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Pakistan PM: दुनिया के देशों में पीएम के पद से हटने पर मिलती है पेंशन, लेकिन इस देश में नसीब होती है जेल
Pakistan PM: पाकिस्तान में प्रधानमंत्री बनना अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा होता है। पाकिस्तान में पीएम बनने का हश्र बुरा ही होता है, किसी को फांसी मिली तो किसी को देश से बाहर निकाल दिया गया।
Pakistan PM: पाकिस्तान में प्रधानमंत्री बनना मतलब अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसे होता है। इस देश में जो भी पीएम बनता है उसका हश्र बुरा होता है। पाकिस्तान में कहने को तो लोकतंत्र है लेकिन वहां चलती है आर्मी की। वहां पीएम मतलब सेना के हाथ की कठपुतली। आर्मी के आगे वहां किसी की नहीं चलती। वहीं जब आर्मी चीफ कोई ताकतवर व्यक्ति है तो वह तख्ता भी पलट देता है। कुछ ऐसा ही चलता रहता है पाकिस्तान में। इस समय भी ऐसा ही हुआ पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के प्रमुख इमरान खान को मंगलवार को सेना ने गिरफ्तार कर लिया। उन पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं।
इमरान खान को पाकिस्तान के नेशनल अकाउंटेबिलिटी ब्यूरो यानी एनएबी ने गिरफ्तार किया। उन्हें इस्लामाबाद हाईकोर्ट के बाहर से हिरासत में लिया गया। एनएबी अधिकारियों ने बताया कि इमरान खान को अल-कादिर ट्रस्ट के मामले में गिरफ्तार किया गया है। इस ट्रस्ट का गठन 2019 में किया गया था, जिसका मालिकाना हक इमरान खान और उनकी पत्नी बुशरा बीवी के पास है।
कहा जाता है कि पाकिस्तान में प्रधानमंत्री बनना अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने के बराबर है। पाकिस्तान में इमरान खान पहले ऐसे प्रधानमंत्री नहीं हैं जिन्हें गिरफ्तार किया गया है। उनसे पहले भी कई ऐसे पूर्व प्रधानमंत्री रहे हैं जिन्हें गिरफ्तार किया जा चुका है। केवल गिरफ्तार ही नहीं, बल्कि एक प्रधानमंत्री को तो फांसी पर भी चढ़ा दिया गया तो किसी को अपने ही देश से बाहर निकाल दिया गया।
कुल्हाड़ी मारने के बराबर...जानिए कैसे?
1947 में पाकिस्तान भारत से अलग होकर स्वतंत्र देश बना। पाकिस्तान वैसे तो कहने को लोकतांत्रिक देश है, लेकिन वहां लोकतंत्र केवल नाम का ही है। क्योंकि इस देश के अब तक के इतिहास को देखा जाए तो तीन दशकों से अधिक समय तक तो देश में सेना ने ही शासन किया है। वर्तमान समय में भी पाकिस्तान के आर्थिक हालत को देखते हुए वहां फिर से सैन्य तख्तापलट की आशंका जताई जा रही है। इतना ही नहीं, पाकिस्तान में आज तक कोई ऐसा पीएम नहीं बना जिसने अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया हो। किसी प्रधानमंत्री की हत्या कर दी गई, तो किसी को सत्ता से हटाकर जेल में डाल दिया गया या फांसी पर लटका दिया गया, तो किसी को देश से ही बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। दुनिया के अधिकतर देशों में प्रधानमंत्री जब पद से हटते हैं तो सरकारी पेंशन से अपना जीवन काटते हैं, लेकिन पाकिस्तान में जब कोई प्रधानमंत्री पद से हटता है तो उसे या तो जेल जाना पड़ जाता है या फिर निर्वासन की जिंदगी जीना पड़ जाता है।
हत्या, फांसी या सजा...
