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Sonbhadra News: उभ्भा कांड की बरसी मनाने जा रहे कांग्रेसियों को रोका, जमीन के लिए हुई थी 11 आदिवासियों की हत्या
Sonbhadra News: कांग्रेसियों ने सोमवार को घोरावल तहसील क्षेत्र के उभ्भा गांव पहुंचकर वर्ष 2019 में हुए नरसंहार (Umbha massacre) की बरसी पर शहीद हुए आदिवासियों को याद किया और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
Sonbhadra News: कांग्रेसियों ने सोमवार को घोरावल तहसील क्षेत्र के उभ्भा गांव पहुंचकर वर्ष 2019 में हुए नरसंहार (Umbha massacre) की बरसी पर शहीद हुए आदिवासियों को याद किया और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं को पुलिस और प्रशासन के लोगों ने बरसी वाले कार्यक्रम स्थल पर पहुंचने से रोक दिया। इसको लेकर तीखी नोंक-झोंक भी हुई। इसके बाद कार्यकर्ताओं ने पीड़ित परिवार के साथ मिलकर श्रद्धांजलि अर्पित की और दो मिनट का मौन रखकर उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।
‘बरसी मानने से रोकना लोकतंत्र की हत्या’
कांग्रेस कार्यकर्ता रविवार को उम्भा नरसंहार (Umbha massacre) में शहीद हुए आदिवासियों से जुड़े कार्यक्रम में शामिल होने जा रहे थे। वहां पहले से तैनात एसडीम घोरावल, कोतवाल, महिला थानाध्यक्ष रॉबर्ट्सगंज सरोजमा सिंह सहित कई थाने की फोर्स तैनात थी। फोर्स ने बरसी मनाने जा रहे लोगों रोक दिया। पूर्व विधायक कांग्रेस नेता भगवती चौधरी ने कहा कि बीजेपी सरकार में आदिवासियों के का शोषण बदस्तूर जारी है। बरसी मानने से रोकना लोकतंत्र की हत्या है। दलित से थूककर चटवाना, आदिवासियों के ऊपर पेशाब कांड बीजेपी सरकार की नाकामी को दर्शाता है।
आदिवासियों पर हो रहे लगातार जुल्म!
प्रदेश सचिव कमलेश ओझा ने कहा कि बरसी में जाने से रोकना आदिवासी विरोधी का परिचायक है। जिला अध्यक्ष रामराज सिंह गोंड ने कहा कि इस सरकार में आदिवासियों पर जुल्म लगातार हो रहे है। बीजेपी सरकार के इशारे पर प्रशासन ने हम पीड़ित परिवार को श्रद्धांजलि अर्पित नहीं करने दे रही है। महिला कांग्रेस की जिला अध्यक्ष उषा चौबे ने कहा कि बीजेपी सरकार में कानून व्यवस्था ध्वस्त है। हत्या, अपहरण, दलितों और आदिवासियों पर अत्याचार की घटनाएं लगतार बढ़ रही है। कांग्रेस प्रवक्ता शत्रुंजय मिश्र ने कहा कि उम्भा नरसंहार के कई बर्ष बीत जाने के बाद भी आदिवासी मूल भुत सुविधाओं से वंचित है। सरकार अपने किये गए वादे भूल गई है। इस मौके पर शहर अध्यक्ष राजीव त्रिपाठी, नूरुद्दीन खान, राजबली पांडेय, सोनी गुप्ता, लल्लू राम पांडेय, इस्तियाक खान, अभिषेक त्रिपाठी सहित सैकड़ों आदिवासी मौजूद रहे।
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