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ई-टिकट बुकिंग का कर रहा था धंधा, RPF ने ऐसे दबोच लिया
साइबर कैफे संचालक ने अवैध रुप से ई-टिकट का व्यापार करते हुए पर्सनल, इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन लिमिटेड (आइआरसीटीसी) यूजर आईडी के माध्यम से कई ई-टिकट बुक किए।
झांसी: रेल सुरक्षा बल की डिटेक्टिव विंग और आरपीएफ ने ई टिकट की दलाली कर रहे साइबर कैफे संचालक को पकड़ लिया। साइबर कैफे संचालक ने अवैध रुप से ई-टिकट का व्यापार करते हुए पर्सनल, इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन लिमिटेड (आइआरसीटीसी) यूजर आईडी के माध्यम से कई ई-टिकट बुक किए।
रेल सुरक्षा बल के प्रधान मुख्य सुरक्षा आयुक्त प्रयागराज व मण्डल सुरक्षा आयुक्त उमाकांत तिवारी के निर्देश पर डिटेक्टिव विंग और आरपीएफ टीम ई-टिकट का कारोबार करने वाले कैफे संचालकों के खिलाफ अभियान चला रही है। इस अभियान के तहत टीम को सूचना मिली कि सीपरी बाजार थाना क्षेत्र के सिद्देश्वर नगर आईटीआई के पास ‘‘साई साइबर कैफे‘‘है। इस कैफे से ई-टिकट का कारोबार किया जा रहा है।
इस सूचना के आधार पर निरीक्षक एसएन पाटीदार के निर्देशन में डिटेक्टिव विंग के सहायक उप निरीक्षक वीएस राजपूत, प्रधान आरक्षक रामेश्वर सिंह, आरक्षक दीपक कुमार व आरक्षक अरुण सिंह राठौर, रेल सुरक्षा बल पोस्ट झांसी स्टेशन के आरक्षक बी सी अनुरागी व महिला आरक्षक कविता जी के के साथ अवैद्य ई-टिकट कारोबार के यहां छापा मारा, जिससे वहां हड़कंप मच गया। मौके से यदुनाथ सिंह निवासी एस/76, सिद्धेश्वर नगर, आई0टी0आई0, थाना सीपरी बाजारको गिरफ्तार कर लिया। आरोपी ने बताया कि वह अलग-अलग 03 पर्सनल यूजर आईडीयों पर ई-टिकट बनाकर निर्धारित राशि से ₹100 से ₹200 अधिक राशि लेकर मुनाफे पर बेचता है।
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यह सामग्री बरामद
भविष्य में यात्रा की 01 टिकिट कीमत रु. 298, पूर्व (भूतकाल) यात्रा की 227 टिकिट,कुल 228 टिकट बरामद किए हैं। इसके अलावा मोबाइल एम0आई0 कम्पनी, 500 नकद, एक एलईडी मॉनीटर व एक सीपीयू भी जब्त किया गया।
इसलिए टीम हो गई सक्रिय
कोरोना महामारी के कारण 23 मार्च से ट्रेनों का संचालन बंद चल रहा है। देश भर में सिर्फ अप और डाउन की 30 राजधानी स्पेशल व 200 मेल, एक्सप्रेस ट्रेनें चलाईं जा रही हैं। इनमें अप और डाउन की आठ स्पेशल राजधानी और 28 मेल, एक्सप्रेस ट्रेनें झांसी से होकर गुजर रहीं हैं। कोरोना महामारी में अधिकांश यात्री ऑनलाइन ही टिकट बनवा रहे हैं। ऑनलाइन टिकट बनवाने के लिए लोग साइबर कैफे संचालकों की मदद ले रहे हैं। मगर कई कैफे संचालक आईआरसीटीसी द्वारा उपलब्ध कराई गई आईडी की जगह दूसरों की व्यक्तिगत आईडी से टिकट बना रहे हैं। दूसरे की आईडी से टिकट बनाने पर कमीशन नहीं देना पड़ता है। ऐसे की अवैध कारोबारियों को पकड़ने के लिए आरपीएफ की डिटेक्टिव विंग सक्रिय हो गई है।
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ऐसे टिकट खरीदने वाले यात्रियों को हो सकती है परेशानी
आइआरसीटीसी के अधिकृत एजेंट और साइबर कैफे संचालक यात्रियों को एजेंट आईडी की जगह पसनल आईडी से ई-टिकट बुक करके दे रहे हैं। रेलवे एक्ट के तहत पर्सनल आइडी से टिकट बुक कर बेचना अपराध के दायरे में आता है, ऐसे मामले में पकड़े जाने पर एजेंट और दलाल को जेल तो भेजा ही जाता है। उसके द्वारा पर्सनल आइडी से बुक टिकट भी रद कर दिए जाते हैं। ऐसे में जिन यात्रियों के टिकट एजेंट द्वारा पर्सनल आइजी से बनाए गए हैं, उनकी यात्रा प्रभावित होती है।
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पर्सनल आइडी से टिकट बुक करना नहीं लेकिन उसे बेचना है अपराध
यात्री अगर एजेंट से टिकट बुक कराते हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि वह टिकट पर्सनल आइडी से बुक ना किया गया हो। ऐसा होने पर संबंधित यात्री को भी परेशान होना पड़ सकता है। आइआरसीटीसी द्वारा अपने अधिकृत एजेंटों को एजेंट लॉगिन दिया जाता है वह उसी आइडी से टिकट बुक कर सकते हैं। पर्सनल आइडी से टिकट बुक करना अपराध नहीं है लेकिन उस टिकट को बुक करके बेचना अपराध है।
रिपोर्ट: बीके कुश्वाहा
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