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भारत हमारा बहुत अच्छा दोस्त, वार्ता में न बुलाने पर अफगान सरकार ने जताई आपत्ति

अफगानिस्तान के विदेश मंत्री हनीफ अतमर ने कहा, "भारत हमेशा से अफगान लोगों की मदद करता रहा है और हमारा बहुत अच्छा दोस्त है। भारत अफगान सरकार के साथ हमेशा खड़ा रहा है, खासकर पिछले दो दशकों में शांति और स्थिरता के प्रयासों को लेकर।

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Published on: 25 March 2021 4:08 PM IST
भारत हमारा बहुत अच्छा दोस्त, वार्ता में न बुलाने पर अफगान सरकार ने जताई आपत्ति
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नई दिल्ली। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने सभी को हैरान कर दिया है। राष्ट्रपति अशरफ ने अमेरिकी योजना के विपरीत एक नया शांति प्रस्ताव जारी किया है। ऐसे में अशरफ गनी ने कहा कि अगर तालिबान सीजफायर का ऐलान करने और चुनाव में शामिल होने के लिए राजी हो जाता है तो वह चुनाव कराने और नई सरकार को सत्ता सौंपने के लिए तैयार हैं। इसी कड़ी में अफगानिस्तान के विदेश मंत्री हनीफ अतमर ने कहा है कि उन्होंने इस प्रस्ताव को लेकर भारतीय नेतृत्व के साथ भी बातचीत की है। वहीं उन्होंने ये भी कहा कि भारत को इससे दूर रखना बहुत बड़ी गलती है।

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भारत हमारा बहुत अच्छा दोस्त

सूत्रों से सामने आई रिपोर्ट के बारे में अफगानिस्तान के विदेश मंत्री हनीफ अतमर ने कहा, "भारत हमेशा से अफगान लोगों की मदद करता रहा है और हमारा बहुत अच्छा दोस्त है। भारत अफगान सरकार के साथ हमेशा खड़ा रहा है, खासकर पिछले दो दशकों में शांति और स्थिरता के प्रयासों को लेकर।

आगे विदेश मंत्री ने कहा- अफगानिस्तान के लोगों के लिए ये बहुत ही अहम बात है कि उनके पास एक ऐसा दोस्त है जो हमेशा उनके लिए मौजूद है। भारत ने ना केवल राजनीतिक तौर पर बल्कि आर्थिक रूप से भी अफगानिस्तान की खुलकर मदद की है।

साथ ही उन्होंने कहा कि भारत ने हमेशा कहा है कि जो शांति प्रक्रिया अफगानों को स्वीकार्य होगी, वही उसे भी मान्य होगी। इसलिए हम भारत को फिर से शुक्रिया कहना चाहते हैं, भारत की तरफ से जिस तरह की समझदारी दिखाई जाती है, वो सराहनीय है।"

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शांति प्रक्रिया से जुड़ी वार्ता

दरअसल अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया से जुड़ी वार्ता में तालिबान, रूस, अमेरिका, ईरान, चीन और पाकिस्तान शामिल हैं लेकिन भारत को इससे दूर रखा गया है। अभी जल्दी में ही रूस की राजधानी मॉस्को में हुई शांति वार्ता में ये छह देश मौजूद रहे लेकिन भारत को इस बैठक का न्योता नहीं दिया गया।

सामने आई एक रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि अफगानिस्तान में शांति के लिए तैयार किए जा रहे रोडमैप पर फैसला लेने के लिए रूस ने जिन देशों की भागीदारी का नाम सुझाया था, उसमें भारत का नाम नहीं था। भारत स्थित रूसी दूतावास ने बयान जारी कर इस खबर को गलत सूचनाओं पर आधारित करार दिया था।

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