पूर्व पीएम के साथ ऐसा-ऐसा बर्ताव, जब पूर्व पीएम को फांसी की सजा हुई-
10 और 11 नवंबर 1974 की आधी रात को लाहौर में एक कार पर हमलावरों ने तीन ओर से गोलियां बरसानी शुरू कीं। कार को अहमद रजा कसूरी चला रहे थे। बगल वाली सीट पर उनके पिता मोहम्मद अहमद खान कसूरी बैठे थे। पिछली सीट पर अहमद खान कसूरी की पत्नी और साली बैठी थी। इस हमले में मोहम्मद अहमद खान कसूरी की मौत हो गई थी जबकि, बाकी तीनों घायल हो गए थे। अहमद रजा कसूरी ने अपने पिता की हत्या के मामले में तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो के खिलाफ केस दर्ज करवाया। इस मामले की जांच चल ही रही थी कि तभी उस समय के सेना प्रमुख जनरल जिया उल-हक ने जुल्फिकार अली भुट्टो की सरकार का तख्तापलट कर दिया। जनरल जिया उल-हक ने मार्शल लॉ लगा दिया और भुट्टो को जेल में डाल दिया गया। 18 मार्च 1978 को लाहौर हाईकोर्ट ने भुट्टो को अहमद खान कसूरी की हत्या का दोषी करार दिया और फांसी की सजा सुनाई। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा लेकिन कोई राहत नहीं मिला। आखिरकार 4 अप्रैल 1979 को भुट्टो को फांसी पर चढ़ा दिया गया।
भुट्टो की बेटी की हुई सरेआम हत्या-
जुल्फिकार अली भुट्टो की बेटी बेनजीर भुट्टो पाकिस्तान की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं। वो 2 दिसंबर 1988 से 6 अगस्त 1990 तक और 19 अक्टूबर 1993 से 5 नवंबर 1996 तक दो बार देश की प्रधानमंत्री रहीं हैं। 27 दिसंबर 2007 को बेनजीर भुट्टो की सरेआम हत्या कर दी गई थी। वो उस दिन रावलपिंडी के लियाकत बाग में एक चुनावी रैली में भाषण खत्म कर लौट रही थीं। लियाकत बाग के गेट पर हजारों की संख्या में भुट्टो के समर्थक जुट गए थे। अपने समर्थकों का जवाब देने के लिए भुट्टो जैसे ही कार से बाहर निकलीं, वैसे ही तीन गोलियां चलीं और फिर जोर का धमाका हुआ। ये आत्मघाती हमला था, जिसे 15 साल के बिलाल ने अंजाम दिया था। इस हमले में बेनजीर भुट्टो की मौत हो गई। उनके अलावा और भी 25 लोग मारे गए। बेनजीर भुट्टो की हत्या के कुछ महीने बाद पांच संदिग्धों ने कबूल किया था कि उन्होंने पाकिस्तानी तालिबान और अल-कायदा के इशारे पर बिलाल की मदद की थी। हालांकि, बाद में सब अपने बयानों से मुकर गए थे। 2017 में पाकिस्तान की अदालत ने पांचों को बरी कर दिया, जबकि, दो पूर्व पुलिस अधिकारी- सऊद अजीज और खुर्रम शहजाद को 17 साल की कैद और 5 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।
नवाज को दिखा दिया देश से बाहर का रास्ता-
मुस्लिम लीग-नवाज के प्रमुख नवाज शरीफ पाकिस्तान के तीन बार प्रधानमंत्री रहे हैं और तीनों ही बार कार्यकाल पूरा नहीं कर सके।
पहली बार- 6 नवंबर 1990 से 18 अप्रैल 1993 तक, दूसरी बार- 17 फरवरी 1997 से 12 अक्टूबर 1999 तक और तीसरी बार- जून 2013 से 28 जुलाई 2017 तक वे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे।
...और इसलिए पूरा नहीं हो पाया कार्यकाल-
नवाज शरीफ का पहला कार्यकाल इसलिए पूरा नहीं हो सका था, क्योंकि राष्ट्रपति ने संसद ही भंग कर दी। दूसरी बार पीएम बने तो परवेज मुशर्रफ ने तख्तापलट कर दिया और तख्तापलट कर मुशर्रफ जब राष्ट्रपति बने तो उन्होंने नवाज शरीफ को निर्वासित कर दिया। 2007 में नवाज शरीफ पाकिस्तान वापस तो लौटे लेकिन उन्होंने निर्वासन पूरा करने के लिए एयरपोर्ट से ही वापस सऊदी भेज दिया गया। तीसरी बार नवाज शरीफ 2013 में पीएम बने, लेकिन 2016 में पनामा पेपर लीक में उनका नाम आ गया। जुलाई 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने नवाज शरीफ को आय से अधिक संपत्ति के मामले में दोषी पाया और 10 साल की सजा सुनाई। साथ ही उन पर आजीवन किसी भी सरकारी पद पर आने पर भी रोक लगा दी। 