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यूपी पुलिस हुई बेनकाबः विकास दुबे का सरेंडर, फिर कुरेद गया नासूर

बीती 02 जुलाई से फरार विकास दुबे को पूरे यूपी की पुलिस और एसटीएफ पूरी कोशिश करके भी गिरफ्तार न कर सकी और आखिरकार विकास ने स्वयं ही सरेंडर किया।

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Published on: 9 July 2020 5:40 AM GMT
यूपी पुलिस हुई बेनकाबः विकास दुबे का सरेंडर, फिर कुरेद गया नासूर
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लखनऊ। कानपुर मुठभेड़ में 08 पुलिसकर्मियों की हत्या को अंजाम देने वाला मोस्ट वांटेड व पांच लाख के ईनामी विकास दुबे अब गिरफ्तार तो हो गया है लेकिन यूपी पुलिस की कार्यशैली पर सवालिया निशान भी लगा गया। बीती 02 जुलाई से फरार विकास दुबे को पूरे यूपी की पुलिस और एसटीएफ पूरी कोशिश करके भी गिरफ्तार न कर सकी और आखिरकार विकास ने स्वयं ही सरेंडर किया।

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विकास दुबे का नेटवर्क बहुत ही मजबूत

इससे साफ जाहिर है कि विकास दुबे का नेटवर्क बहुत ही मजबूत है और वह पुलिस से दो कदम आगे की सोचता है। विकास ने बहुत ही योजनाबद्ध तरीके से उज्जैन पहुंच कर महाकाल के दर्शन किए और उसके बाद स्वयं ही पुजारी से कह कर सरेंडर किया। इस दौरान उसने तमाम मीडिया वालों को भी बुला लिया। इस बीच विकास दुबे के साथ कई नेताओं और आला अधिकारियों के संबंध भी सामने आये। विकास दुबे के इस तरह सरेंडर करने से जहां यूपी पुलिस की किरकिरी हुई वहीं यूपी की सियासत में अपराधियों और राजनेताओं के गठजोड़ की दास्तान भी सामने आयी।

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यूपी में राजनीति और अपराध का जबरदस्त काकटेल

दरअसल, यूपी में राजनीति और अपराध का जबरदस्त काकटेल है। अपराधियों का अपने क्षेत्रों में दबदबा और राजनीतिक दलों की ज्यादा से ज्यादा सीटे जीतने की मंशा इस गठजोड़ को मजबूत करता है। राजनीतिक दल चुनावों में अपराधियों को टिकट देती है तो इनमे से कई जीत कर सत्ता के गलियारों में पहुंच जाते है।

एडीआर ने ज़ारी की रिपोर्ट

राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों के आपराधिक व आर्थिक स्थिति का ब्यौरा रखने वाली एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानी एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2017 में हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में 403 सीटों के लिए 4 हजार 823 उम्मीदवारों में से 17 प्रतिशत यानी 859 उम्मीदवारों का आपराधिक इतिहास था और इनमे से 704 प्रत्याशी तो ऐसे थे जिनके खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले थे। इनमे से आपराधिक मामलों का सामना कर रहे 143 प्रत्याशी जीत कर विधानसभा भी पहुंच गए। एडीआर की रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में यूपी के 80 लोकसभा सीटों पर 979 प्रत्याशियों में से 220 के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज थे और इनमे से 44 प्रत्याशी चुनाव जीत कर संसद पहुंचने में कामयाब रहे थे।

रिपोर्ट- मनीष श्रीवास्तव, लखनऊ

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