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दुनियाभर में मशहूर है उत्तराखंड की ये मिठाई, यहां की शोभा बढ़ाते हैं मंदिर

: उत्तराखंड के कुमाऊं मण्डल  में अल्मोड़ा जिला है, अल्मोड़ा एक पहाड़ी जिला है जो की घोड़े के खुर के समान है। अल्मोड़ा जिले का क्षेत्रफल 3072 वर्ग किलोमीटर है। एक कथा के अनुसार कहा जाता है कि अल्मोड़ा की कौशिका देवी ने शुम्भ और निशुम्भ नामक दानवों को इसी क्षेत्र में मारा था।

suman
Published on: 1 Jun 2020 11:34 AM IST
दुनियाभर में मशहूर है उत्तराखंड की ये मिठाई, यहां की शोभा बढ़ाते हैं मंदिर
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अल्मोड़ा : उत्तराखंड के कुमाऊं मण्डल में अल्मोड़ा जिला है, अल्मोड़ा एक पहाड़ी जिला है जो की घोड़े के खुर के समान है। अल्मोड़ा जिले का क्षेत्रफल 3072 वर्ग किलोमीटर है। एक कथा के अनुसार कहा जाता है कि अल्मोड़ा की कौशिका देवी ने शुम्भ और निशुम्भ नामक दानवों को इसी क्षेत्र में मारा था। अल्मोड़ा पर पहले चांद साम्राज्य का अधिकार था फिर कत्यूरी राजवंश का हो गया।

अल्मोड़ा को शिक्षा का केंद्र भी कहा जाता है। दूर- दराज पहाड़ से यहां लोग पढ़ाई करने के लिए आते हैं। ये नगर सड़क मार्ग से पूरे कुमाऊं क्षेत्र से जुड़ा हुआ है, जिस वजह से लोग यहां आसानी से पहुंच सकते हैं। कुमाऊं विश्वविद्यालय का सबसे बड़ा कैंपस भी इसी नगर में है। यहां पर मेडिकल कॅालेज का भी निर्माण कार्य चल रहा है।

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धार्मिक और सांस्कृतिक नगरी

पहाड़ों पर बसी धार्मिक और सांस्कृतिक नगरी के नाम से अल्मोड़ा एक लोकप्रिय नगर है। इस नगर के आस-पास बहुत से सुंदर पर्यटक स्थल हैं। गोलू देवता या भगवान गोलू कुमाऊं क्षेत्र के पौराणिक और ऐतिहासिक भगवान हैं । डाना गोलू देवता गैराड मंदिर, बिंसर वन्यजीव अभ्यारण्य के मुख्य द्वार से लगभग 2 किमी दूर पर है, और लगभग 15 किमी अल्मोड़ा से दूर है। गोलू देवता की उत्पत्ति को गौर भैरव (शिव) के अवतार के रूप में माना जाता है, और पूरे क्षेत्र में पूजा की जाती है और भक्तों द्वारा चरम विश्वास के साथ न्याय के औषधि के रूप में माना जाता है।

अल्मोड़ा मंदिरों के लिए भी जाना जाता है। यहां पर आध्यातम का अनुभव होता है। नंदा देवी मंदिर यहां के प्रमुखों मंंदिरों में एक है। हर साल सितंबर, अक्तूबर में इस मंदिर में भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। नगर से कुछ दूर पर ग्वेल देवता का मंदिर है, जिन्हें न्याय का देवता भी कहा जाता है। इस मंदिर में लोग भगवान को चिठ्ठी लिख मनोकामना पूरी होने की कामना करते हैं। मनोकामना पूरी होने पर यहां पर घंटी चढ़ाने की परंपरा है। इसके अलावा भी यहां कई मंदिर हैं- जागेश्वर धाम, गैराड़ ग्वेल देवता का मंदिर। अल्मोड़ा नगर की बात की जाए तो ये नगर मंदिरों से घिरा हुआ है। इन मंदिरों की खूबसूरती देखते ही बनती है।

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*नैना देवी मंदिर की दीवारों पर रची गई मूर्तियां देखने लायक हैं। यह मंदिर धार्मिक महत्ता के साथ साथ अपनी आकर्षक रौनक के लिए भी लोकप्रिय है। अल्मोड़ा के मुख्य बाज़ार के बीच में यह मंदिर पड़ता है जो कि बताया जाता है कि सैंकड़ों वर्ष पुराना है।

* यहां देवस्थानों में “जागेश्वर धाम या मंदिर” एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है। यह उत्तराखंड का सबसे बड़ा मंदिर समूह है । यह कुमाउं मंडल के अल्मोड़ा जिले से 38 किलोमीटर की दूरी पर देवदार के जंगलों के बीच में है। जागेश्वर को उत्तराखंड का “पाँचवा धाम” भी कहा जाता है। जागेश्वर मंदिर में 125 मंदिरों का समूह है। जिसमे 4-5 मंदिर प्रमुख है जिनमे विधि के अनुसार पूजा होती है। जागेश्वर मंदिर अपनी वास्तुकला के लिए विख्यात है। प्राचीन मान्यता के अनुसार जागेश्वर धाम भगवान शिव की तपस्थली है।

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*अल्मोड़ा मुख्यालय से 70 किमी की दूरी पर द्वाराहाट तहसील मुख्यालय है। यहां से 14 किमी की दूरी पर दूनागिरी का मंदिर है। इस मंदिर की स्थापना सन् 1187 में हुई थी। पुराणों के आधार पर दूनागिरी पर्वत जिसमें वैष्णवी शक्ति पीठ है। रामायण काल में हनुमान जी द्वारा संजीवनी बूटी लाते समय एक टुकड़ा इस स्थान पर गिर गया था। जड़ी-बूटियों के बारे में मत है कि उसके प्रयोग का तात्कालिक प्रभाव होता है। दूनागिरी मन्दिर क्षेत्र में अनेक औषधीय पौधों का भण्डार है। चितई मंदिर जहां हज़ारों की तादाद में लोग अपनी मुरादें लेकर आते हैं और अपनी मन्नतों को पूरा करने का अनुरोध भी करते हैं। यह मंदिर लोक देवता गोल्ल का है जो की श्रद्धालुओं के बीच खासा लोकप्रिय है।

अल्मोड़ा की बाल मिठाई देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी मशहूर है। सिर्फ बाल मिठाई ही नहीं यहां की और मिठाईयां भी काफी स्वादिष्ट होती हैं।



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