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बहुत ही दु:खद! एक बार फिर अन्नदाताओं को मिली लाठियां
यूपी के उन्नाव में ट्रांस गंगा सिटी प्रोजेक्ट की जमीन के मुआवजे की मांग को लेकर किसानों के साथ पुलिस ने जिस तरह से अमानवीय व्यवहार किया है उसे सभ्य समाज के लिए अच्छा नही कहा जा सकता है। यदि सरकार पहले से बात कर किसानों को संतुष्ट कर लेती तो इस तरह की नौबत ही न आती।
उन्नाव: एक बार फिर अन्नदाता अपनी जमीन के लिए संघर्ष कर रहा है, लाठी खा रहा है, पीटा जा रहा है। पर हर बार की तरह विपक्षी दल बयानबाजी कर अपनी भूमिका निभा रहे हैं वहीं सत्तापक्ष चुप्पी साधे हुए हैं। यह कोई नया मामला नहीं है जब किसानों पर इस तरह से लाठीचार्ज हुआ हो फिर चाहे वह सरकार मायावती की हो अखिलेश यादव की ही क्यों न हो।
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अपने हक की लडाई लडने वालों पर लाठी चार्ज
यूपी के उन्नाव में ट्रांस गंगा सिटी प्रोजेक्ट की जमीन के मुआवजे की मांग को लेकर किसानों के साथ पुलिस ने जिस तरह से अमानवीय व्यवहार किया है उसे सभ्य समाज के लिए अच्छा नही कहा जा सकता है। यदि सरकार पहले से बात कर किसानों को संतुष्ट कर लेती तो इस तरह की नौबत ही न आती। किसान हमारा अन्नदाता है हमे जीवन देता है और अगर उसने अपने हक की लडाई लडी है तो इसमें गलत क्या है। अपने हक की लडाई लडने वालों पर लाठी चार्ज किया जाए। यह कहां क्या न्याय है?
आखिर आंदोलन की नौबत आई ही क्योे, किसान यदि अपनी मांग के लिए वार्ता करना चाह रहे तो स्थानीय प्रशासन क्या कर रहा था ? उसने शासन तक किसानों की बात को क्यो नहीं पहुंचाया। यह आदोलन कोई नया नही है, पिछले ढाई साल से किसान अपनी मांगों की गुहार स्थानीय प्रशासन के समक्ष रखते आ रहे हैं। उनके सब्र का बांध जब टूट गया तभी तो आदोलित किसानों ने एक जेसीबी, कार और बस में तोड़फोड़ कर आगजनी का प्रयास किया।
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पुलिस की टीम ने काफी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया
रविवार को तो किसानों का प्रदर्शन और उग्र हो गया। किसानों ने मुआवजे की मांग को लेकर पावर हाउस के पास रखे पाइपों में आग लगा दी। फायर ब्रिगेड और पुलिस की टीम ने काफी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। इसके बाद पुलिस और किसानों में तीखी झड़प हुई।
पुलिस को संयम से काम लेना चाहिए था। जिस तरह से किसानों बेरहमी से लाठी चार्ज किया गया उससे तो आंदोलन थमने की बजाय बढ ही सकता है। पुलिस ने जब आंसू गैस के गोले दागे तभी जवाब में किसानों ने पुलिस पर पथराव किया जिसके कारण सीओ समेत छह पुलिस कर्मी घायल हुए हैं। पुलिस ने किसान नेता वीएन पाल को गिरफ्तार किया है। बताया जा रहा है कि उनके सिर में चोट लग गई है। 2 किसानों को गंभीर हालत में जिला अस्पताल भर्ती कराया गया है।
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वहीं डीएम देवेंद्र पांडेय का कहना है कि किसानों का जो मुआवजा था वह दिया जा चुका है। प्रशासन के पास उनका कोई बकाया नहीं है। इसके बावजूद किसान जिद पर अड़े हैं। शासन स्तर पर कई बार बातचीत हो चुकी है लेकिन किसान मानने को तैयार नहीं है। डीएम ने बताया कुछ अराजक तत्वों द्वारा पथराव किया गया था इसपर फायर ब्रिगेड ने पानी का छिड़काव कर आंसू गैस के गोले का इस्तेमाल किया और लाठी पटक कर स्थिति नियंत्रण में की गई है।
किसानों की मांगों पर तीन बार मुआवजा राशि बढ़ाई जा चुकी है
कानपुर गंगा बैराज से सटे उन्नाव के ट्रांस गंगा सिटी की भूमि अधिग्रहण को लेकर पहले भी तीन बार किसान आंदोलन कर चुके हैं। प्रशासन का दावा है कि किसानों की मांगों पर तीन बार मुआवजा राशि बढ़ाई जा चुकी है। उसके बाद भी किसानों ने ट्रांस गंगा सिटी का काम शुरू नहीं होने दिया। इस बार यूपीएसआईडीसी के अफसरों ने जब काम की शुरुआत की तो किसानों ने अपना विरोध शुरू कर दिया है।
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बता दें कि 2002 वर्ष 2003 में यूपीएसआइडीसी ने स्पेशल इकोनामिक जोन (एसइजेड) के लिए 1150 एकड़ भूमि अधिग्रहीत की थी। तब किसानों को डेढ़ लाख रुपया प्रति बीघा मुआवजा तय हुआ था। उस समय भी लेदर इंडस्ट्री स्थापित नहीं करने और मुआवजा राशि बढ़ाने की मांग उठी थी। तब तत्कालीन बसपा सरकार की ओर से सांसद बृजेश पाठक ने किसानों और प्रशासन के बीच मध्यस्थता की थी।
इसके बाद अगस्त 2007 में बृजेश पाठक की मध्यस्थता में प्रशासन से समझौता हुआ था। तब किसानों को पांच लाख 51 हजार रुपया प्रति बीघा का मुआवजा देने की पेशकश की गई थी। समझौते में मुआवजे के मसले पर किसानों ने इसे कम बताया था। इसके बाद उनको बकाया राशि दिए जाने का प्रशासन की तरफ से आश्वासन मिला था। उसके बाद से लगातार किसानों का आदोलन हल्के फुल्के तौर पर चलता रहा है।