×

कहां है सरयू जो अयोध्या से पहले घाघरा में मिलती है

प्रदेश सरकार घाघरा का नाम बदलकर सरयू करने पर विचार कर रही है। राजस्व विभाग के एक अधिकारी ने बताया है कि इस संबंध में कार्यवाही शुरू कर दी गई है। लेकिन सूबे में योगी आदित्यनाथ सरकार बनने के बाद और आज से लगभग सवा दो साल पहले 22 सितंबर 2017 को भी एक खबर आई थी।

Dharmendra kumar
Published on: 31 Dec 2019 10:08 PM IST
कहां है सरयू जो अयोध्या से पहले घाघरा में मिलती है
X

रामकृष्ण वाजपेयी

लखनऊ: प्रदेश सरकार घाघरा का नाम बदलकर सरयू करने पर विचार कर रही है। राजस्व विभाग के एक अधिकारी ने बताया है कि इस संबंध में कार्यवाही शुरू कर दी गई है। लेकिन सूबे में योगी आदित्यनाथ सरकार बनने के बाद और आज से लगभग सवा दो साल पहले 22 सितंबर 2017 को भी एक खबर आई थी जिसमें यह कहा गया था कि उत्तर प्रदेश सरकार ने अयोध्या से होकर बहने वाली घाघरा नदी का नाम सरयू करने का निर्णय लिया है। उस समय राज्य के सिंचाई मंत्री धर्मपाल ने बताया था कि अयोध्या में घाघरा का नाम सरयू ही है,लेकिन अयोध्या और फैजाबाद के बाहर इसे घाघरा नाम से ही जाना जाता है।

यह बात साबित करती है कि अफसरशाही प्रदेश के तंत्र पर कितना हावी है जहां पहले निर्णय की सूचना आती है और उसके लगभग सवा दो साल बाद अफसर यह जानकारी देते हैं कि ऐसा प्रस्ताव है और हम उस पर काम कर रहे हैं। सही कौन यह एक अलग सवाल है लेकिन एक दूसरा सवाल भी है कि घाघरा का एक नाम सरयू कहां से आ गया। क्यों अयोध्या में आकर घाघरा सरयू हो गई। और इसके बाद फिर घाघरा हो गई। आखिर सरयू कहां है, क्या सरयू नाम की कोई नदी थी या आज भी है।

यह भी पढ़ें...महाराष्ट्र में बाप-बेटे की सरकार और परिवारवाद

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सरकार में आते ही घाघरा का नाम सरयू करने की घोषणा की थी। घाघरा नदी दक्षिणी तिब्बत के ऊंचे पर्वत शिखरों से निकलती है जबकि सरयू का उद्गम स्थल बहराइच या लखीमपुर खीरी जिले के खैरीगढ़ रियासत की राजधानी रही सिंगाही के जंगल की झील से भी कहा जाता है। घाघरा और सरयू का संगम बाराबंकी के चौका घाट में होता है। चौका घाट में दोनों नदी एक होकर बलिया में गंगा में मिल जाती है।

सवाल यह है कि सरयू नदी का उदगम स्थल यदि कैलास मानसरोवर है तो उत्तर प्रदेश के लखीमपुरी खीरी जिले के खैरीगढ़ रियासत की राजधानी रही सिंगाही के जंगल की झील से श्रीराम नगरी अयोध्या तक बहने वाली सरयू क्या है। मत्स्यपुराण के अध्याय 121 और वाल्मीकि रामायण के 24वें सर्ग में किस सरयू नदी का वर्णन है।

यह भी पढ़ें...इराक में अमेरिकी दूतावास पर हमला, डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को दी धमकी, कहा…

कहीं ऐसा तो नहीं घाघरा काली गंडक करनाली आदि नामों के क्रम में सरयू का नाम जोड़कर हम एक पूरी नदी के वजूद को नकार तो नहीं रहे। सरयू व गंगा का संगम श्रीराम के पूर्वज भगीरथ ने करवाया था। जबकि बाराबंकी के किटौली गांव के निकट चौकाघाट पर घाघरा व सरयू नदी का संगम होना कहा जाता है। यहां घाघरा नदी समाप्त होकर सरयू नदी में विलीन हो जाती है।

पुराणों का हवाला देकर यह कहा जाता है कि सरयू भगवान विष्णु के नेत्रों से प्रगट हुई हैं। आनंद रामायण के यात्रा कांड में उल्लेख है कि प्राचीन काल में शंकासुर दैत्य ने वेद को चुरा कर समुद्र में डाल दिया और स्वयं वहां छिप गया था। तब भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप धारण कर दैत्य का वध किया और ब्रह्मा को वेद सौंप कर अपना वास्तविक स्वरूप धारण किया। उस समय हर्ष के कारण भगवान विष्णु की आंखों से प्रेमाश्रु टपक पड़े। ब्रह्मा ने उस प्रेमाश्रु को मानसरोवर में डाल कर उसे सुरक्षित कर लिया। इस जल को महापराक्रमी वैवस्वत महाराज ने बाण के प्रहार से मानसरोवर से बाहर निकाला, यही जलधारा सरयू नदी कहलाई। बाद में भगीरथ अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए गंगा को पृथ्वी पर लाये और उन्होंने ही गंगा व सरयू का संगम करवाया।

यह भी पढ़ें...CDS पर राजनीति! कांग्रेस बोली, इसलिए मोदी सरकार ने की बिपिन रावत की नियुक्ति

रामचरित मानस में सरयू नदी को अयोध्या की पहचान का प्रतीक बताया गया है। राम की जन्मभूमि अयोध्या उत्तर प्रदेश में सरयू नदी के दाएं तट पर स्थित है। अयोध्या सात पवित्र तीर्थस्थलों (सप्तपुरियों) में एक कही जाती है। अयोध्या को अथर्ववेद में ईशपुरी बताया गया है और इसके वैभव की तुलना स्वर्ग से की गयी है।

यदि यह बातें सच हैं तो एक पौराणिक नदी का वजूद खतरे में है। वाराणसी में जिस तरह असि नदी लुप्त हो गई। उसी तरह मूल सरयू भी खतरे में है। रामायण के अनुसार भगवान राम ने इसी नदी में जल समाधि ली थी। सरयू का उद्गम बहराइच से होने का दावा करने वाले कहते हैं कि सरयू बहराइच से निकलकर गोंडा से होती हुई अयोध्या तक जाती है।

यह भी पढ़ें...बुरी खबर! रेल यात्रियों को लगा बड़ा झटका, इतना बढ़ा किराया

इस धारणा में यह कहा जाता है कि पहले यह नदी गोंडा के परसपुर तहसील में पसका नामक तीर्थ स्थान पर घाघरा नदी से मिलती थी. पर अब यहां बांध बन जाने से यह नदी पसका से क़रीब आठ किलोमीटर आगे चंदापुर नामक स्थान पर मिलती है घाघरा में मिलती है। अयोध्या तक ये नदी सरयू के नाम से जानी जाती है, लेकिन उसके बाद यह नदी घाघरा के नाम से जानी जाती है।

इस पौराणिक सरयू नदी की कुल लंबाई करीब 160 किमी बतायी जाती है। इस बारे में हमारे अनुसंधानकर्ताओं को गहन छानबीन करने की जरूरत है ताकि पौराणिक सरयू के वजूद को अक्षुण्ण रखते हुए घाघरा को सरयू नाम दिया जा सके।

Dharmendra kumar

Dharmendra kumar

Next Story