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Prayagraj News: डीआईजी स्थापना रहे डॉ राकेश शंकर को आईजी पद पर नोशनल पदोन्नति देने का निर्देश
Prayagraj News: केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) इलाहाबाद ने डी आई जी स्थापना एवं कार्मिक उत्तर प्रदेश पुलिस मुख्यालय रहे डॉ राकेश शंकर को आई जी के पद पर नोशनल पदोन्नति सहित अन्य समस्त लाभ देने का निर्देश दिया है।
Prayagraj News: केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) इलाहाबाद ने डी आई जी स्थापना एवं कार्मिक उत्तर प्रदेश पुलिस मुख्यालय रहे डॉ राकेश शंकर को आई जी के पद पर नोशनल पदोन्नति सहित अन्य समस्त लाभ देने का निर्देश दिया है। कैट ने आईजी पद पर पदोन्नति न देने के अपर मुख्य सचिव गृह उत्तर प्रदेश शासन द्वारा 5 अगस्त 2021 को पारित आदेश को निरस्त कर दिया है।
आदेश दुर्भावना से ग्रसित है- कैट
यह आदेश कैट के न्यायमूर्ति ओम प्रकाश- सप्तम सदस्य (न्यायिक) एवं सदस्य प्रशासनिक मोहन प्यारे की खंडपीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम एवं अतिप्रिया गौतम को सुनकर पारित किया। अपर मुख्य सचिव गृह द्वारा 5 अगस्त 2021 को पारित आदेश को निरस्त करते हुए कैट ने कहा कि यह आदेश दुर्भावना से ग्रसित है। याची डीआईजी की तरफ से सीनियर एडवोकेट विजय गौतम का कहना था सुप्रीम कोर्ट ने केवी जानकी रमण के प्रकरण में यह कानून प्रतिपादित कर दिया है कि प्रमोशन के मामले में बंद लिफाफा की कार्रवाई वही की जाएगी जहां पर अपचारी कर्मचारी के विरुद्ध या तो विभागीय आरोप पत्र दिया गया हो अथवा उसके खिलाफ किसी आपराधिक केस में आरोप पत्र प्रेषित किया गया हो।
अधिवक्ता का कहना था कि उक्त दोनों परिस्थितियों में ही बंद लिफाफा की कार्रवाई की जा सकती है, वशर्तें की डीपीसी होने के दिनांक के समय उक्त दोनों कार्रवाई हुई हो। कहा गया था कि डीआईजी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई का आरोप पत्र 2 जनवरी 2020 को प्राप्त कराया गया था जबकि डीपीसी 31 दिसंबर 2019 को हुई थी और उस तारीख तक याची के खिलाफ किसी भी प्रकार का कोई भी आरोप पत्र नहीं दिया गया था।
कैट के समक्ष यह तथ्य भी लाया गया था कि याची से वरिष्ठता सूची में कनिष्ठ 3 आईपीएस अफसरों जिसमें डीआईजी सत्येंद्र कुमार सिंह, जितेंद्र कुमार शुक्ला एवं पीयूष श्रीवास्तव का नाम शामिल है, उन्हें पदोन्नति प्रदान कर दी गई जबकि याची की पदोन्नति नहीं किया गया।