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चीन की दबंगई: अमेरिका को दी धमकी, अब इस पर ठोक रहा अपना दावा

दक्षिण चीन सागर में तनाव लगातार बढ़ता ही जा रहा है। चीन ने अमेरिका द्वारा बताये गए दावों को गैरकानूनी बताने के बाद तीखा जवाब देते हुए कहा कि सभी को ये समझ लेना चाहिए कि बीते 1000 सालों से दक्षिण चीन सागर पर उसी का कब्ज़ा है।

Newstrack
Published on: 15 July 2020 12:47 PM IST
चीन की दबंगई: अमेरिका को दी धमकी, अब इस पर ठोक रहा अपना दावा
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नई दिल्ली। दक्षिण चीन सागर में तनाव लगातार बढ़ता ही जा रहा है। चीन ने अमेरिका द्वारा बताये गए दावों को गैरकानूनी बताने के बाद तीखा जवाब देते हुए कहा कि सभी को ये समझ लेना चाहिए कि बीते 1000 सालों से दक्षिण चीन सागर पर उसी का कब्ज़ा है। आगे चीन ने कहा कि इस समुद्र पर उसकी संप्रभुता एक हजार साल से अधिक समय से है जो किसी भी अन्य पक्ष के किसी दावे से खारिज नहीं हो जाएगी। साथ ही चीन ने ये आरोप भी लगाया कि अमेरिका उसके और दक्षिण पूर्वी एशिया के अन्य देशों के बीच विवाद के बीज बोने की कोशिश लगातार कर रहा है।

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इतिहास और तथ्यों को नजरअंदाज किया

ऐसे में मंगलवार को अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने सोमवार को अहम नीतिगत भाषण देते हुए कहा कि दुनिया रणनीतिक रूप से अहम दक्षिण चीन सागर को चीन के समुद्री साम्राज्य के तौर इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं देगा।

अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो के बयान पर टिप्पणी करते हुए चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने बीजिंग में मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि अमेरिकी विदेश मंत्री ने दक्षिण चीन सागर से जुड़े इतिहास और तथ्यों को नजरअंदाज किया है।

चीनी मंत्री झाओ लिजियान ने तंज कसते हुए अमेरिका के उस दावे पर भी सवाल उठाया, जिसके अनुसार वर्ष 2009 में चीन अपने दावे के समाधान के लिए दक्षिण सागर में नौ- बिंदु रेखाओं के साथ आया था।

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इस पर संप्रभुता है।

चीनी मंत्री झाओ ने कहा, 'अमेरिका ने कहा कि चीन ने 2009 में दक्षिण चीन सागर में बिंदु रेखा की घोषणा की थी जो सच नहीं है। चीन का इतिहास के अनुसार, इस पर संप्रभुता है। हमारी दक्षिण चीन सागर के टापुओं और पानी पर गत एक हजार से अधिक साल पहले से प्रभावी अधिकार है।'

आगे उन्होंने कहा, 'वर्ष 1948 से चीन आधिकारिक रूप से बिंदु रेखा से सीमा को रेखांकित करने वाला मानचित्र प्रकाशित करता है और क्षेत्र के किसी भी देश ने कोई सवाल नहीं उठाया।' आगे चीनी मंत्री झाओ ने कहा कि चीन का कानूनी और ऐतिहासिक अधिकार है।

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