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शामली: जोखिम में जान, जिम्मेदार कर रहे आराम, जर्जर दिख रही इमारतें

आपको बता दें कि पूरा मामला जनपद शामली का है जहां पर अधिकारी जनपद गाजियाबाद के मुरादनगर श्मशान घाट में हुए हादसे के बाद भी कुंभकर्णी नींद सोए हुए हैं

Roshni Khan
Published on: 6 Jan 2021 12:48 PM GMT
शामली: जोखिम में जान, जिम्मेदार कर रहे आराम, जर्जर दिख रही इमारतें
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शामली: जोखिम में जान, जिम्मेदार कर रहे आराम, जर्जर दिख रही इमारतें (PC: social media)

शामली: जनपद गाजियाबाद के मुरादनगर में हुए शमशान घाट हादसे के बाद भी सरकारी हुक्मरान सबक लेने को तैयार नहीं है और अभी भी सरकारी कार्यालय ऐसे ही जर्जर भवनों में सरपट दौड़ रहे हैं लेकिन जो जिम्मेदारान अधिकारी हैं वह कुम्भकर्णी नींद सोए हुए हैं और फिर मुरादनगर जैसे किसी बड़े हादसे की बाट झो रहे हैं। मामला जनपद शामली का है जहां अभी भी सरकारी कार्यालय अंग्रेजों के जमाने में बनी बिल्डिंगों में चल रहे हैं जो कि अब पूरी तरीके से जर्जर हो चुकी हैं चाहे वह शामली की नगर पालिका की बिल्डिंग हो या फिर शामली की कलेक्ट्रेट में बनी बिल्डिंग जिसका की सन 1956 में निर्माण हुआ था और आज भी उसमें खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन का कार्यालय सरपट दौड़ रहा है।

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shamli-matter shamli-matter (PC: social media)

पूरा मामला जनपद शामली का है

दरअसल आपको बता दें कि पूरा मामला जनपद शामली का है जहां पर अधिकारी जनपद गाजियाबाद के मुरादनगर श्मशान घाट में हुए हादसे के बाद भी कुंभकर्णी नींद सोए हुए हैं और सरकारी कार्यालय अभी भी जर्जर भवनों में सरपट दौड़ रहे हैं। पहली तस्वीर शामली नगर पालिका की है जिसके जीने की ममटी का भवन जर्जर हो चुका है और सारे भवन में दरारे पढ़ चुकी हैं लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं है नहीं तो इस भवन की मरम्मत कराने की कोई सोच रहा है। जब नगरपालिका के अधिशासी अभियंता से इस बारे में पूछा गया और कहा गया कि वह भवन को दिखाए तो उन्होंने जीने की चाबी नही होने की बात कहते हुए बगले झाँकते हुए नजर आए।

यह भी पूरी तरीके से जर्जर हो चुकी है

वही दूसरी तस्वीर जनपद शामली के थाना आदर्श मंडी क्षेत्र के कस्बा बनत स्थित लोक निर्माण विभाग के बराबर में बनी बिल्डिंग की है जहां पर लोक निर्माण विभाग के मजदूर बैठते हैं तो वही कभी कभार जब वहां से सामान जाना होता है तो अधिकारी लोग भी वहां पर आकर बैठ जाते हैं लेकिन इस भवन के अगर आप हालत देखें तो यह भी पूरी तरीके से जर्जर हो चुकी है और जो कि अंग्रेजों के जमाने से बनी हुई है। इस भवन को अंग्रेजों ने बनवाया था लेकिन आज भी यहां लोग रह रहे हैं और उनकी जान जोखिम में है। लेकिन इसकी भी सुध लेने वाला कोई नहीं है।

shamli-matter shamli-matter (PC: social media)

चौकीदार कम बेलदार वीरेंद्र ने बताया

लोक निर्माण विभाग के जर्जर हो चुके इस भवन की देखरेख करने वाले चौकीदार कम बेलदार वीरेंद्र ने बताया कि भवन अंग्रेजी राज का बना हुआ है। धन्य बताया कि भवन के अंदर अभी भी कुर्सी पड़ी हुई हैं और अधिकारी भी कभी कबार महीने में एक दो बार आकर यहां पर बैठ जाते हैं और जब यहां से कभी तारकोल जाता है तो अधिकारी यहां पर आकर बैठ जाते हैं।

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वहीं तीसरी तस्वीर देख कर आप हैरान हो जाएंगे क्योंकि जो तस्वीर आपको हम दिखाने जा रहे हैं वह कलेक्ट्रेट शामली में बनी सन 1956 के भवन की है जो कि पूरी तरीके से जर्जर हो चुका है। इस सरकारी भवन की छत से तीन दिन से लगातार हो रही बारिश के कारण टपक रहे है और उसमें अभी भी सरकारी कार्यालय बना हुआ है और औषधि निरीक्षक और खाद्य सुरक्षा के कर्मचारी वहां पर बैठते हैं और इसी बिल्डिंग के नीचे बरामदे में करीब एक दर्जन की तादात में स्टांप विक्रेता मौत के मुँह में बैठते हैं और सबसे बड़ी बात यह है कि जिलाधिकारी की नाक के नीचे ऐसी जर्जर हो चुके भवन में सरकारी कार्यालय सरपट दौड़ रहे है।

कार्यालय में काम करने वाले कर्मचारियों ने दबी आवाज में बताया

लेकिन इस और किसी का ध्यान नहीं है। कार्यालय में काम करने वाले कर्मचारियों ने दबी आवाज में बताया कि जर्जर हो चुके भवन की शिकायत वह कहीं बाहर अपर जिलाधिकारी से कर चुके हैं लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। कर्मचारियों ने यह भी बताया कि उन्हें इस बिल्डिंग में बेहद डर लगता है लेकिन वह यहां पर काम करने के लिए मजबूर हैं। जब उनसे यह सब बातें कैमरे के सामने बोलने के लिए कहा गया तो उन्होंने कैमरे पर कुछ भी बताने से मना कर दिया।

shamli-matter shamli-matter (PC: social media)

उन्हें यहां पर बैठकर जान का खतरा है लेकिन उनकी मजबूरी है

सन 1956 में बने और जर्जर हो चुके इस भवन के नीचे बैठे स्टांप विक्रेता नरेंद्र कौशिक से जब हमने पूछा तो उन्होंने बताया कि उन्हें यहां पर बैठकर जान का खतरा है लेकिन उनकी मजबूरी है इस भवन के नीचे बैठना उनका कहना है कि इस भवन की मरम्मत हो जाए तो ठीक है इसकी तो बहुत दिन से मरम्मत भी नहीं हुई है।

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मुरादनगर श्मशान घाट में हुए हादसे के बाद भी जिला प्रशासन उसे सबक लेने को तैयार नहीं है और अभी भी जर्जर भवनों में सरकारी कार्यालय सरपट दौड़ रहे हैं और हैरानी की बात तो यह है कि जिलाधिकारी शामली की नाक के नीचे ऐसे ही एक जर्जर भवन में सरकारी कार्यालय चल रहे हैं लेकिन सरकारी हुक्मरण का इस और कतई ध्यान नहीं है और वह फिर मुरादनगर जैसे किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहे है।

रिपोर्ट- पंकज प्रजापति

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