं तथा तीसरी यह कि वह ओरछा पुष्य नक्षत्र में ही चलेंगे। रानी ने उनकी तीनों शर्तें मान लीं। इसके बाद श्रीराम मूर्ति रूप में परिवर्तित हो गए और रानी उन्हे लेकर ओरछा आ गई। ओरछा पहुंच कर रानी ने मूर्ति कोू रसोईघर में रख दिया और राजा को पूरा वृतांत बताया। राजा ने श्रीराम के लिए एक चर्तुभुज मंदिर का निर्माण कराया लेकिन शर्त के मुताबिक श्रीराम राजा के महल से हिले नहीं। इस पर राजा ने अपने लिए दूसरा महल बनवाया और चतुर्भज मंदिर में श्रीकृष्ण की स्थापना कर दी।

दिन में पांच बार गार्ड आफ ऑनर दिया जाता

उसके बाद से ही ओरछा में श्रीराम को राजा के रूप में दिन में पांच बार गार्ड आफ ऑनर दिया जाता है। सूर्योदय से सूर्यास्त के बाद तक पांच बार मध्य प्रदेश पुलिस के द्वारा सशस्त्र सलामी दी जाती है। मंदिर में राजा राम के साथ सीता जी, लक्ष्मण जी सुग्रीव महाराज, नरसिंह जी, हनुमान जी, जामवांत जी और दुर्गा जी राम दरबार में उपस्थित हैं। यहां दोपहर 12 बजे से 12: 30 तक राजभोग लगाया जाता है। रात 10 से 10ः30 तक रात्रि भोजन होता है।

रिपोर्ट- मनीष श्रीवास्तव, लखनऊ

40,000 आतंकवादी: पाकिस्‍तान आतंकवाद का केंद्र, भारत के लिए चल रहा ये खूनी चाल

Newstrack

Newstrack

Next Story