2019 में कोर्ट के आदेश पर इलाज के लिए नवाज शरीफ लंदन चले गए और तब से वह लंदन में ही हैं। हालांकि, पिछले साल उनके भाई शहबाज शरीफ के प्रधानमंत्री बनने के बाद से नवाज शरीफ के पाकिस्तान लौटने की चर्चाएं बढ़ गईं हैं। लेकिन अब पाकिस्तान में ऐसे हालात होते जा रहे हैं कि नवाज शरीफ का वापस आना आसान नहीं दिख रहा है।
जानें कब-कब प्रधानमंत्री हुए गिरफ्तार-
-जनवरी 1962: पाकिस्तान के पांचवे प्रधानमंत्री हुसैन शहीद सुहरावर्दी को देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के इल्जाम में गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, कहा जाता है कि उन्हें इसलिए गिरफ्तार किया गया था, क्योंकि उन्होंने जनरल अयूब खान के तख्तापलट का समर्थन करने से इनकार कर दिया था।
- सितंबर 1977: 1974 में अपने राजनीतिक विरोधी की हत्या की साजिश के मामले में जुल्फिकार अली भुट्टो को सितंबर 1977 में गिरफ्तार कर लिया गया था। उसके बाद इस मामले में भुट्टो को 4 अप्रैल 1979 को फांसी दे दी गई थी।
- अगस्त 1985: दो बार पाकिस्तान की प्रधानमंत्री रहीं बेनजीर भुट्टो को 1985 में हिरासत में लिया गया था। बाद में उन्हें 90 दिनों तक नजरबंद करके रखा गया था। ठीक एक साल बाद अगस्त 1986 में एक चुनावी रैली में सरकार विरोधी बयान देने के आरोप में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था।
- अप्रैल 1999: भ्रष्टाचार के मामले में बेनजीर भुट्टो को पांच साल कैद की सजा सुनाई गई। साथ ही उन पर भारी जुर्माना भी लगाया गया। इसके अलावा उनके पांच साल तक किसी भी सरकारी पद पर रहने पर भी रोक लगा दी गई।
- सितंबर 2007: जनरल परवेज मुशर्रफ की सरकार में 1999 में नवाज शरीफ को 10 साल के लिए निर्वासित कर दिया गया था। 2007 में नवाज शरीफ जब पाकिस्तान लौटे तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और निर्वासन के बाकी साल पूरे करने के लिए दोबारा सऊदी अरब भेज दिया गया।
- नवंबर 2007: परवेज मुशर्रफ की सरकार के खिलाफ रैली न निकाल सकें, इसलिए बेनजीर भुट्टो को करीब एक हफ्तेभर तक गिरफ्तार करके रखा गया था।
- जुलाई 2018: नवाज शरीफ और उनकी बेटी मरियम नवाज को भ्रष्टाचार के मामले में दोषी पाया गया और 10 साल जेल की सजा सुनाई गई।
- जुलाई 2019: शाहीद खाकान अब्बासी को एलएनजी के इम्पोर्ट कॉन्ट्रैक्ट में भ्रष्टाचार के आरोप में एनएबी ने गिरफ्तार कर लिया. फरवरी 2020 में उन्हें जमानत मिली।
- 9 मई 2023: भ्रष्टाचार के मामले में इमरान खान को एनएबी ने गिरफ्तार कर लिया। उन्हें अल-कादिर यूनिवर्सिटी ट्रस्ट मामले में गिरफ्तार किया गया।
यह है मामला जिसमें इमरान को किया गया है गिरफ्तार-
यह मामला एक विश्वविद्यालय से जुड़ा है। आरोप है कि इमरान खान ने बतौर प्रधानमंत्री इसे गैरकानूनी तरीके से करोड़ों रुपए की जमीन मुहैया कराई थी। इसका खुलासा पाकिस्तान के सबसे अमीर व्यक्ति मलिक रियाज ने किया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि इमरान और उनकी पत्नी ने उनकी गिरफ्तारी के नाम पर धमकाकर अरबों रुपये की जमीन अपने नाम करा ली। बाद में रियाज और उनकी बेटी का ऑडियो भी लीक हुआ था। इसमें इमरान की पत्नी बुशरा बीबी की ओर से पांच कैरेट के हीरे की अंगूठी मांगे जाने की बात सामने आई थी। इसी मामले में इमरान को अरेस्ट करने की बात कही जा रही है।