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Mahoba News: तहसील में एक तरफ आजादी का जश्न, दूसरी तरफ किसानों का धरना, जानिए पूरा मामला
Mahoba News: एक तरफ जिस प्रांगण में सरकारी हुक्मरान आजादी के जश्न को मना रहे थे, उसी मैदान में अन्नदाता अपनी पांच मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे रहे।
Mahoba News: आजादी की 77वीं वर्षगांठ के जश्न के बीच तहसील परिसर में किसानों का धरना जारी रहा। एक तरफ जिस प्रांगण में सरकारी हुक्मरान आजादी के जश्न को मना रहे थे, उसी मैदान में अन्नदाता अपनी पांच मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे रहे। नम आंखों से किसान अधिकारियों की तरफ टकटकी लगाए देखते रहे कि शायद उनकी मांगों को मान लिया जाए।
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प्रशासन की कार्यशैली पर उठे सवाल
सदर तहसील में ध्वजारोहण में शामिल होने के बाद किसान ने फिर अपनी मांगें दोहराईं। यहां कई दिनों से किसान अपनी मांगों के पूरा होने के इंतजार में दिन-रात अनशन में डटे हुए हैं। फसल बीमा क्लेम और एमएसपी फसल खरीद राशि के भुगतान सहित पांच मांगे पूरी किये जाने को लेकर आजादी के जश्न में भी किसानों का धरना प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े करता दिखा।
किसान बीमा का नहीं मिला क्लेम, कर रहे मांग
प्रशासनिक अनदेखी की वजह से महोबा में किसान आजादी के जश्न के दिन भी अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठने को मजबूर रहे। सदर तहसील परिसर में 10 अगस्त से अन्नदाता पांच सूत्रीय मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन करने पर बैठे हैं। लेकिन छह दिन होने पर भी मांगे नहीं मानी गई। एक तरफ तहसील परिसर में एसडीएम सदर संजीव राय की मौजूदगी में अधिकारी आजादी का जश्न मनाते दिखाई दिए। ध्वजारोहण होने पर किसान भी उसमें शामिल हुए लेकिन फिर उसके बाद वापस उसी स्थान पर धरने पर बैठ गए। देशभक्ति गीतों के बीच जश्न का माहौल सदर तहसील प्रांगण में दिखाई दिया है तो उन्हीं देशभक्ति गीतों के बीच किसान अपनी मांगों को लेकर धरना देते रहे। किसान अपने घर से आटा, भाटा और चारपाई लेकर धरने पर बैठे हैं।
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किसान प्रधानमंत्री फसल बीमा के अंतर्गत बीमित किसानों का एक वर्ष से रुका क्लेम का भुगतान ब्याज सहित करने की मांग कर रहे हैं। साथ ही सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी गई फसलों का भुगतान न होने पर भी किसान नाराज हैं। बीते दिनों सरकारी केंद्र में किसानों की जगह बिचौलियों द्वारा भारी मात्रा में चना खरीदा गया, उस मामले में कार्रवाई की मांग भी किसान कर रहे हैं। किसानों की पांच मांगे हैं जिसको लेकर किसान धरने पर हैं।
किसानों ने कहा, हम आज भी गुलाम जैसे!
धरने पर बैठे किसान बालाजी ने कहा कि आज महसूस हो रहा है कि देश तो आजाद हुआ है लेकिन किसान अभी भी गुलाम हैं, किसान की कोई भी सुनने वाला नहीं है। चाहे जिसकी सरकार और जिस दल का नेता हो, सबकी सोच किसान विरोधी है। तभी हमें आजादी के दिन भी धरने पर बैठने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। यदि मांगे पूरी हो गईं होतीं तो किसान भी आजादी का जश्न मना रहे होते।
पौधा लगाने की एसडीएम की अपील, फसल की नहीं चिंता!
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर एसडीएम सदर संजीव राय सभी से एक पौधा लगाने की अपील करते देखे गए, लेकिन साहब को कौन समझाए कि जो दिन-रात मेहनत कर खेत में न केवल फसल उगाता है बल्कि पेड़ पौधों की देखभाल करता है, वह किसान इस आजादी की जश्न में धरने पर बैठने के लिए मजबूर है। जब उनसे पूछा गया कि आपके इसी प्रांगण में आजादी के रंगारंग कार्यक्रम के साथ-साथ किसानों का धरना भी चल रहा है तो उन्होंने कहा कि किसानों की जो मांगे हैं वह पूरी हुई हैं। बीमा क्लेम का ढाई करोड़ रुपया किसानों के खातों पर पहुंचा है और जो अन्य मांगे हैं उनको भी पूरा किया जाएगा।