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कर्मचारियों के साथ सौतेला व्यवहार है भत्तों की बंदी: राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने केंद्र उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कर्मचारियों को मिल रहे 6 भत्ते पूरी तरह समाप्त करने पर कड़ा एतराज जताते हुए कहा कि ऐसे निर्णय कर्मचारियों के साथ सौतेलेपन का प्रतीक है।

Shreya
Published on: 12 May 2020 4:57 PM IST
कर्मचारियों के साथ सौतेला व्यवहार है भत्तों की बंदी: राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद
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कर्मचारियों के साथ सौतेला व्यवहार है भत्तों की बंदी: राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद

लखनऊ: राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने केंद्र उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कर्मचारियों को मिल रहे 6 भत्ते पूरी तरह समाप्त करने पर कड़ा एतराज जताते हुए कहा कि ऐसे निर्णय कर्मचारियों के साथ सौतेलेपन का प्रतीक है और आगामी 19 मई को कर्मचारी काला फीता बांध कर इसका विरोध करेंगे। परिषद ने मुख्यमंत्री से अपील की है कि कर्मचारियों को उनसे ऐसे अप्रिय निर्णय की अपेक्षा नहीं थी। कर्मचारियों को अपमानित करने वाले इस निर्णय को निरस्त कर केंद्र के समान भत्ते दिए जाए।

राज्य सरकार के फैसले से निराश हैं लाखों कर्मचारी

परिषद के अध्यक्ष सुरेश रावत, वरिष्ठ उपाध्यक्ष गिरीश चन्द्र मिश्रा,महामंत्री अतुल मिश्रा तथा उपाध्यक्ष सुनील यादव ने मंगलवार को कहा कि प्रदेश के सभी जनपदों से कर्मचारियों की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं, प्रदेश के लाखों कर्मचारी राज्य सरकार के फैसले से निराश हो गए हैं। कर्मचारी नेताओं ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी शासनादेश में यह कहा गया है कि केंद्र सरकार में प्राप्त हो रहे भत्तों की समानता के लिए इन छह भत्तो को समाप्त किया जा रहा है।

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केंद्र सरकार के कर्मचारियों को मिल रहा अधिक मकान किराया भत्ता

कर्मचारी नेताओं ने सवाल उठाया कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों को मिलने वाला मकान किराया भत्ता यूपी के कर्मचारियों को मिलने वाले मकान किराया भत्ता से कई गुना अधिक है। वही ट्रांसपोर्ट भत्ता और एजुकेशन भत्ता प्रदेश के कर्मचारियों को दिया हीं नही जा रहा है। राज्य सरकार अगर केंद्र के कर्मचारियों के समान भत्तो की समानता के लिए कुछ भत्तो को समाप्त करना चाहती है तो उन्हें केंद्र सरकार के कर्मचारियों को मिलने वाले सभी भत्तों को प्रदेश में कर्मचारियों को प्रदान करने चाहिए ।

सरकार ने कर्मचारियों की आशा को जड़ से किया समाप्त

परिषद के महामंत्री अतुल मिश्रा ने कहा कि उक्त सभी भत्ते विगत बहुत वर्षों से कर्मचारियों को प्राप्त हो रहे थे, उत्तर प्रदेश सरकार ने कर्मचारियों को दोयम दर्जे का नागरिक मानते हुए पहले इन्हीं छह भत्तो को स्थगित किया था, इस माह के वेतन में कटौती भी हो गयी। ऐसे में सरकार का व्यय भार तो अपने आप कम हो गया, कर्मचारियों को आशा थी कि इस महामारी से निपटने वाले कर्मचारियों को संक्रमण काल के बाद स्थगित भत्ते फिर दिए जाएंगे लेकिन सरकार ने कर्मचारियों की आशा को ही जड़ से समाप्त कर दिया।

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कोरोना संक्रमण काल में जब कर्मचारी अपनी जान पर खेलकर लगातार जन सेवा में लगा हुआ है, जनता प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों की तारीफ कर रही है , सरकारी कर्मचारियों के प्रति जनता के दिलों में विश्वास कायम हुआ है, लेकिन ऐसे समय कर्मचारियों को पुरस्कृत करने के स्थान पर उन्हें दंडित करने जैसा कार्य समझ से परे है। जनता आज देश के सरकारी कर्मचारियों को अपना मसीहा मान रही है। चाहे वह चिकित्सक हो नर्सेज, फार्मेसिस्ट, लैब टेक्नीशियन, प्रयोगशाला सहायक सहित सभी चिकित्सा कर्मियों को जनता दूसरे भगवान का दर्जा दे रहे हैं।

सरकार कर्मचारियों को नहीं मानती अपना अंग

सभी सरकारी कर्मचारी अपने परिवार और अपनी जान की परवाह किए बगैर पूरे मनोयोग से लगे हुए हैं। प्रदेश की पुलिस दिन-रात जनता की सेवा में है ऐसे समय में इन कर्मचारियों को कुछ ना कुछ पुरस्कार दिया जाना चाहिए था लेकिन सरकार द्वारा पुरस्कार तो छोड़िए उनको पूर्व से मिल रहे भत्ते समाप्त कर दिया जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि कर्मचारियों के लिए सरकार के पास कोई कल्याणकारी नीति नहीं है और ना ही कर्मचारियों को सरकार अपना अंग मानती है।

रिपोर्ट- मनीष श्रीवास्तव

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