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करोड़ों का एक इंजेक्शन: इस 8 हफ्ते के बच्चे को लगाया गया, जानें कौन सी है बीमारी?
यह बीमारी ज्यादातर बच्चों को ही होती है और बाद में दिक्कत बढ़ने के साथ मरीज की मौत हो जाती है। ब्रिटेन में ये बीमारी ज्यादा है और वहां करीब 60 बच्चे हर साल ऐसा पैदा होते हैं जिन्हें ये बीमारी होती है।
नई दिल्ली: ब्रिटेन में जन्मे महज आठ हफ्ते के एक मासूम बच्चे को दुनिया का सबसे महंगा इंजेक्शन लगाया जाएगा। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर इतने छोटे बच्चे को ऐसी कौन सी बीमारी है जिसके लिए उसे दुनिया के सबसे सबसे महंगे इंजेक्शन की जरुरत पड़ गई। दरअसल इस बच्चे को जेनेटिक स्पाइनल मस्कुलर अट्रोफी (SMA) बीमारी है।
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दुनिया की सबसे महंगी दवाओं में से एक
इस जेनेटिक बीमारी का इलाज दुनिया की सबसे महंगी दवाओं में से एक जोलगेनेस्मा इंजेक्शन से होना है। इस इंजेक्शन की कीमत 1.7 मिलियन पाउंड यानी 16 करोड़ रुपए हैं। इलाज के लिए बच्चे के माता-पिता ने क्राउड फंडिंग से पैसे जुटाने के लिए मुहिम शुरू की है। उन्हें अब तक 1.17 करोड़ रुपए मिल भी चुके हैं। इस मासूम के माता-पिता का कहना है कि उनके लिए बेटे की जिंदगी बेशकीमती है। उसकी जान बचाने के लिए वे हर मुमकिन कोशिश करेंगे।
मासूम के माता-पिता (Photo-Social Media)
आखिर क्या होती है ये बीमारी??
आईये जानते हैं कि जेनेटिक स्पाइनल मस्कुलर अट्रोफी किस तरह की बीमारी है और ये क्यों होती है? दरअसल, जेनेटिक स्पाइनल मस्कुलर अट्रोफी यानी SMA शरीर में एसएमएन-1 जीन की कमी से होती है। इससे ग्रसित होने वालों के सीने की मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं और सांस लेने में दिक्कत होने लगती है।
जानकारी के लिए बता दें कि यह बीमारी ज्यादातर बच्चों को ही होती है और बाद में दिक्कत बढ़ने के साथ मरीज की मौत हो जाती है। ब्रिटेन में ये बीमारी ज्यादा है और वहां करीब 60 बच्चे हर साल ऐसा पैदा होते हैं जिन्हें ये बीमारी होती है।
सांकेतिक तस्वीर
इसलिए इसका इंजेक्शन दुनिया में सबसे महंगा है
बता दें, ब्रिटेन में ज्यादातर बच्चे इस रोग से पीड़ित हैं, लेकिन वहां इसकी दवा नहीं बनती है। इस इंजेक्शन का नाम जोलगेनेस्मा है। ब्रिटेन में इस इंजेक्शन को इलाज के लिए अमेरिका, जर्मनी और जापान से मंगाया जाता है। इस बीमारी से पीड़ित मरीज को यह इंजेक्शन सिर्फ एक ही बार दिया जाता है इसी वजह से यह इतनी महंगी है क्योंकि जोलगेनेस्मा उन तीन जीन थैरेपी में से एक है जिसे यूरोप में इस्तेमाल करने की अनुमति दी गई है।
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