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पावर कार्पोरेशन PF घोटाले में दोषी कंपनी के खिलाफ अभी तक FIR नहीं: संघर्ष समिति
पावर कार्पोरेशन में हुए पीएफ घोटाले के मामलें में विरोध में उतरी विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने खुलासा करते हुए कहा है कि घोटाले की दोषी कंपनी डीएचएफएल के खिलाफ अब तक कोई एफआईआर नहीं दर्ज हुई है।
लखनऊ: पावर कार्पोरेशन में हुए पीएफ घोटाले के मामलें में विरोध में उतरी विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने खुलासा करते हुए कहा है कि घोटाले की दोषी कंपनी डीएचएफएल के खिलाफ अब तक कोई एफआईआर नहीं दर्ज हुई है। समिति ने दागी कंपनी के लिए इस सहानुभूति की वजह पूछते हुए, पूर्व चेयरमैन के कार्यकाल में ढाई साल तक ट्रस्ट की कोई मीटिंग न होने के बावजूद दागी कम्पनी को 4122 करोड़ रुपये के भुगतान पर सवाल खड़ा किया है।
संघर्ष समिति का कहना है कि इस अवैध लेन-देन की सारी जिम्मेदारी पूर्व चेयरमैन की है। समिति ने मुख्यमंत्री से बिजली कर्मचारियों के प्राविडेन्ट फण्ड के भुगतान की जिम्मेदारी लेते हुए तत्काल गजट नोटिफिकेशन जारी करने की मांग दोहराई है।
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ढ़ाई साल तक ट्रस्ट की कोई बैठक न होने पर संघर्ष समिति ने उठाया सवाल
संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने सोमवार को कहा कि जानकारी मिली है कि पावर कार्पोरेशन के पूर्व चेयरमैन को ईपीएफओ ने ट्रस्ट घोटाले के बाबत नोटिस पर नोटिस दी लेकिन उन्होंने इसका कोई जवाब देना तो दूर रहा वे दागी कम्पनी को लगातार भुगतान भी करते रहे। ऐसे में सारे घोटाले का सच जानने के लिए घोटाले के सबसे अधिक जिम्मेदार, पूर्व चेयरमैन को सेवा से बर्खास्त कर तत्काल गिरफ्तार किया जाये।
इधर, संघर्ष समिति के आह्वान पर सोमवार को सातवें दिन भी बिजली कर्मचारियों व अभियन्ताओं ने राजधानी लखनऊ सहित प्रदेश भर में सभी परियोजनाओं व जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन कर अपना आक्रोश व्यक्त किया। संघर्ष समिति ने कहा है कि प्राविडेन्ट फण्ड घोटाले पर पर्दा डालने की कोशिश हो रही है।
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डीएचएफएल किस बूते बिजली कर्मचारियों के भुगतान की गारण्टी ले रही है
पहले ऊर्जा मंत्री ने कहा कि प्राविडेन्ट फण्ड भुगतान की जिम्मेदारी यूपीपीसीएल ले लेगा और अब दागी कम्पनी डीएचएफएल बयान दे रही है कि वह भुगतान की जिम्मेदारी लेती है। संघर्ष समिति ने सवाल किया कि 84 हजार करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज में डूबी दागी कम्पनी डीएचएफएल किस बूते बिजली कर्मचारियों के भुगतान की गारण्टी ले रही है।
समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि डीएचएफएल से भुगतान पर बाम्बे हाईकोर्ट ने पहले ही रोक लगा रखी है। इसके अतिरिक्त पावर कारपोरेशन के पूर्व चेयरमैन ने डीएचएफएल से भुगतान कराने हेतु तीन दिन पूर्व रिजर्व बैंक आफ इंडिया को पत्र लिखा है जिससे स्पष्ट है कि पावर कारपोरेशन को खुद भरोसा नहीं है कि डीएचएफएल से पैसा वापस लिया जा सकता है।
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संघर्ष समिति ने कहा कि एकमात्र रास्ता यही है कि उत्तर प्रदेश सरकार जिम्मेदारी लेते हुए गजट नोटिफिकेशन जारी कर, प्राविडेन्ट फण्ड का भुगतान सुनिश्चित करे।