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इस देश में पौधों की तरह कोरोना वायरस उगा रहे वैज्ञानिक, जानिए क्यों हो रहा ऐसा

इस वक्त पूरी दुनिया कोरोना वायरस की चपेट में है। ऐसे में दुनियाभर के तमाम वैज्ञानिक इस महामारी से निपटने के लिए कोरोना वैक्सीन तैयार करने में जुटे हुए हैं। वहीं न्यूजीलैंड के वैज्ञानिक कई लैब में पौधों की तरह कोरोना वायरस को उगा रहे हैं।

Shreya
Published on: 1 Jun 2020 5:12 AM GMT
इस देश में पौधों की तरह कोरोना वायरस उगा रहे वैज्ञानिक, जानिए क्यों हो रहा ऐसा
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नई दिल्ली: इस वक्त पूरी दुनिया कोरोना वायरस की चपेट में है। ऐसे में दुनियाभर के तमाम वैज्ञानिक इस महामारी से निपटने के लिए कोरोना वैक्सीन तैयार करने में जुटे हुए हैं। वहीं न्यूजीलैंड के वैज्ञानिक कई लैब में पौधों की तरह कोरोना वायरस को उगा रहे हैं। कोरोना संक्रमित मरीजों के सैंपल लेकर लैब में स्टडी की जा रही है। लेकिन इस स्टडी को व्यापक रूप देने के लिए वैज्ञानिक एक खास तकनीक से SARS-CoV-2 वायरस को उगा रहे हैं।

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वायरल कल्चर तकनीक से की जा रही वायरस की स्टडी

न्यूजीलैंड के वैज्ञानिक वायरल कल्चर तकनीक के जरिए SARS-CoV-2 वायरस की स्टडी कर रहे हैं। माना जा रहा है कि स्टडी के दौरान मिलने वाली जानकारी से वैज्ञानिकों को कोरोना वैक्सीन के निर्माण और इलाज में मदद मिल सकती है। ये स्टडी न्यूजीलैंड के एनवायरमेंटल साइंस एंड रिसर्च लिमिटेड (ESR) द्वारा की जा रही है। ओटागो यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मिगुएल क्यू मतेऊ का कहना है कि दूसरे लैब में भी इनएक्टिवेटेड वायरल कल्चर तकनीक की काफी डिमांड होती है।

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हाई सुरक्षा लैब में किया जाता है वायरल कल्चर तकनीक पर काम

वायरल कल्चर तकनीक पर काम करने के लिए हाई सुरक्षा वाले लैब का ही उपयोग किया जाता है। जिससे लैब से बाहर वायरस फैलने का खतरा ना रहे। एनवायरमेंटल साइंस एंड रिसर्च लिमिटेड (ESR) टीम की प्रमुख लॉरेन जेली के मुताबिक, वायरल कल्चर पर काम करना बेहद चुनौतीपूर्ण है। लॉरेन ने कहा कि हम काफी भाग्यशाली है कि अन्य देश पर वायरस पर हुए काम से हमने काफी कुछ सीखा है।

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बागवानी करने जैसा है वायरल कल्चर

ESR टीम की प्रमुख लॉरेन जेली ने बताया कि वायरल कल्चर बागवानी करने जैसा है। अगर पौधे अच्छे से उगा सकते हैं तो सेल्स को अच्छे से कल्चर कर सकते हैं, जिसके द्वारा वायरस को आइसोलेट किया जा सकता है। जेली ने कहा कि इसमें हमें ये देखना होता है कि सेल्स का विकास कैसे हो रहा है। कैसे उन्हें स्वस्थ और अच्छी स्थिति में रख सकते हैं। जेली ने कहा कि न्यूजीलैंड में हो रही वायरस पर इस रिसर्च को इंटरनेशनल लेवल पर भी शेयर किया जा सकता है।

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