चीन से बढ़ते तनाव को देखते हुए अमेरिका यहां तैनात करेगा खतरनाक मिसाइलें

चीन और अमेरिका के बीच तनाव लगातार बढ़ता ही जा रहा है। इस बीच अमेरिका ने चीन पर तमाम तरह के प्रतिबन्ध भी लगा दिए हैं। जिसके बाद से दोनों देशों के बीच तल्खी और भी ज्यादा बढ़ गई है। दुनिया के दूसरे मुल्कों के साथ भी चीन के रिश्ते अच्छे नहीं हैं।

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Published on: 16 Aug 2020 1:39 PM GMT
चीन से बढ़ते तनाव को देखते हुए अमेरिका यहां तैनात करेगा खतरनाक मिसाइलें
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की फोटो

वॉशिंगटन: चीन और अमेरिका के बीच तनाव लगातार बढ़ता ही जा रहा है। इस बीच अमेरिका ने चीन पर तमाम तरह के प्रतिबन्ध भी लगा दिए हैं। जिसके बाद से दोनों देशों के बीच तल्खी और भी ज्यादा बढ़ गई है। दुनिया के दूसरे मुल्कों के साथ भी चीन के रिश्ते अच्छे नहीं हैं।

अब अमेरिका चीन के पररमाणु हथियारों को दुनिया के लिए एक बड़ा खतरा मान रहा और इससे निपटने के लिए अभी से रणनीति बनाने के काम में जुट गया है।

खबरें तो ऐसी भी सामने आई हैं कि अमेरिका अभी विकसित की जा रहीं मध्य-रेंज की मिसाइलें भी तैनात करने के बारे में सोच रहा है और एशिया में अपने सहयोगियों से इस पर जल्द ही बातचीत भी शुरू करने वाला है। यह जानकारी वॉशिंगटन के टॉप आर्म्स कंट्रोल समझौताकार मार्शल बिलिंगस्ली ने निकी एशियन रिव्यू दी है।

मिसाइल की प्रतीकात्मक फोटो मिसाइल की प्रतीकात्मक फोटो

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अमेरिका कर रहा है मिसाइल पर काम

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिका मिसाइलों को तैनात करने पर अभी से काम कर रहा है। स्पेशल प्रेजिडेंशल एन्वॉय मार्शल ने बताया कि वॉशिंगटन एशिया में अपने दोस्तों और सहयोगियों से चीन में परमाणु शक्ति बढ़ने से न सिर्फ अमेरिका बल्कि दूसरे देशों के लिए पैदा हुए खतरे और अपने अलायंस की रक्षा करने के लिए जिस क्षमता की जरूरत है, उस पर बात करना चाहता है।

मुख्य रूप से मार्शल ने मध्य रेंज, गैर-न्यूक्लियर, जमीन से लॉन्च होने वाली क्रूज मिसाइल की ओर इशारा किया जिस पर अमेरिका में काम चल रहा है।

इसलिए अहम है मिसाइलों की तैनाती

बता दें कि इस मिसाइल पर पिछले साल अगस्त में तब काम शुरू हो गया था जब अमेरिका ने रूस के साथ इंडरमीडिएट-रेंज न्यूक्लियर फोर्स (आईएनएफ ) ट्रीटी से अपने कदम वापस खींच लिए थे। इस समझौते से ऐसे हथियारों पर बैन लग रहा था।

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चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की फाइल फोटो चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की फाइल फोटो

एक हजार किमी. तक है मारक क्षमता

मार्शल ने बताया कि यह हथियार उसी सुरक्षा क्षमता का है जैसा जापान जैसे देशों को भविष्य में चाहिए होगा। इस मिसाइल की रेंज एक हजार किमी है। यानी गुआम बेस से दागे जाने पर भी यह चीन नहीं पहुंच सकेगी। इसका मतलब है कि इसे प्रतिक्रिया के तौर पर एशिया में तैनात करना होगा।

अमेरिकी सेना की अलग-अलग यूनिट हाइपरसॉनिक हथियार तैयार कर रही हैं। ये हथियार आवाज की गति से 5 गुना ज्यादा तेजी से ट्रैवल कर सकते हैं और पारंपरिक मिसाइल-डिफेंस सिस्टम के लिए खतरनाक हो सकते हैं। इनसे चीन के आसपास समुद्र में उसकी रणनीति को भेदा जा सकता है।

मार्शल ने कहा कि हाइपरसॉनिक हथियार एशिया-पैसिफिक में स्थिरता पैदा करने वाली रक्षा क्षमता है जिससे हमारे सहयोगी सुरक्षित रहेंगे और चीन जैसे सीमाएं बदलने की कोशिश करता है, सैन्यशक्ति से धमका नहीं सकेगा।

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