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ये है रहस्यमयी शिवालय, जहां छिपा है खजाना, सांप करते हैं इनकी सुरक्षा
जिले कछवां नगर के लरवक गाँव मे प्राचीन सारनाथ प्राचीन महादेव का मन्दिर स्थित है। नगर पंचायत कछवां से राजातालाब मार्ग से करीब चार 2.5 किमी की दूरी पर स्थित ऐतिहासिक प्राचीन सारनाथ मन्दिर जिसमे भगवान शंकर का शिवलिंग विराजमान है जो अपने आप में एक विशेष महत्व है।
बृजेन्द्र दुबे
मिर्जापुर : जिले कछवां नगर के लरवक गाँव मे प्राचीन सारनाथ प्राचीन महादेव का मन्दिर स्थित है। नगर पंचायत कछवां से राजातालाब मार्ग से करीब चार 2.5 किमी की दूरी पर स्थित ऐतिहासिक प्राचीन सारनाथ मन्दिर जिसमे भगवान शंकर का शिवलिंग विराजमान है जो अपने आप में एक विशेष महत्व है। मुखयालय से इस मंदिर की दूरी करीब 25 किमी है। इस मंदिर तक जाने के लिए पगडंडियों के सहारे जाना पड़ता है। चुनार के रहस्यमयी किले से मंदिर की दूरी लगभग 28 किलोमीटर है।
शिव के गणों ने किया था मन्दिर निर्माण
रहस्यमयी मंदिर का निर्माण शिव के गणों ने एक रात में इस मंदिर का निर्माण किया था। इसकी हकीकत से लोग अनजान है इस मंदिर का निर्माण कब और किसने कराया यह ज्ञात नहीं है। गाँव के लोगो के अनुसार उन्होंने भी अपने बड़े बुजुर्गों से इस मंदिर के बारे में सुना है। इसी से अनुमान लगाया जाता है कि यह मंदिर तकरीबन हजारो वर्ष पुराना है। लोगो ने बताया कि इस मंदिर का निर्माण कब हुआ यह किसी को ज्ञात नही है।
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जमीन से सात फिट नीचे विराजमान है शिवलिंग
जमीन से सात फीट नीचे से शुरू हुए इस मंदिर की ऊंचाई जमीन के बाहर तीस फीट की है। रहस्यमयी आश्चर्यचकित करने वाली बात यह है कि मंदिर बड़े- बड़े पत्थरों को एक के उपर एक रख कर मन्दिर का निर्माण किया गया है। मंदिर निर्माण में मिट्टी,चुना,सीमेंट,इत्यादि का प्रयोग नही किया है । मंदिर का निर्माण नक्काशीदार पत्थरों से बिना सीमेंट,चुना,मिट्टि के उपयोग से यह मंदिर बहुत ही अद्भुत तरीके से बनाया गया है। इस मंदिर का निर्माण हजारो वर्ष पूर्व किया गया था।
नक्कासीदार शिलाओं से निर्माण हुआ है
मंदिर के चारों तरफ नक्काशीदार पत्थर शिलाओं से बनाया गया है इस मंदिर पर एक जगह तीर का निशान बनाया गया है इस मंदिर पर शोध के लिए बीएचयू से रिसर्च टीम आती रहती है। मंदिर के पुजारी माता प्रसाद गोस्वामी ने बताया कि मंदिर पुरातत्व विभाग के कब्जे में है मंदिर परिसर में एक बोर्ड भी लगा है। मंदिर में कुछ भी निर्माण कार्य कराना होता है तो पुरातत्व विभाग की टीम मौके पर पहुंचकर निर्माण कार्य करवाती है। इस मंदिर में एक ऐसी गुफा है जो जिसका रास्ता चुनार किला से मिलता है जो अपने आप में एक रहस्य है।
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धार्मिक कथा
मंदिर के पुजारी ने बताया कि मन्दिर का निर्माण असुरों के समय में किया गया था। इस मंदिर का निर्माण उस समय किया गया था जिस समय सूर्य भगवान को हनुमान ने अपने मुह में निगल लिया था। उस समय दिन और रात छः महीने की होती थी ऐसा हमारे बुजुर्गों ने बताया कि उसी दौरान घने जंगल मे इस मंदिर का निर्माण कार्य बिना किसी सहारे के किया गया है मन्दिर बनाते समय जब सुबह हो गयी तो असुर मन्दिर का निर्माण कार्य छोड़कर भाग गए इसलिए मन्दिर का ऊपरी सिरा नही बन पाया होगा। गंगा से करीब आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है सारनाथ महादेव मंदिर सावन के महीने में गंगा का पानी मंदिर के कुंड को लबालब भर जाता है शिवलिंग को स्नान कराकर वापस चली जाती है।ऐसी मान्यता है।
मंदिर के शिला लेख में छिपा है खजाने का रहस्य
सारनाथ महादेव मंदिर खजाने के रहस्यों से भरा है।इस मंदिर को देखकर उसके शिलाओं पर लिखा लेख और शिलाओं पर बने तीर के निशान से कुछ रहस्य को दर्शाता है क्योंकि लोगो ने बताया कि मन्दिर के नीचे से एक गुफा चुनार किले तक बनी है।चुनार का किला अपने आप मे एक रहस्यमयी है चुनार किले में खजाने का छिपा रहस्य इस मंदिर के शिला लेख कुछ रहस्यों को दर्शाता है।यह मंदिर से चुनार दुर्ग तक मंदिर के नीचे से गुफा बनी है जो मंदिर के ऊपरी शीले में बने तीर से रहस्य को दर्शाती है।
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पुराने सांप करते है खजाने की रक्षा
मंदिर के पुजारी माता प्रसाद गोस्वामी ने बताया कि मंदिर के नीचे शिवलिंग के पास एक छेद है जिसमें सांपों का एक जखीरा रहता है वही इस रहस्य पर पर्दा बनाए हुए हैं । लेकिन पुजारी का कहना है कि यही पर खजाने का रहस्य है जिसकी सुरक्षा सांप करते हैं एकता की बात है एक व्यक्ति मंदिर में क्रोधित होकर आया और मंदिर में तोड़फोड़ करने लगा उसी क्षण पर सर्पो के झुंड ने उस आदमी को घेर लिया । इसी से पता चलता है कि साँप करते है खजाने का रक्षा।