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Meerut News: हिंदू महासभा ने वीर सावरकर को दी श्रद्धांजलि, नए संसद भवन का नाम ‘सावरकर सदन’ रखने की मांग
Meerut News: हिंदू महासभा ने भारत सरकार से नए संसद भवन का नाम सावरकर सदन रखने की मांग की है। गौरतलब है कि आज वीर सावरकर की 141वीं जयंती है।
Meerut News: हिंदू महासभा ने भारत सरकार से नए संसद भवन का नाम सावरकर सदन रखने की मांग की है। गौरतलब है कि आज वीर सावरकर की 141वीं जयंती है। इस मौके पर मेरठ में हिंदू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पंडित अशोक शर्मा की अगुवाई में हिंदू महासभा ने अपने शारदा रोड स्थित प्रमुख कार्यालय में पूजा अर्चना कर और उनका अभिषेक किया। इस दौरान हिंदू महासभा के सभी कार्यकर्ता और पदाधिकारी शामिल हुए।
अधिकारिक सरकारी रूप से ‘सावरकर सदन’ रखा जाए नाम
कार्यक्रम में उपस्थित हिंदू महासभा के प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक अग्रवाल ने इस मौके पर कहा कि हिंदू महासभा की भारत सरकार से मांग है कि आज भारत के जिस नए संसद भवन का उद्घाटन आदरणीय मोदी जी के कर कमलों द्वारा किया गया है उसका नाम अधिकारिक सरकारी रूप से सावरकर सदन रखा जाए। उन्होंने कहा कि इस भवन का नाम सावरकर सदन रखे जाने की मांग अभी हमने दो दिन पहले भी लोकसभा अध्यक्ष जी से भी की थी और आज फिर पुनः हम आदरणीय मोदी जी से एवं पूरी भारत सरकार से अपनी यह मांग कर रहे हैं।
वीर सावरकर को मिले भारत रत्न, नोट से हटे गांधीजी की फोटो
हिंदू महासभा के प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक अग्रवाल ने कहा कि इसके अलावा हम भारत सरकार से मांग करते हैं कि सरकार अतिशीघ्र श्री वीर सावरकर जी को भारत रत्न देकर सम्मानित करें एवं अति शीघ्र नए संसद भवन परिसर में श्री वीर सावरकर जी की एक विशाल अष्टधातु की प्रतिमा स्थापित कराएं। अति शीघ्र भारतीय मुद्रा पर से गांधी का चित्र हटाकर उस पर वीर सावरकर जी सहित अन्य राष्ट्रवादियों के चित्रों का चित्रण करें। साथ-साथ नए संसद भवन परिसर में गांधी वध के सभी महानायकों का एक विशाल चित्र लगाकर भारत से गांधीवाद को खत्म करने में हम हिंदू महासभा के लोगों का सहयोग करें। हिंदू महासभा ने कहा कि हमने नए संसद भवन का नाम सावरकर सदन रख दिया है, हमारे बैनर पर भी यह नाम अंकित हो चुका है।
हिन्दुत्व को विकसित करने का श्रेय सावरकर को
इससे पहले हिंदू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पंडित अशोक शर्मा ने वीर सावरकर के जीवन चित्रण का स्मरण करते हुए कहा कि हिन्दू राष्ट्रवाद की राजनीतिक विचारधारा 'हिन्दुत्व' को विकसित करने का सबसे बड़ा श्रेय सावरकर को ही जाता है। वह एक वकील, राजनीतिज्ञ, कवि, लेखक और नाटककार भी थे। उन्होंने परिवर्तित हिन्दुओं के हिन्दू धर्म को वापस लौटाने हेतु सतत प्रयास किये एवं इसके लिए कईं आन्दोलन भी चलाये। उन्होंने भारत की एक सामूहिक ‘हिन्दू’ पहचान बनाने के लिए हिंदुत्व का शब्द गढ़ा उनके राजनीतिक दर्शन में उपयोगितावाद, तर्कवाद, प्रत्यक्षवाद मानवतावाद, सार्वभौमिकता,व्यावहारिकता और यथार्थवाद के तत्व थे। सावरकर एक कट्टर तर्कबुद्धिवादी व्यक्ति थे, जो सभी धर्मों के रूढ़िवादी विश्वासों का विरोध करते थे और वह अपने पूरे जीवन काल में सिर्फ और सिर्फ एक ही राजनीतिक संगठन से जुड़े रहे जिस संगठन का नाम अखिल भारत हिंदू महासभा है।
कार्यक्रम में इनकी रही उपस्थिति
कार्यक्रम में मुख्य रूप से हिंदू डिफेंस लिंग के राष्ट्रीय संयोजक निशांत जिंदल, हिंदूवादी नेता प्रतीक त्यागी, महानगर अध्यक्ष भरत राजपूत, महानगर मंत्री प्रथम दीक्षित, हनी कुमार, मीडिया प्रभारी प्रताप राणा और प्रचार मंत्री अरविंद शर्मा कार्यालय मंत्री शानू गोयल, सेंटी सहित अन्य हिंदू महासभा के कार्यकर्ता उपस्थित थे।