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नौकरी की आई बहार, 70 हजार लोगों को मिला रोजगार
वैश्विक महामारी कोरोना के मामले में जनपद की स्थिति बेहतर हो गई है। जिले में अब महज दस एक्टिव रोगी ही रह गये हैं। मनरेगा रोजगार का सबसे अहम जरिया बन गया है
बलिया: वैश्विक महामारी कोरोना के मामले में जनपद की स्थिति बेहतर हो गई है। जिले में अब महज दस एक्टिव रोगी ही रह गये हैं। मनरेगा रोजगार का सबसे अहम जरिया बन गया है तथा जिले में सत्तर हजार से अधिक लोगों को मनरेगा के जरिये रोजगार प्राप्त हुआ है। परिषदीय स्कूलों में बेहतर गुणवत्ता का ड्रेस देने के लिये जिला प्रशासन ने अहम फैसला लेते हुए ड्रेस की जांच जन प्रतिनिधियों व पत्रकार से कराने का फैसला लिया है।
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कोरोना के मामले में जनपद काफी बेहतर स्थिति में है। जनपद में कुल पॉजिटिव केस 59 थे, जिनमें से 49 रोगी स्वस्थ होकर घर जा चुके हैं। जिलाधिकारी हरि प्रताप शाही ने आज दावा किया है कि जनपद में वर्तमान समय में मात्र दस एक्टिव केस ही रह गये हैं। उन्होंने कहा है कि जिले के लिए सबसे राहत की बात यह है कि एकाध रोगियों को छोड़कर किसी भी रोगी में कोरोना का कोई लक्षण नहीं मिला। उन्होंने कहा कि जनपद में रिकवर रेट भी बेहतर रहा और अब तक कोई जनहानि नहीं हुई।
जिलाधिकारी ने आज जिला मुख्यालय के कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित प्रेसवार्ता में जानकारी दी कि अभी साढे तीन सौ जांच की रिपोर्ट प्राप्त होना शेष रह गया है। उन्होंने दावा किया कि भविष्य में इसको लेकर जिला प्रशासन पूरी तरह से सचेत है तथा किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए तैयार है। अगर आगे कोई पॉजिटिव केस आता है तो इसके लिए हमारी मेडिकल टीम तैयार है। उन्होंने कहा कि जिले के लिए यह सौभाग्य की बात है कि एक लैब टेक्नीशियन को छोड़कर जिले का कोई भी कोरोना योद्धा इस वैश्विक महामारी की चपेट में नहीं आया। उन्होंने इस स्थिति को यह हम सबकी जागरूकता व सतर्कता की देन बताया।
7 हॉटस्पॉट ग्रीन जोन में परिवर्तित
जिलाधिकारी ने बताया कि जिले में कुल हॉटस्पॉट की संख्या 43 हो गयी थी। इनमें 5 व 7 जून को जहां मरीज मिले थे, उन गांवों में दोबारा मरीज नहीं मिलने पर हॉटस्पॉट खत्म कर ग्रीन जोन में परिवर्तित कर दिया गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि रेवती के भैंसहा गांव में दोबारा मरीज मिलने पर वहां कन्टेनमेंट जोन बना रहेगा।
नगरीय क्षेत्र के पास मरीज मिलना चिंताजनक, बरतें विशेष सावधानी
जिलाधिकारी ने कहा कि नगरीय क्षेत्र के आसपास अमृतपाली व तिखमपुर ग्राम में पॉजिटिव केस का मिलना बेहद चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि अब विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन का पूरा प्रयास है कि इसका प्रसार नहीं हो, लेकिन इसमें आम जनता का सहयोग सबसे ज्यादा जरूरी है।
22 जून के बाद स्थिति बेहतर होने का अनुमान
जिलाधिकारी ने कहा कि जनपद में प्रवासियों की वजह से थोड़ी सेंसिटिविटी पैदा हुई। उन्होंने बताया कि जिले में मिले कुल पॉजिटिव केस में दो केस ही लोकल हैं। हालांकि, एकाध मरीजों में ही लक्षण भी मिले थे। बाकी सभी लक्षणविहीन थे। जिलाधिकारी ने कहा कि पहली जून तक जिले में प्रवासी लोगों के आने का सिलसिला जारी था। उनका 21 दिन का होम क्वारांटाइन पीरियड 22 जून को पूरा होगा। ऐसे में यह जरूरी है कि 22 जून तक विशेष सावधानी बरतें। उन्होंने कहा कि आशा है कि इस तिथि के बाद स्थिति बेहतर होनी शुरू हो जाएगी।
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प्रवासियों को दी जा रही राहत सामग्री व एक हजार रूपए
