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उत्तराखंड: धामी रेस से बाहर अब डिप्टी सीएम के लिए चला रेखा आर्य का नाम

उत्तराखंड में तीरथ सिंह रावत के मुख्यमंत्री बनने के बाद अब लोगों की इस ओर है कि उनके मंत्रिमंडल में कौन-कौन से चेहरे शामिल होंगे। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले नामों की सूची लेकर दिल्ली रवाना हो गए हैं।

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Published on: 11 March 2021 10:16 AM GMT
उत्तराखंड: धामी रेस से बाहर अब डिप्टी सीएम के लिए चला रेखा आर्य का नाम
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उत्तराखंड: धामी रेस से बाहर अब डिप्टी सीएम के लिए चला रेखा आर्य का नाम

रामकृष्ण वाजपेयी

नई दिल्ली। उत्तराखंड में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर इस समय कयासों का बाजार गर्म है। तीरथ सिंह रावत के मुख्यमंत्री बनने के बाद अब लोगों की इस ओर है कि उनके मंत्रिमंडल में कौन-कौन से चेहरे शामिल होंगे। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले नामों की सूची लेकर दिल्ली रवाना हो गए हैं। उन्हें दिल्ली में शाम चार बजे का समय मिला है। इसके बाद ही यह तय होगा कि उनके मंत्रिमंडल में कौन से चेहरे रहेंगे। कहा जा रहा है कि मंत्रिमंडल विस्तार के पहले चरण में सिर्फ पांच लोगों को शपथ दिलायी जाएगी।

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उपमुख्यमंत्री की दौड़ से बाहर

इस बीच कयासों के आधार पर पुष्कर सिंह धामी का नाम जहां उपमुख्यमंत्री की रेस से बाहर हो चुका है, वहीं रेखा आर्य का नाम उनके तीरथ सिंह रावत से करीबी को लेकर उप मुख्यमंत्री की रेस में प्रमुखता से उभरा है। इसके अलावा मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल रहे धन सिंह रावत को भी मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने के कयास लगाए जा रहे हैं।

सूत्रों के मुताबिक त्रिवेंद्र सिंह रावत के मंत्रिमंडल में रहे सतपाल महाराज, सुबोध उनियाल, हरक सिंह रावत, अरविंद पांडे, यशपाल आर्य, मदन कौशिक आदि के नामों की फिलहाल कोई चर्चा नहीं है।

मंत्रिमंडल के पहले विस्तार में कुमाऊं मंडल को भी प्रतिनिधित्व दिये जाने की संभावना जतायी जा रही है। हालांकि कुमाऊं मंडल के हरभजन सिंह चीमा के बगावती तेवरों और आप में शामिल होने की चर्चाओं को देखते हुए उनको मनाने के लिए मंत्रिमंडल में लिया जा सकता है।

उधर तीरथ सिंह रावत की ताजपोशी के बाद पुष्कर सिंह धामी काफी नाराज दिखे, उनकी नाराजगी की वजह फिलहाल नहीं पता चल सकी है। लेकिन अब संभावना यही जतायी जा रही है कि वह उपमुख्यमंत्री की दौड़ से बाहर हो चुके हैं।

Tirath फोटो-सोशल मीडिया

जानकारों का कहना है कि तीरथ सिंह रावत के सामने वर्तमान में सबसे बड़ी चुनौती मंत्रिमंडल के जरिए गढ़वाल और कुमाऊं मंडल में संतुलन बिठाकर एक संदेश देना है। कुमाऊं मंडल की लॉबी त्रिवेंद्र सिंह रावत से बहुत अधिक नाराज थी। उनको संतुष्ट कर पाना मुख्यमंत्री की पहली कसौटी होगी।

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तीरथ सिंह रावत के लिए एक बड़ी चुनौती

इसके अलावा चूंकि त्रिवेंद्र सिंह रावत के हटने के बाद पुराना मंत्रिमंडल खत्म हो चुका है। अब उत्तराखंड के जो दो मुख्य व्यवसायों शराब और खनन के ठेके देने का काम तीरथ सिंह रावत को करना है।

हालांकि जानकारों का कहना है कि इन ठेकों के संबंध में बाकी तैयारियां पिछली सरकार में हो चुकी हैं। अब अप्रैल में नये ठेके दिये जाने हैं ऐसे में पहाड़ की दोनो पावरफुल लॉबी को संतुष्ट करना भी तीरथ सिंह रावत के लिए एक बड़ी चुनौती होगी।

Teerath Singh Rawat फोटो-सोशल मीडिया

बात करें नौकरशाही की तो उत्तराखंड में नौकरशाही राजनेताओं पर इतना अधिक हॉवी हो चुकी है कि अब उसे किसी बात का डर नहीं रह गया है। अगर कोई कहता भी है कि मैं शिकायत करूंगा तो नौकरशाही का भाव यही रहता है कि कह दो, नौकरशाही जानती है।

उनके ऊपर कोई कड़ा एक्शन नहीं हो सकता है। नौकरशाही भ्रष्ट मंत्रियों की न सुनने की नीति पर चल रही है या वहां के मंत्रियों पर पूरी तरह से हावी हो चुकी है। इसलिए उसे छेड़ना आसान नहीं है।

इसके अलावा गढ़वाल मंडल में नई कमिश्नरी बनाने का जो फैसला त्रिवेंद्र सिंह रावत के जाने की वजह बना उस फैसले को बदलना भी तीरथ सिंह रावत के लिए एक चुनौती होगी, क्योंकि उन्हें गढ़वाल और कुमाऊं दोनों मंडलों के लोगों को संतुष्ट करना है।

उत्तराखंड राज्य बनने से पहले गढ़वाल मंडल की तरह कुमाऊं मंडल भी हुआ करता था जो कि राज्य बनने के बाद खत्म हो गया। यह बात कुमाऊं के लोगों और जनप्रतिनिधियों को आहत कर रही है। ऐसे में कुमाऊं मंडल को संतुष्ट करना भी एक बड़ी चुनौती होगी।

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