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विकास बना आफत: मरने के बाद भी पुलिस के गले की फांस, खुल रहे कई राज
विकास की खोज के दौरान यूपी पुलिस और एसटीएफ ने एक हफ्ते में इस केस से जुड़े विकास समेत 6 एंकाउंटर किए।करीब 3 एंकाउंटर की कहानी विकास के एनकाउंटर से बिलकुल मेल खाती है।
कुख्यात अपराधी विकास दुबे ने जीते जी तो पुलिस की नाक में दम किया ही,पर उसकी मौत ने भी पुलिस को कठघरे में खड़ा कर दिया है।विकास दुबे के एनकाउंटर को लेकर अब सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों तक में सवाल उठने लगे हैं। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने तो इस एनकाउंटर के बहाने यूपी की योगी सरकार पर निशाना साधा है।
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क्या है एनकाउंटर की कहानी
पिछले हफ्ते कानपुर के बिकरू गांव में विकास दुबे और उसके साथियों ने पुलिस की दबिश के खिलाफ मोर्चाबंदी पुलिस टीम पर हमला कर दिया था। उसने ना सिर्फ 8 पुलिस वालों को मार दिया बल्कि उनके शवों को भी क्षत विक्षत कर दिया। घटना के बाद से ही विकास दुबे ने यूपी पुलिस को खूब छकाया। पुलिस के जाल बिछाने के बावजूद वह आराम से फरीदाबाद और फिर उज्जैन की 1200 किलोमीटर की यात्रा करता रहा।यूपी एसटीएफ ने उसे उज्जैन के महाकाल मंदिर से मध्य प्रदेश पुलिस की सहायता से गिरफ्तार किया।
एसटीएफ की टीम पहले उसे झांसी और फिर कानपुर ले जा रही थी कि शुक्रवार की सुबह अचानक एसटीएफ की गाड़ी पलटने और विकास दुबे के पिस्टल छीनकर भागने की खबर आई।यूपी एसटीएफ का दावा है कि विकास ने भागने के लिए ना सिर्फ उनके हथियार छीन लिए बल्कि उनपर गोलियां भी चलाईं।जिससे बचने के लिए उन्हें विकास पर गोलियां चलानी पड़ीं। इस गोलीबारी में विकास घायल हो गया जिसके बाद उसे कानपुर के हैलट अस्पताल ले जाया गया जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया।
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क्यों उठ रहे हैं एनकाउंटर पर सवाल
इस पूरे घटनाक्रम की कहानी लोगों को पूरी तरह से फिल्मी लग रही है।सोशल मीडिया पर तो लोगों ने पुलिस की थ्योरी की धज्जियां उड़ा दी हैं।दरअसल विकास की गिरफ्तारी के साथ ही उसके एंकाउंटर का अंदेशा जताया जा रहा था। कहा जा रहा है कि इस अंदेशे के चलते ही गिरफ्तारी के वक्त विकास मध्य प्रदेश की सड़कों पर चिल्ला चिल्लाकर कह रहा था-मैं विकास हूं कानपुर वाला। अब उसके एंकाउंटर के बाद बहुत से सवाल उठ रहे हैं मसलन-
-जिस विकास को महाकाल के मंदिर के सिक्योरिटी गार्डों ने निहत्थे ही पकड़ लिया था वह विकास एसटीएफ के माहिर कर्मचारियों के हाथ से छूटकर भागने कैसे लगा
-विकास जब खुद को मध्य प्रदेश की सड़कों पर गिरफ्तार बता रहा था तो कानपुर आता आते वह भागने क्यों लगा
-जहां उसकी गाड़ी पलटने की बात कही जा रही है वहां ना तो कोई डिवाइडर था ना गाड़ी पलटने के कोई निशान
-विकास जब भाग रहा था तो सारी गोलियां उसके सीने में कैसे लगीं।
-विकास के पैर में रॉड पड़ी हुई थी ऐसे में वह पुलिस की गिरफ्त से भागने का दुस्साहस कैसे कर सकता है।
-विकास को ले जानी वाली गाड़ी का पीछा कर रही मीडिया की गाड़ियों को चेकिंग के बहाने रोके जाने पर भी सवाल उठ रहे हैं।
-उसकी गाड़ी में मौजूद पुलिसकर्मी को कितनी चोट लगी है इसपर भी ज्यादा जानकारी नहीं दी जा रही है।
-जिस गाड़ी के पलटने से पुलिसकर्मी घायल हो गए उसमें विकास को चोट नहीं आई और वह भागने लगा।
-विकास को गिरफ्तार कर ले जाते समय उसे हथकड़ी क्यों नहीं लगाई गई।
पुलिस की कहानी में है दोहराव
विकास की खोज के दौरान यूपी पुलिस और एसटीएफ ने एक हफ्ते में इस केस से जुड़े विकास समेत 6 एंकाउंटर किए।करीब 3 एंकाउंटर की कहानी विकास के एनकाउंटर से बिलकुल मेल खाती है। हर बार पुलिस ने अपराधी को पकड़ा और उसे ले जाते समय गाड़ी में खराबी आई ।अपराधी ने भागने की कोशिश और पुलिस ने आत्मरक्षा करने में उसका एंकाउंटर कर दिया । बार बार एक ही तरह की कहानी दोहराए जाने से सोशल मीडिया में सेलेब्रिटी से लेकर आम लोग तक यूपी पुलिस पर ही सवाल उठाने लगे हैं।
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योगी की ठोंको नीति निशाने पर
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार में अब तक सैंकड़ों एंकाउंटर किए जा चुके हैं। खुद सीएम योगी कई बार सार्वजनिक मंचों से एंकाउंटर का समर्थन करने वाली ठोंको नीति का एलान कर चुके हैं।विकास दुबे के एंकाउंटर को लेकर सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि यह माना जा रहा था कि विकास अगर ज़िंदा रहता तो कई सफेदपोशों के साथ उसके कनेक्शन सामने आ जाते जिसमें कई राजनीतिक पार्टियों के नेता ,वकील ,कारोबारी,अधिकारी शामिल होते।सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने तो सरकार पर तंज़ कसते हुए कहा कि विकास की कार नहीं पलटी बल्कि सरकार पलटने से बच गई। वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग
की है।
यूपी बना एनकाउंटर प्रदेश
उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर हो रहे अपराधियों के एंकाउंटर को लेकर मानवाधिकार आयोग ने नोटिस भेजी है लेकिन अब तक नोटिस के बाद कोई कारवाई नहीं की गई है। जानकारों का मानना है कि कड़ी कारवाई के अभाव में यूपी एंकाउंटर प्रदेश बनता जा रहा है जो सिस्टम के लिए अच्छी बात नहीं है।
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