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योगी सरकार को नोटिस: हाथरस गैंगरेप पर सवाल, मानवाधिकार आयोग ने मांगा जवाब
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश सरकार और प्रदेश के डीजीपी को नोटिस जारी किया है। आयोग की ओर से इस मामले में चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया है।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के हाथरस में दलित लड़की के साथ की गई हैवानियत का मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग तक पहुंच गया है। गैंगरेप के बाद इस दलित लड़की की मौत और रात में पुलिस की ओर से जबर्दस्ती उसका अंतिम संस्कार किए जाने से पूरे देश में गुस्सा भड़क उठा है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश सरकार और प्रदेश के डीजीपी को नोटिस जारी किया है। आयोग की ओर से इस मामले में चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया है।
दलित लड़की के साथ हैवानियत
हाथरस की दलित लड़की के साथ की गई हैवानियत इस समय पूरे देश में मीडिया और सोशल मीडिया में चर्चा का विषय बनी हुई है। 19 साल की दलित लड़की के साथ कुछ दिनों पहले गैंगरेप किया गया था।
हैवानों ने लड़की की जीभ काटने के साथ ही उसकी रीढ़ की हड्डियां भी तोड़ दी थीं। स्थानीय अस्पताल में इलाज के बाद उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां इस लड़की ने दम तोड़ दिया।
आधी रात में जबर्दस्ती किया अंतिम संस्कार
बाद में उसका शव हाथरस पहुंचने पर पुलिस ने जोर जबर्दस्ती से आधी रात के समय अंतिम संस्कार करा दिया। पीड़िता के परिवार का आरोप है कि अंतिम संस्कार के समय कोई भी परिजन मौजूद नहीं था। परिवार के बार-बार अनुरोध के बावजूद पुलिस ने पीड़िता के शव को घर तक नहीं ले जाने दिया।
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हालांकि यूपी पुलिस की ओर से अंतिम संस्कार में परिजनों की सहमति और उनके मौजूद रहने का दावा किया गया है।
आयोग ने लिया स्वत: संज्ञान
अब दलित लड़की से की गई हैवानियत का मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग तक पहुंच गया है। आयोग की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि हाथरस में 19 साल की दलित लड़की से हैवानियत और गैंगरेप मामले का आयोग ने स्वत: संज्ञान लिया है।
आयोग की ओर से इस बाबत राज्य सरकार के मुख्य सचिव और उत्तर प्रदेश के डीजीपी को नोटिस जारी किया गया है। दोनों अफसरों को इस मामले में 4 सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया है।
पूरी तरह अक्षम दिखी पुलिस
आयोग की ओर से कहा गया है कि अनुसूचित जाति की इस लड़की का यौन उत्पीड़न करने के साथ ही उसके साथ बर्बरता भी की गई है। आयोग के मुताबिक स्पष्ट है कि पुलिस समय पर कार्रवाई करने में पूरी तरह अक्षम दिखी जिसके कारण इस लड़की को क्रूरता का शिकार होने से नहीं बचाया जा सका।
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अपराधियों के मन में कानून का डर नहीं
आयोग का यह भी कहना है कि दलित लड़की के साथ की गई यह घटना काफी वीभत्स है और जिस तरह अपराधियों ने इसे अंजाम दिया है उससे साफ है कि उनके मन में कानून का कोई भी डर नहीं था।
इस घटना से परिवार को अपूरणीय क्षति हुई है और परिवार की ओर से पुलिस पर जबरन पीड़िता के शव का अंतिम संस्कार करने का आरोप भी लगाया गया है। आयोग ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए यूपी सरकार से जवाब तलब किया है।
हाथरस कांड पर पूरे देश में गुस्सा
हाथरस कांड को लेकर पूरे देश में गुस्सा भड़क गया है और बुधवार को देश के विभिन्न हिस्सों में इस घटना के खिलाफ प्रदर्शन किए गए। सड़कों पर उतरने वाले विभिन्न पार्टियों के कार्यकर्ताओं ने पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने और दोषियों को फांसी की सजा देने की मांग की है।
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सियासी दलों ने भी इस घटना को लेकर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर हमला बोला है और आरोप लगाया है कि सरकार की लचर कार्यप्रणाली के चलते प्रदेश में अपराधियों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं।
मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन
इस मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तीन सदस्यीय एसआईटी का गठन किया है और इस मामले में एसआईटी से 7 दिन में रिपोर्ट तलब की गई है। मुख्यमंत्री ने इस मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाने का भी निर्देश दिया है।
मुख्यमंत्री ने बुधवार को देर शाम मृतका के पिता से वीडियो कॉल पर बात की और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के साथ ही परिवार को हर संभव मदद देने का भरोसा दिया। उन्होंने मृतका के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी के साथ ही 25 लाख रुपए के आर्थिक मदद व हाथरस में एक घर देने की भी घोषणा की है।
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