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रोजगार के नये अवसरः पीएचडी चेंबर का दावा बढ़ेगा दवा उद्योग
प्रदेश सरकार के अपर मुख्य सचिव एमएसएई नवनीत सहगल ने बताया कि उत्तर प्रदेश के पीलीभीत व ललितपुर में फ़ार्मा पार्क बनाने की दिशा में तेज़ी से प्रयास किए जा रहे हैं। जिसके लिए भूमि का अधिग्रहण जारी है। साथ ही मेडिकल उपकरणों के निर्माण के लिए नोएडा गाज़ियाबाद, गोरखपुर, इलाहाबाद जैसे अनेक शहरों में योजनाएं प्रस्तावित हैं।
उत्तर प्रदेश: पीएचडी चैंबर की पहल पर देश की प्रमुख दवा कंपनियों व विदेशी निवेशकों ने योगी सरकार के प्रमुख अधिकारियों के साथ उत्तर प्रदेश की फॉर्मा पॉलसी बनाने के लिए आज लंबी चर्चा की। पीएचडी चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के यूपी चैप्टर की दो घंटे तक चली इस वेबिनार में जूबिलेंट लाइफ़ साइंसेज़, सिपला, जायडस हैल्थकेयर व एल्कैम जैसी कंपनियों के साथ ही लंदन के निवेशकों ने भी उत्तर प्रदेश के फ़ार्मा सेक्टर में निवेश की रूचि ज़ाहिर की। साथ ही सरकार से बिजली, पानी और ज़मीन जैसी मूलभूत आवश्यकताओं को रियायती दरों पर उपलब्ध कराने की बात कही जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीन जैसे देशों के मुक़ाबले में भारतीय उद्योग को खड़ा किया जा सके।
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भूमि का अधिग्रहण जारी
प्रदेश सरकार के अपर मुख्य सचिव एमएसएई नवनीत सहगल ने बताया कि उत्तर प्रदेश के पीलीभीत व ललितपुर में फ़ार्मा पार्क बनाने की दिशा में तेज़ी से प्रयास किए जा रहे हैं। जिसके लिए भूमि का अधिग्रहण जारी है। साथ ही मेडिकल उपकरणों के निर्माण के लिए नोएडा गाज़ियाबाद, गोरखपुर, इलाहाबाद जैसे अनेक शहरों में योजनाएं प्रस्तावित हैं। प्रमुख सचिव खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन अनीता सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश में 16,217 करोड़ रूपए की दवाओं का सालाना कारोबार होता है।
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आयुर्वेदिक दवाओं को भी किया शामिल
2018 की फ़ार्मा पॉलिसी मुख्यतः एपीआई और बल्क ड्रग तक ही सीमित थी। अब इसका दायरा बढ़ा कर इसमें आयुर्वेदिक दवाओं को भी शामिल किया गया है। उन्होने कहा की अब हमारा काम सिर्फ़ लाइसेंस देने तक ही सीमित नहीं रहेगा बल्कि उद्यमियों के साथ संवाद बढ़ाकर हम फ़ार्मा उद्योग से जुड़ी समस्याओं को भी हल करने का पूरा प्रयास करेंगे।
फ़ार्मा उद्योग के लिए माहौल अनुकूल
पीएचडी चेंबर के नैशनल वाइस प्रेसिडेंट व मुल्तानी फार्मास्यूटिकल के चेयरमैन प्रदीप मुल्तानी ने कहा की दवा उद्योग से जुड़े उद्यमियों को 40 से ज़्यादा विभागों का सामना करना पड़ता है। सिंगल विंडो सिस्टम की स्थापना के साथ ही यह गतिरोध हटना चाहिए। इस मामले में पंजाब सरकार के मॉडल से सबक़ लिया जा सकता है जहाँ फैक्ट्री के निरीक्षण से पहले उद्यमी को सूचित करना अनिवार्य है। पीएचडी चैम्बर के यूपी चेयरमैन मनोज गौड़ व मेंटॉर ललित खेतान ने उत्तर प्रदेश में फ़ार्मा उद्योग के लिए अनुकूल माहौल होने की बात कही।
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अर्थव्यवस्था को सुधारने का सुनहरा मौक़ा
पीएचडी चेंबर यूपी चैप्टर के को-चेयरमैन मनीष खेमका ने कहा कि यक़ीन करना मुश्किल है लेकिन आज़ादी के 73 साल के बाद भी भारत दवा बनाने के लिए 80% से ज़्यादा बेसिक कैमिकल चीन से आयात करता है। प्रमुख एंटीबायोटिक व पैरासिटामॉल जैसी आम दवाओं के निर्माण के लिए भी हम चीन पर निर्भर हैं। इस तथ्य के बावजूद भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा दवा निर्माता है। खेमका ने कहा दवा उद्योग उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को सुधारने का सुनहरा मौक़ा है। उत्तर प्रदेश में दवा के लिए ज़रूरी स्टार्टिंग मटेरियल के निर्माण को बढ़ावा देखकर न केवल प्रदेश सरकार के राजस्व में वृद्धि की जा सकती है बल्कि इससे कारोबार और रोज़गार के अवसरों को भी बढ़ाने में मदद मिलेगी।
ये लोग थे मौजूद
पीएचडी चैम्बर की इस वेबिनार में भारत के पूर्व दवा नियंत्रक महानिदेशक जी एन सिंह, बी आर सिकरी-चेयरमैन-फेडरेशन ऑफ़ फ़ार्मा इंटरप्रेन्योर्स इंडिया, महेश दोषी-नैशनल प्रेसिडेंट इंडियन ड्रैग मैन्युफैक्चरर्स असोसिएशन, वरिष्ठ वैज्ञानिक पी के सेठ, डॉक्टर गुरप्रीत संधू-प्रेसिडेंट काउंसिल फॉर हेल्थ केयर एंड फ़ार्मा, डॉक्टर प्रभा भंडारी-वॉइस प्रेसिडेंट ग्लोबल रेग्युलेटरी अफेयर्स, हितेश दहिया-सीनियर मैनेजर काउंसिल फॉर हेल्थ केयर एंड फ़ार्मा, पी के गुप्ता-चेयरमैन कन्फैडरेशन ऑफ इंडियन फॉर्मास्यूटिकल इंडस्ट्री, वी वी कृष्णन रेड्डी-नैशनल प्रेसिडेंट बल्क ड्रग मैन्युफैक्चरर्स असोसिएशन, श्रीनिवासन-वॉइस प्रेसिडेंट एलकैम लैबोरेटरी, देबाशीष सरकार-सीनियर वाइस प्रेसिडेंट मैकलिऑड फ़ार्मा, अरविंद वर्चास्वी-चेयरमैन आयुष कमेटी पीएचडी चैंबर्स, जी के रमन व विभोर कुमार शर्मा-जूबिलेंट लाइफ़ साइंसेज, राघवेंद्र प्रताप सिंह- जायडस हैल्थकेयर, लंदन से सुमित जालान, प्रवीण सिंह-एमडी यूपी इंडस्ट्रियल कंसल्टेंट्स लिमिटेड व उत्तर प्रदेश सरकार के ड्रग कंट्रोलर ए के जैन समेत फ़ार्मा जगत के अनेक प्रमुख व्यक्ति मौजूद थे।
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