डीएम श्री शाही ने जानकारी दी कि जिले में कुल तकरीबन 70 हजार के लोग बाहर से आए। उन्होंने दावा किया कि सभी को फॉलोअप करने के साथ ही हर परिवार को राहत सामग्री दी जा रही है। सभी प्रवासियों के बैंक खाता में एक हजार रूपए की तात्कालिक सहायता भी एकाध दिनों में भेज दी जाएगी। इसके अलावा जिनका राशन कार्ड नहीं है, उनका राशन कार्ड बनाकर जून व जुलाई महीने में फ्री राशन दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सभी प्रवासी लोगों का स्किल मैपिंग कर उनकी कुशलता के आधार पर रोजगार देने का भी प्रयास जारी है।
मनरेगा योजना बनी रोजगार का बड़ा जरिया
जिलाधिकारी ने दावा किया है कि वैश्विक महामारी कोरोना के इस संकट की स्थिति में मनरेगा योजना रोजगार का बड़ा जरिया बनकर उभरी है। उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में 70 हजार से अधिक श्रमिक इसमें काम कर आय प्राप्त कर रहे हैं, जिनमें प्रवासी मजदूरों की संख्या अधिक है। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि यह आंकड़ा एक लाख के आस पास पहुंच जाए। अधिक से अधिक लोगों को इससे जोड़ा जाए ताकि उनके भरण पोषण में कोई दिक्कत न हो। रोजगार देने के साथ इस बात का भी ख्याल रखा जा रहा है जो कार्य हो रहा है, वह कारगर हो और आम जनता के लिए उपयोगी हो।
उन्होंने बताया कि मनरेगा मजदूरों का भुगतान भी एक सप्ताह से दस दिन में करने की व्यवस्था की गयी है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि अन्य विभागों से समन्वय बनाकर अधिक से अधिक कार्य के सृजन पर भी हमारा फोकस है।
स्कूली ड्रेस की जन प्रतिनिधि व पत्रकार करेंगे जांच
जिलाधिकारी ने बताया कि परिषदीय स्कूलों में बेहतर गुणवत्ता का ड्रेस देने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। इसके लिए बकायदा 29 फर्मो से उनके सैम्पल के साथ खुला आवेदन लिया गया। बेहतर गुणवत्ता का ड्रेस चयन करने के लिए बनाई गई पांच सदस्यीय समिति ने 8 फार्मो के ड्रेस को स्वीकार किया। जिलाधिकारी ने बताया कि ड्रेस वितरण को और पारदर्शी बनाने के लिए हमने दो सौ नमूने तैयार किए हैं, जो जनप्रतिनिधि गण व पत्रकार बन्धुओं को दिया जाएगा। स्कूलों पर वितरण के समय भी इन लोगों को आमंत्रित किया जाएगा। हर न्याय पंचायत स्तर पर भी एक-एक नमूना उपलब्ध रहेगा।
उसी नमूने के आधार पर उसी गुणवत्ता का ड्रेस सिलवाने की जिम्मेदारी स्कूल मैनेजमेंट कमेटी और शिक्षा विभाग के अधिकारियों की होगी। उन्होंने पारदर्शिता के लिए अपनाई गई इस प्रक्रिया के लिये संयुक्त मजिस्ट्रेट अन्नपूर्णा गर्ग व बीएसए शिवनारायण सिंह की सराहना की।
हर ब्लॉक के पांच स्कूलों की होगी जांच
जिलाधिकारी ने कहा कि गुणवत्ता की जांच के लिए हर ब्लॉक से पांच स्कूलों को रैण्डमली आधार पर लिया जाएगा। वहां वितरित हुए ड्रेस को नमूने के कपड़े से मिलाया जाएगा। अगर नमूने से इतर ड्रेस वितरण हुआ पाया गया तो जिम्मेदार पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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समूह की महिलाएं सिलेंगी पचास हजार से अधिक ड्रेस
जिलाधिकारी ने बताया कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अन्तर्गत संचालित स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को भी इससे जोड़कर उनको रोजगारपरक बनाया जा रहा है। मिशन की उपायुक्त अन्नपूर्णा गर्ग के नेतृत्व में यह तय हुआ है कि कम से कम से कम 50 हजार ड्रेस उन महिलाओं द्वारा सिला जाएगा। इससे उनको घर बैठे कुछ आय भी हो जाएगी। जिस तरह पर्याप्त मात्रा में मास्क बनाकर समूह की महिलाओं ने अपनी क्षमता दिखाई है, अगर उनको सपोर्ट मिला तो और बेहतर परिणाम दिखा सकती हैं।
रिपोर्ट: अनूप कुमार हेमकर
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