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तकदीर का मारा ! रात में गायब कपड़े, खाओ तो गन्दा हो जाता है खाना

धरवारा गांव मेें एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यह मामला सुनने पर पहले तो कोई भरोसा ही नहीं करेगा। हर कोई यही कहेगा कि किसी ने यह झूठी कहानी बनायी है। जबकि सच यह है कि इस गांव के रहने वाले घुरहू डोम के परिवार में आधा दर्जन से अधिक सदस्य हैं।

Vidushi Mishra
Published on: 13 Aug 2019 1:59 PM GMT
तकदीर का मारा ! रात में गायब कपड़े, खाओ तो गन्दा हो जाता है खाना
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तकदीर का मारा ! रात में गायब कपड़े, खाओ तो गन्दा हो जाता है खाना

आजमगढ़ : जिले की सदर तहसील के जहानागंज थाना क्षेत्र अंतर्गत एक गांव है धरवारा। इस गांव के रहने वाले एक गरीब परिवार पर आखिर कुदरत का कहर क्यों बरपा है, यह बात किसी के भी समझ में नहीं आ रही है।

हैरान कर देने वाला मामला

हो यह रहा है कि इस परिवार के सदस्य भीख मांग कर खाने पीने की सामग्रियां एकत्र कर रहे हैं। वह सारी सामग्रियां जहां एक में मिल जा रही हैं वहीं उन सामग्रियों में मैला और मिट्टी भी मिक्स हो जा रहा है। इन स्थितियों के बीच पूरा परिवार एक पखवारे से भुखमरी के कगार पर है। उसकी समस्या का समाधान करने वाला कोई नहीं है।

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धरवारा गांव मेें एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यह मामला सुनने पर पहले तो कोई भरोसा ही नहीं करेगा। हर कोई यही कहेगा कि किसी ने यह झूठी कहानी बनायी है। जबकि सच यह है कि इस गांव के रहने वाले घुरहू डोम के परिवार में आधा दर्जन से अधिक सदस्य हैं।

घुरहू डोम का परिवार

इस गांव के आधा दर्जन डोम परिवारों में अधिकांश की आजीविका बांस की दौरी इत्यादि से चलती है। जबकि घुरहू डोम के परिवार की आजीविका का साधन भीख पर निर्भर है। इस परिवार के सदस्य इलाके में घूम कर दिन भर भीख मांगते हैं और जो भी मिलता है वही पूरा परिवार खाता पीता है।

इधर एक पखवारे से यह परिवार कुदरत का कहर झेल रहा है। हो यह रहा है कि परिवार के सदस्य पूर्व की भांति इलाके में घूमकर भीख मांग रहे हैं और भिक्षा में उनको अनाज व पैसे भी मिल रहे हैं। यह अलग बात है कि परिवार के सदस्य जब भीख मांग कर घर लौट रहे हैं तो चावल, दाल, गेहूं, आटा, दाल, नमक जो वह गठरी में अलग-अलग बांध कर रखे रहते हैं, वह एक में मिल जा रहा है।

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इतना ही नहीं एक में मिल जा रहे इन खाद्य समाग्रियों में मिट्टी और मैला भी मिक्स हो जा रहा है। देखते ही देखते उनके सामने से ही भीख मांग कर लायी गयी यह गठरी गायब हो जा रही है। परिवार के सदस्य जब इस गठरी को खोज रहे हैं तो वह सामने पोखरी में मिल रही है। वहां से लाकर चावल, दाल आदि चीजें धुलकर अगर परिवार की महिलाएं उसे बनाने के लिए जा रही हैं तो उसमें मैला टपक जा रहा है।

ऐसी स्थिति में एक पखवारे से परिवार भूखे रह जा रहा है। बात यहीं पर खत्म नहीं हो जा रही है। इस परिवार के सदस्य रात को जो वस्त्र पहन कर सो रहे हैं वह उनके शरीर से गायब हो जा रहा है। पूरा परिवार नग्न हो जा रहा है। जब लोग अपने गायब हुए वस्त्रों को खोज रहे हैं तो, वह भी पोखरी से ही बरामद हो रही है।

इतनी हैरत अंगेज घटना, चुप है प्रशासन

इतनी हैरत-अंगेज घटना होने के बावजूद प्रशासनिक अमला पूरी तरह से चुप है। इस बाबत पर कोई बोलने को तैयार नहीं है। ऐसे में प्रशासन की भूमिका पूरी तरह से नकारेपन जैसी है।

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इन स्थितियों के बीच परिवार के सदस्य आखिर क्या खायें, इस पर प्रशासन के लोग कुछ नहीं सोच रहे हैं। रात को सोते समय परिवार के सदस्य नंगे हो जा रहे हैं। इस मामले में भी प्रशासन पूरी तरह से चुप्पी अख्तियार किए हुए है। जब शासन का आदेश है कि भूख से किसी की मौत नहीं होनी चाहिए तो भुखमरी के कगार पर पहुंच चुके इस परिवार के लिए भोजन का प्रबंध जिला प्रशासन की ओर से क्यों नहीं किया जा रहा है।

यदि यह मामला अफवाह का है तो, अफवाह फैलाने वाले समाज में अराजकता की स्थिति पैदा करना चाहते हैं। आखिर प्रशासन इन पर नकेल क्यों नहीं कस रहा है। यदि यह हैरत-अंगेज मामला सही है, तो प्रशासन की ओर से इससे निपटने के लिए अभी तक क्या किया गया, यह उसे सार्वजनिक करना चाहिए।

गांव मेें हो रही तरह-तरह की चर्चाएं

इसे लेकर गांव में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं। कुछ लोग इसे प्रेत छाया बता रहे हैं तो कुछ लोग यह कह रहे हैं कि इस खानदान के किसी व्यक्ति ने किसी निचले समुदाय के व्यक्ति की हत्या की होगी। वही अब प्रेतात्मा बनकर इस परिवार को परेशान कर रहा हैे।

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इस गांव के रहने वाले समाजसेवी देवेंद्र मिश्र का कहना है कि घुरहू डोम की व्यथा जानने के बाद वह उसके घर पहुंचे थे। उसी समय उस परिवार की एक महिला भीख मांग कर आयी और उनके सामने ही गठरी रख दी। उनके देखते-देखते गठरी गायब हो गयी और वह गांव के पोखरी में मिली। पूरा गांव इस परिवार के दर्द से दुखी है।

गांव के पूर्व प्रधान अखिलेश सिंह मुन्ना का कहना है कि भोजन में बदबूदार कीट आदि भी मिल जा रहे हैं। ऐसे में इस परिवार की मदद होनी चाहिए। परिवार के सदस्य यही प्रयास कर रहे हैं कि भीख के रूप में लोग उनको पका हुआ भोजन ही दें जिससे वह अपने पेट की क्षुधा शांत कर सकें।

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Vidushi Mishra

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