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छुपाये जा रहे कोरोना संक्रमितों के आंकड़े, राम गोविंद चौधरी ने CM योगी को लिखा पत्र 

अधिकारियों द्वारा जानबूझकर वास्तविक कोरोना संक्रमितों की संख्या छुपाई जा रही है, जांच की स्थिति बहुत ही निराशाजनक है। यहां तक कहा जा रहा है कि वास्तविक आंकड़े छिपाने के लिए प्रशासन द्वारा चुपचाप अंतिम संस्कार तक करा दिया जा रहा है।

SK Gautam
Published on: 4 May 2020 1:34 PM GMT
छुपाये जा रहे कोरोना संक्रमितों के आंकड़े, राम गोविंद चौधरी ने CM योगी को लिखा पत्र 
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लखनऊ: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता व विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामगोविन्द चौधरी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिख कर कहा है कि सरकारी अधिकारियों द्वारा जानबूझकर वास्तविक कोरोना संक्रमितों की संख्या छुपाई जा रही है, जांच की स्थिति बहुत ही निराशाजनक है। यहां तक कहा जा रहा है कि वास्तविक आंकड़े छिपाने के लिए प्रशासन द्वारा चुपचाप अंतिम संस्कार तक करा दिया जा रहा है। उन्होंने कोरोना वायरस की जांच प्रणाली को व्यापक कर सही आकंड़े और सही इलाज की व्यवस्था करने तथा प्रवासी कामगारों व श्रमिकों की वापसी की व्यवस्था मुफ्त किए जाने की मांग की है।

नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लिखा पत्र

अपने पत्र में नेता प्रतिपक्ष ने लिखा है कि यूपी में 10 लाख से अधिक प्रवासी कामगार व श्रमिक पहुंच रहे हैं। स्वाभाविक है कि इनमें कोविड-19 से ग्रसित लोगों की काफी संख्या हो सकती है। क्योंकि अधिकांश प्रवासी ऐसे स्थानों से आ रहे हैं, जहाॅ कोविड-19 का प्रभाव व्यापक स्तर पर है। उन्होंने कहा है कि यूपी में कोविड-19 की जांच क्षमता नाकाफी है। पूरे प्रदेश में प्रतिदिन केवल 2100 लोगों की ही जांच हो पा रही है जिसमें लगभग 100 मरीज रोज पाजिटिव मिल रहे हैं अगर पर्याप्त मात्रा मंे जांच की व्यवस्था हो, तो मरीजों की सही संख्या सामने आयेगी और इसे भयावह स्थिति तक पहुंचने से रोका जा सकेगा। नेता प्रतिपक्ष ने मुख्यमंत्री को रूस से सीख लेने की सलाह देते हुए कहा कि रूस ने केवल तीन हफ्ते में 33 लाख से ज्यादा कोरोना टेस्ट करके लगभग एक माह के अन्दर एक लाख केस उजागर कर लिए।

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अधिकारियों द्वारा छुपाई जा रही है वास्तविक कोरोना संक्रमितों की संख्या: रामगोविंद चौधरी

उन्होंने लिखा है कि उनके संज्ञान में आया है कि उत्तर प्रदेश में सरकारी अधिकारियों द्वारा जान बूझकर वास्तविक संक्रमितों की संख्या छुपाई जा रही है। जांच की स्थिति बहुत ही निराशाजनक है। यहां तक कहा जा रहा है कि वास्तविक आंकड़े छिपाने के लिए प्रशासन द्वारा चुपचाप अंतिम संस्कार तक करा दिया जा रहा है। चौधरी ने कहा कि अगर यह खबरंे सही हैं तो बेहद खतरनाक व आत्मघाती हैं। कोरोना से मौतों को जो छिपा रहे हैं, वो समाज के दुश्मन हैं। सरकार को काफी सचेत रहने की आवश्यकता है। आंकड़ों के खेल से संक्रमितों की संख्या छिपाने से कोरोना नहीं जायेगा उल्टे और भयंकर स्थिति उत्पन्न हो जायेगी।

शहरों में उनके सामने भूख, अभाव व बेबसी के हालात पैदा हो गये हैं

नेता प्रतिपक्ष ने प्रवासी कामगारों व श्रमिकों की समस्यां उठाते हुए कहा कि बीती 24 मार्च के बाद से लाकडाउन के चलते लाखों प्रवासी कामगारों व श्रमिकों के सामने रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो गयी है। इस आपदा के कारण दूसरे राज्यों और शहरों में उनके सामने भूख, अभाव व बेबसी के हालात पैदा हो गये हैं, सरकार ने घोषणा की थी कि इन्हें निशुल्क घर वापसी की व्यवस्था की जायेगी, पर यह भी गरीब-बेबस मजदूरों के साथ धोखा हुआ।

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उन्होंने कहा कि प्रवासी मजदूरों को वापस लाने की कोई योजनाबद्ध व पुख्ता इंतजाम नहीं किया गया है। अभी दो दिन पहले रेलगाड़ियांे से भेजे जाने वाले लोगों से दो से तीन गुना तक किराया वसूला गया है जो बहुत ही निन्दनीय है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार सहायता फण्ड में करोड़ों रुपये रहते दिवालिया हो गयी है, तो समाजवादी पार्टी इन प्रवासी मजदूरों का किराया वहन करने के लिए तैयार है।

उन्होंने कहा कि दूसरे राज्यों से उत्तर प्रदेश में कितने प्रवासी कामगार आयेंगे, उनको 14 दिनों तक कहा-कहा क्वारंटीन किया जायेगा, इसका सही आंकलन अभी तक नहीं हो सका है। प्रवासियों को क्वारिंटीन के लिए किसी स्कूल या भवन में स्थानीय लोगों या ग्राम प्रधानों के सहारे छोड़ दिया जा रहा है, यहाॅ न बच्चों के लिए दूध, न खाने की व्यवस्था हो पा रही है, न उनके लेटने-बैठने की सही व्यवस्था हो पा रही है।

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जरूरतमंदों द्वारा डायल करने पर हैल्पलाइन नम्बर उठते ही नहीं

सरकार का यह दायित्व है कि उनके आवास, भोजन व चिकित्सा की सही व्यवस्था करें। अधिकारियों के जो हैल्पलाइन नम्बर प्रचारित किये गये है, वह जरूरतमंदों द्वारा डायल करने पर उठते ही नहीं हैं और जो जैसे- तैसे उठ भी जाते हैं, उन पर नियुक्त अधिकारियों या कर्मचारियों द्वारा दूसरे से सम्पर्क करने को बोलकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर दी जाती है। इसके साथ ही पैदल आने-जाने वाले गरीब प्रवासियों के साथ प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा घोर अमानवीय व अभद्रता का व्यवहार किया जा रहा है।

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