TRENDING TAGS :
Moradabad News: देवबंद में अंग्रेजी पढ़ने पर प्रतिबंध का मामला, जमीयत उलेमा हिंद आया आगे, पेश की ये सफाई
Moradabad News: सोशल मीडिया पर दारुल उलूम देवबंद के नाम से वायरल हो रहे एक पत्र पर सफ़ाई देते हुए जमीयत उलेमा हिंद के लीगल एडवाइजर मौलाना काब अशहद रशीदी ने कहा कि वायरल हो रहा पत्र दारुल देवबंद का कोई फतवा नहीं, बल्कि दारुल देवबंद में इस्लामिक शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्रों के लिए दिशानिर्देश को लेकर जारी किया गया।
Moradabad News: सोशल मीडिया पर दारुल उलूम देवबंद के नाम से वायरल हो रहे एक पत्र पर सफ़ाई देते हुए जमीयत उलेमा हिंद के लीगल एडवाइजर मौलाना काब अशहद रशीदी ने कहा कि वायरल हो रहा पत्र दारुल देवबंद का कोई फतवा नहीं, बल्कि दारुल देवबंद में इस्लामिक शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्रों के लिए दिशानिर्देश को लेकर जारी किया गया। दिशा निर्देश वाला एक पत्र है, जिसमें यह लिखा गया है कि वह इंग्लिश जैसी किसी भी लैंग्वेज में वक्त बर्बाद न कर जिस तालीम के लिए एडमिशन लिया है उस पर ध्यान दें।
जब कोई तालिब ए इल्म (छात्र) दारुल देवबंद में एडमिशन लेता है उसे फ्री ऑफ़ कॉस्ट एडमिशन, कोर्स, हॉस्टल, शिक्षा, मेडिकल, मेस में खाना मिलता है। तो इसीलिए ये लेटर जारी किया गया है कि जिस कोर्स में आपने एडमिशन लिया है सिर्फ़ उसे ही पढ़े, ये नहीं कि रहें दारूल उलूम देवबंद में और कहीं और एडमिशन कराकर दूसरा कोर्स करें। मीडिया ने दारूल उलूम देवबंद का उर्दू में जारी पत्र को तोड़ मरोड़ कर पेश किया है। पत्र में ऐसा कुछ नहीं है जो किसी नियमों का उल्लंघन करता हो।
उत्तराखंड में मुस्लिमों के पलायन पर भी जारी किया बयान
जमीयत उलेमा हिंद की ओर से मौलाना काब अशहद रशीदी ने उत्तराखंड के उत्तरकाशी से मुस्लिमों के पलायन कराने पर कहा कि अगर किसी ने अपराध किया है तो उस पर सख्त कानून के तहत कार्रवाई कीजिए। उसको फांसी पर लटका दीजिए, अपराधी का कोई धर्म या जाति नही होती है। अपराधी तो बस अपराधी ही होता है, लेकिन एक अपराधी के अपराध करने के बदले में आप किसी एक समुदाय को निकाल देंगे, मैं समझ रहा हूं उत्तराखंड रिकार्ड 27 फीसदी इतनी बेरोजगारी है कि खुद उत्तराखंड के लोग जो पहाड़ों पर रहते हैं वह मैदानी इलाकों में रोजगार की तलाश करने आ रहे हैं। पहले तो उत्तराखंड के मुख्यमंत्री धामी जी को उस पर ध्यान देना चाहिए। 7 लाख लोग बेरोजगार हैं उत्तराखण्ड में, इतनी तो वहां नौकरियां भी नहीं हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार पहाड़ों पर रहने वाले 60फीसदी लोग रोज़गार की तलाश में पलायन कर गए हैं। वहां की सरकार को इसपर ध्यान देना चाहिए।
Also Read