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बिजली कर्मचारियों ने दी चेतावनी, नहीं हुआ ऐसा तो होगा बड़ा आंदोलन
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत अभियन्ता संघ ने कहा है कि ऊर्जा निगमों में प्रबन्धन की उत्पीड़नात्मक, नकारात्मक, द्वेषपूर्ण व फिजूलखर्ची वाली कार्य प्रणाली...
मनीष श्रीवास्तव
लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत अभियन्ता संघ ने कहा है कि ऊर्जा निगमों में प्रबन्धन की उत्पीड़नात्मक, नकारात्मक, द्वेषपूर्ण व फिजूलखर्ची वाली कार्य प्रणाली समाप्त नहीं की गई तो पूरे प्रदेश के बिजली अभियन्ता प्रदेशव्यापी आन्दोलन करने को बाध्य होंगे। बिजली अभियन्ताओं ने सरकार से मांग की कि ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशान्ति व टकराव टालने के लिए प्रबन्धन को स्वस्थ कार्य प्रणाली व अभियन्ताओं का उत्पीड़न रोकने के लिए निर्देशित किया जाए।
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अभियन्ताओं के मान-सम्मान से किया जा रहा खिलवाड़
विद्युत अभियन्ता संघ के अध्यक्ष वीपी सिंह तथा महासचिव प्रभात सिंह ने रविवार को बताया कि बीते कुछ माहों से पावर कारपोरेशन प्रबन्धन द्वारा बिजली अभियन्ताओं के प्रति द्वेषपूर्ण भावना और पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर दण्डात्मक कार्यवाहियों तथा अनावश्यक जांचों का कुचक्र चलाकर अभियन्ताओं के मान-सम्मान तथा कैरियर से खिलवाड़ व उत्पीड़न किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि प्रबन्धन का मनमानापन इस हद तक बढ़ गया है कि 30 जून को अभियन्ताओं के जारी होने वाले पदोन्नति आदेश भी अकारण रोक लिये गये हैं। उन्होंने कहा कि एक ओर राजस्व बढ़ाने के लिए प्रबन्धन द्वारा अभियन्ताओं को ऐसे निर्देश दिये जा रहे हैं, जैसे प्रदेश में कोरोना जैसी कोई महामारी नहीं है व इन गलत नीतियों के कारण अभियन्ताओं और उनके परिजनों का जीवन संकट में पड़ गया है, वहीं सभी ऊर्जा निगमों में फिजूलखर्ची, सरकारी धन की लूट चरम पर है।
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संघ अध्यक्ष वीपी सिंह ने कहा कि ऊर्जा निगमों में फिजूलखर्ची रोकने के लिए गैर-विभागीय निदेशकों, 60 साल से ऊपर के सभी निदेशकों व सेवानिवृत्ति के बाद पुनर्नियोजित सभी सलाहकारों व व्यक्तियों की सेवायें तत्काल समाप्त की जानी चाहिये, निदेशक(आईटी) के नये अनावश्यक पद को समाप्त करने, अनावश्यक ऐप व पोर्टल व ईआरपी प्रोजेक्ट और उसके प्रशिक्षण के नाम पर की जा रही खानापूर्ति तथा सरकारी धन की लूट बन्द की जाये। उन्होंने कहा कि इससे पावर कारपोरेशन को लगभग 500 करोड़ रुपये से अधिक की बचत होगी।
अभियन्ता मानसिक तनाव में हैं
उन्होंने कहा कि ऊर्जा निगमों के प्रबन्ध निदेशकों की गलत नीतियों, असमय तथा असीमित वीडियों कांफ्रेंसिंग, अनावश्यक जांचों, पदोन्नति आदेश रोके रखने आदि तमाम उत्पीड़नात्मक व भयादोहन वाली कार्य प्रणाली से प्रदेश के सभी अभियन्ता मानसिक तनाव में हैं और उनका मनोबल टूटा हुआ है जिसका असर उनकी प्रशासनिक व तकनीकी क्षमताओं पर पड़ रहा है जो न तो विभाग हित में है और न ही व्यक्ति विशेष के।
अभियन्ताओं के मध्य भेद-भाव समाप्त करने की मांग
उन्होंने अभियन्ताओं के जीपीएफ व सीपीएफ ट्रस्ट में जमा धनराशि के निवेश का ब्यौरा सार्वजनिक करने के साथ-साथ बीते मार्च माह तक की स्लिप अतिशीघ्र उपलब्ध कराये जाने, झटपट एवं निवेश मित्र पोर्टल की व्यवहारिक कमियों को दूर करने, क्षेत्रों में मानकों एवं आवश्यकतानुसार मैन, मनी, मेटीरियल तथा बुनियादी सुविधायें उपलब्ध कराने, ई एण्ड एम व आईटी के नाम पर अभियन्ताओं के मध्य भेद-भाव समाप्त करने की मांग की।
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