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राम मंदिर विवाद: जानिए कौन था मुख्य मुस्लिम पक्षकार, इकबाल से क्या था नाता

अयोध्या मामले में एक मुस्लिम पक्षकार इकबाल असांरी की इन दिनों खूब चर्चा है। इसके पहले अयोध्या भूमि विवाद के मुख्य पैरोकार उनके पिता 96 वर्षीय मोहम्मद हाशिम अंसारी इस केस के मुख्य पैरोकार हुआ करते थे। उनके निधन के बाद यह मुकदमा उनके बेटे इकबाल अंसारी लड़ रहे हैं।

Dharmendra kumar
Published on: 20 Aug 2023 8:52 PM IST
राम मंदिर विवाद: जानिए कौन था मुख्य मुस्लिम पक्षकार, इकबाल से क्या था नाता
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श्रीधर अग्निहोत्री

लखनऊ: अयोध्या मामले में एक मुस्लिम पक्षकार इकबाल असांरी की इन दिनों खूब चर्चा है। इसके पहले अयोध्या भूमि विवाद के मुख्य पैरोकार उनके पिता 96 वर्षीय मोहम्मद हाशिम अंसारी इस केस के मुख्य पैरोकार हुआ करते थे। उनके निधन के बाद यह मुकदमा उनके बेटे इकबाल अंसारी लड़ रहे हैं।

हाशिम अंसारी की मौत के बाद बाबरी मस्जिद की तरफ से अब कोई पक्षकार जीवित नहीं बचा है। हाशिम अंसारी की 2016 में बीमारी से मौत हो गयी थी जिसके बाद उनके बेटे इकबाल अंसारी को मुस्लिम पक्षकार बनना पड़ा।

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इकबाल अंसारी

मंदिर-मस्जिद मामले के कानूनी जानकारों का कहना है कि 1961 में बाबरी मस्जिद के मालिकाना हक को लेकर मुकदमा करने वाले 9 मुस्लिम पक्षकारों में हाशिम की भी 2016 में मौत हो गयी। उनके निधन के बाद उनके बेटे इकबाल अंसारी मुकदमे के पक्षकार हैं।

इकबाल अंसारी के पिता हाशिम अंसारी साठ साल तक बाबरी मस्जिद के लिए कानूनी लड़ाई लड़ते रहे। वे सन 1949 से बाबरी मस्जिद के लिए पैरवी करते रहे। अंसारी का परिवार कई पीढ़ियों से अयोध्या में रह रहा है। हाशिम अंसारी साल 1921 में पैदा हुए, लेकिन जब वे सिर्फ ग्यारह साल के थे, तो सन 1932 में उनके पिता का निधन हो गया था।

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हाशिम अंसारी

उन्होंने महज दूसरी कक्षा तक पढ़ाई की और फिर सिलाई यानी दर्जी का काम करने लगे। बाद में उनकी शादी पास ही के जिले फैजाबाद में हुई। अंसारी के दो बच्चे हुए जिनमें एक बेटा और एक बेटी पैदा हुई।

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उन्होंने एक बार अपने इंटरव्यू में कहा था कि उनका सभी के साथ सामाजिक मेलजोल था इसलिए लोगों ने उनसे मुकदमा करने को कहा और वो बाबरी मस्जिद का पैरोकार बन गए। बाद में 1961 में जब सुन्नी वक्फ बोर्ड ने मुकदमा किया तो उसमे भी अंसारी एक मुद्दई बने।

6 दिसंबर 1992 के बलवे में बाहर से आए दंगाइयों ने उनका घर जला दिया, लेकिन अयोध्या के हिंदुओं ने उन्हें और उनके परिवार को दंगाईयों की भीड़ से बचाया।



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Dharmendra kumar

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