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विश्वविद्यालय में आयोजित हुआ वेबिनार, विशेषज्ञ बोले- कोरोना के साथ जीना सीखना पड़ेगा
कोविड-19 के इस कठिन समय में टेक्नोलॉजी का उपयोग ही एकमात्र सहारा है जिससे शिक्षा और शोध के कार्य को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाया जा सकता है।
मेरठ: कोविड-19 के इस कठिन समय में टेक्नोलॉजी का उपयोग ही एकमात्र सहारा है जिससे शिक्षा और शोध के कार्य को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाया जा सकता है। इसी क्रम में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के भौतिक विज्ञान विभाग ने अपनी भूमिका का निर्वहन करते हुए दो दिवसीय इंटरनेशनल वेबीनार वर्तमान परिदृश्य में विज्ञान और प्रौद्योगिकी में विषय अनुसंधान की संभावना विषय पर की है। इसकी की शुरुआत उद्घाटन सत्र से हुई उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता विश्व विद्यालय की प्रति कुलपति प्रोफेसर वाई विमला ने की।
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उद्घाटन सत्र का शुभारंभ सरस्वती वंदना से हुआ तत्पश्चात वेबीनार के संयोजक और भौतिक विज्ञान के विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर वीरपाल सिंह ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया। प्रोफेसर वीरपाल ने विशेष रूप से कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रोफेसर किशनलाल जो कि राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला एनसीएल नई दिल्ली के निदेशक रहे हैं और आजकल भारत सरकार की शोध को बढ़ावा देने वाली संस्थाओं जैसे डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी आदि की विभिन्न समितियों के अध्यक्ष की भूमिका निभा रहे हैं का धन्यवाद दिया।
प्रोफ़ेसर वीरपाल ने जू मैप से जुड़े हुए अन्य प्रोफेसर और वैज्ञानिकों का भी स्वागत किया और वेबीनार से जुड़ने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। वेबीनार में हिंदुस्तान के अतिरिक्त विश्व के अनेक देशों के विशेषज्ञों ने भी प्रति भाग लिया। इसमें प्रमुख रूप से प्रोफेसर पीके गुप्ता प्रोफेसर एसपी करें प्रोफेसर पूनम टंडन प्रोफेसर रमेश चंद्र प्रोफेसर दीनो जारो सर जी यंत्र की Scotland UK प्रोफेसर गगन कुमार आदि रहे।
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कार्यक्रम के आयोजन सचिव प्रोफेसर अनिल कुमार मलिक नए वेबीनार के बारे में विस्तार से जानकारी दी उन्होंने बताया कि वेबीनार में कुल 8 सत्र होंगे। आमंत्रित व्याख्यानों के अतिरिक्त मौखिक और पोस्टर सत्र भी आयोजित किए जाएंगे। प्रोफ़ेसर मलिक ने बताया इतने कम समय के बावजूद सिर्फ 48 घंटों में 800 से अधिक रजिस्ट्रेशन किए गए। यह रजिस्ट्रेशन देश के विभिन्न अग्रणी संस्थानों जैसे आईआईटी एनआईटी हैदराबाद यूनिवर्सिटी लखनऊ यूनिवर्सिटी बीएचयू के प्रतिभागियों द्वारा किए गए।
प्रोफ़ेसर मलिक ने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रोफेसर किशन लाल का विस्तृत परिचय सभी प्रतिभागियों के समक्ष प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रोफेसर किशनलाल ने कोविड-19 का जिक्र करते हुए वायरस को पहचानने और उस पर शोध करने की प्रक्रिया के क्रमिक विकास पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि अणु को जानने के लिए उनका स्ट्रक स्ट्रक्चर जानना अत्यंत आवश्यक है।
शुरुआती दिनों में एक्स-रे डिक्शन तकनीक से पिक्चर जानने की शुरुआत 1912 से ब्रेक द्वारा की गई। तत्पश्चात हाई फ्रिकवेंसी संपूर्ण परावर्तन का प्रयोग भी पदार्थों के अध्ययन में होने लगा। अब तक लगभग दस लाख स्ट्रक्चर को जाना जा चुका है। उन्होंने कहा कि हमें कोरोना के साथ जीना सीखना पड़ेगा। इसके लिए उन्होंने हाई क्वालिटी टेंपरेचर सेंसर जैसे उपकरणों पर बल दिया।
अध्यक्षीय संबोधन से पहले प्रोफेसर एसपी खरे ने भी अपने अनुभव साझा किए और विभाग के प्रोफेसर को वेबीनार की सफलता के लिए शुभकामना दी। कार्यक्रम के अंत में विश्वविद्यालय की प्रति कुलपति प्रोफेसर वाई विमला ने पहले मुख्य अतिथि प्रोफेसर किशनलाल को धन्यवाद दिया और वेबीनार के आयोजकों को वेबीनार की सफलता के लिए शुभकामना दी। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में उन्होंने अंतर विषयक शोध की आवश्यकता पर प्रकाश डाला और कहा कि समय आ गया है कि सब साथ आएं और मानवता के भले के लिए नए-नए आविष्कार करें।
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उद्घाटन सत्र के अंत में डॉ योगेंद्र गौतम ने सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का धन्यवाद दिया उद्घाटन सत्र के उपरांत तकनीकी सत्र में विशेष रूप से प्रोफेसर पीके गुप्ता प्रोफेसर दीनू प्रोफेसर आर एस वास प्रोफेसर चंद्र दिए टंडन और प्रोफेसर गगन कुमार ने अपने अपने शोध अनुभव को प्रतिभागियों के साथ साझा किया।
रिपोर्ट: सुशील कुमार
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