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पाकिस्तान-भारत से डरा: दुश्मन देश की हालत खराब, अकड़ू इमरान का सिर हुआ नीचे

पाकिस्तान ने भारत के साथ व्यापार पर पूरी तरह से रोक लगा दिया। लेकिन एक महीने के अंदर ही जरूरी दवाओं की किल्लत ने पाकिस्तानी सरकार को भारत से दवाएं आयात करने के लिए मजबूर कर दिया।

Vidushi Mishra
Published on: 11 May 2020 11:34 AM GMT
पाकिस्तान-भारत से डरा: दुश्मन देश की हालत खराब, अकड़ू इमरान का सिर हुआ नीचे
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पाकिस्तान-भारत से डरा: दुश्मन देश की हालत खराब, अकड़ू इमरान का सिर हुआ नीचे

नई दिल्ली। पाकिस्तान अपनी ही वाह-वाई में गिरता चला जा रहा है। कोरोना वायरस महामारी के इस दौर में अपनी मजबूरी में चारों तरफ से घिर गया है। अनु्च्छेद 370 यानी 5 अगस्त 2019 को जब मोदी सरकार ने कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किया तो पाकिस्तान ने भारत के साथ व्यापार पर पूरी तरह से रोक लगा दिया। लेकिन एक महीने के अंदर ही जरूरी दवाओं की किल्लत ने पाकिस्तानी सरकार को भारत से दवाएं आयात करने के लिए मजबूर कर दिया। यहां तक कि जरूरी दवाओं की आड़ में भारत से सरसों का तेल तक मंगाया जाने लगा। मतलब मजबूरी में ही सही पर भारत के सामने झुककर पाकिस्तान अपनी जरुरतें पूरी कर रहा है।

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पाकिस्तान की सरकार सवालों से घिर गई

लेकिन अब भारत से दवा आयात को लेकर पाकिस्तान की सरकार भी सवालों से घिर गई है। पाकिस्तान यंग फार्मासिस्ट एसोसिएशन (पीवाईपीए) ने पाक पीएम इमरान खान के विशेष सहयोगी शहजाद अकबर को पत्र लिखकर भारत से व्यापार बैन होने के बावजूद 450 से ज्यादा दवाओं के आयात को लेकर जांच की मांग की है।

इस पर एसोसिएशन ने कहा, केंद्रीय कैबिनेट को कैंसर की दवाओं की किल्लत के बारे में जानकारी दी गई थी लेकिन सरकार की ओर से जारी की गई समरी में थेरप्यूटिक गुड्स कैटिगरी (उपचारात्मक) के तहत सभी तरह की दवाइयों, विटामिन्स, सिरिंज और सरसों के तेल के आयात को भी मंजूरी दे दी गई।

बता दें कि इससे पहले, पाकिस्तान की मुस्लिम लीग-एन (पीएमएल-एन) के अध्यक्ष शहबाज शरीफ ने संसदीय समिति से दवाओं के घोटाले को लेकर जांच की मांग कर चुके हैं।

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देशद्रोह का मुकदमा

यहां तक विपक्षी नेता ने कहा कि अगर उनकी सरकार के दौरान ऐसा कुछ होता तो इमरान खान ने उनकी सरकार के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा कर दिया होता।

ऐसे में पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के सेक्रेटरी जनरल नैय्यर हुसैन बुखारी ने भी एक बयान जारी करते हुए कहा कि उन्होंने कहा कि भारत से व्यापार बैन के बावजूद अरबों रुपये की दवाइयों के आयात को लेकर संसदीय समिति द्वारा जांच होनी चाहिए। हुसैन बुखारी ने कहा कि यह पता लगाया जाना चाहिए कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है।

इसी सिलसिले में पाकिस्तान की फार्मा एसोसिएशन पीवाईपीए ने कहा कि अगस्त 2019 में जब भारत ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने का कदम उठाया तो पाकिस्तान ने एक महीने बाद भारत के साथ व्यापार पर पूरी तरह रोक लगा दिया था।

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जीवनरक्षक दवाओं की कमी

हालांकि, बैन के बाद जीवनरक्षक दवाओं की कमी होने लगी तो फार्मा इंडस्ट्री ने सरकार से भारत से सस्ती जीवनरक्षक दवाओं के आयात को मंजूरी देने की अपील की। इसके बाद पाकिस्तानी सरकार ने भारत से कैंसर व अन्य जरूरी दवाइयों के आयात को मंजूरी दे दी थी।

लेकिन जब दवा नियामक संस्था ने वाणिज्य मंत्रालय को मंजूरी की समरी भेजी तो उसमें लाइफसेविंग ड्रग्स (जीवनरक्षक दवा) के बजाय थेरप्यूटिक गुड्स टर्म (उपचार में काम आने वाली दवा) को शामिल कर दिया गया। इससे भारत से सभी तरह की दवाओं के आयात का रास्ता खुल गया।

और तो और फार्मा एसोसिएशन ने पत्र में इल्जाम लगाया कि भारत से ट्रेड बैन होने के बाद भी और कैबिनेट की मंजूरी के बिना ही भारत से 85 मिलियन डॉलर के टायफाइड वैक्सीन का आयात किया गया। साथ ही इसमें ये भी कहा गया है कि कैबिनेट ने इससे पहले भारत से डेंगू की दवा के आयात को परमीशन देने से मना कर दिया था।

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