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लॉकडाउन: लोगों के लिए वरदान साबित हो रही प्रभु जी की रसोई, ऐसे मिल रही मदद
कोरोना को लेकर पूरे विश्व में हाहाकार मचा हुआ है। ऐसे में शामली में प्रभु जी की रसोई पैदल अपने घर जाने वाले लोगों के लिए वरदान साबित हो रही है।
शामली: कोरोनावायरस को लेकर जहां देश ही नहीं अपितु पूरे विश्व में हाहाकार मचा हुआ है। लोग अपने घरों तक पहुंचने के लिए पैदल ही निकल रहे हैं। और हजारों किलोमीटर की दूरी पैदल तय कर रहे हैं। तो वहीं उन्हें रास्ते में खाने के लिए कुछ नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में शामली में प्रभु जी की रसोई पैदल अपने घर जाने वाले लोगों के लिए वरदान साबित हो रही है। जहां पर लोगों के लिए खाने की व्यवस्था की गई है।
पैदल आने वालों के लिए व्यवस्था
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भारत लॉकडाउन के दौरान प्रभु जी की रसोई लोगों के लिए वरदान साबित हो रही है और लोग यहां पर खाना खा रहे हैं। प्रभु जी की रसोई में इस बात का भी ध्यान रखा गया है कि कोरोनावायरस से किसी को परेशानी ना हो लिहाजा प्रभु जी की रसोई में खाना खाने के दौरान बैठने के लिए देख 1 मीटर की दूरी तय की गई है और लोग वहीं पर बराबर दूरी पर खाना खा रहे हैं। प्रभु जी की रसोई में खाने में लोगों को आलू कचौड़ी व मिष्ठान में लडडू दिया जा रहा है।
600 किलोमीटर की दूरी तय करके आ रहे लोग
भारत लॉकडाउन होने के दौरान लोग जहां थे वहीं फस गए। तो कुछ लोग ऐसे भी थे जो कि अपने घरों से काम करने के लिए दूसरे जनपद और राज्यों में गए हुए थे जो कि भारत लॉक डाउन होने के बाद अब वापस अपने घर लौट रहे हैं। भारत लॉक डाउन के दौरान सभी वाहन बंद हैं। इसलिए लोग हजारों किलोमीटर की दूरी पैदल तय कर रहे हैं।
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आज जनपद शामली से कुछ लोग ऐसे ही गुजरे जो कि पानीपत फैक्ट्री में काम करते हैं और जिला बदायूं और मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं। जो कि पैदल ही पानीपत से अपने घर की ओर बढ़ रहे हैं। जो कि करीब 600 किलोमीटर की दूरी तय कर अपने घर तक पहुंचेगे।
रास्ते में नहीं मिली कोई खुली दूकान
जब उनसे पूछा गया कि आखिर वह कहां जा रहे हैं तो उन्होंने बताया कि वह अपने घर जा रहे हैं और घर जाना उनकी मजबूरी बन गई है। क्योंकि तमाम फैक्ट्रियां बंद हो चुकी हैं और वह दिहाड़ी मजदूरी का काम करते हैं। जिस कारण अब उनके पास पैसे भी खत्म हो चुके हैं। जिसकी वजह से वह अपने घर लौट रहे हैं।
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घर लौट रहे लोगों ने बताया कि वह पानीपत से शामली तक पहुंचे हैं जहां पर उन्हें रास्ते में कोई भी दुकान खुली हुई नहीं मिली और ना ही कही खाने को कुछ मिला। लेकिन शामली में प्रभु जी की रसोई पर उन्हें खाना मिला जहां पर उन्होंने खाना खा लिया और अब वह अपने घरों की तरफ चल पड़े है।
रोज आते 150-200 लोग
प्रदीप का कहना है कि जो यह लॉक डाउन हुआ है इसमें लोग को साधन नहीं मिल रहा है। कुछ लोग पानीपत से आए थे, जिन्हें रास्ते में खाने की व्यवस्था नहीं मिली। हम लोगों ने यहां पर खाने की व्यवस्था कराई हुई है।
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जो लोग भूखे हैं उन लोगों को खाना दिया जा रहा है और खाने में लड्डू पूरी और आलू दिए जा रहे हैं। लगभग रोज डेढ़ सौ से 200 लोग यहां पर आकर खाना खाते हैं और यहां पर लोगों दूरी पर बैठाकर खाना खिलाया जा रहा है।