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भारत और अमेरिका के बाद अब इस बड़े मुल्क ने चीन के खिलाफ उठाया ये कठोर कदम

भारत के साथ सीमा विवाद को लेकर टकराव के बाद चीन के लिए दिनों-दिन मुसीबतें बढ़ती ही जा रही हैं। चीन अब अपने फैलाए जाल में ही फंसता जा रहा है। भारत और अमेरिका के बाद अब ब्रिटेन ने भी चीन की घेराबंदी शुरू कर दी है।

Newstrack
Published on: 15 July 2020 12:06 PM IST
भारत और अमेरिका के बाद अब इस बड़े मुल्क ने चीन के खिलाफ उठाया ये कठोर कदम
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वाशिंगटन: भारत के साथ सीमा विवाद को लेकर टकराव के बाद चीन के लिए दिनों-दिन मुसीबतें बढ़ती ही जा रही हैं। चीन अब अपने फैलाए जाल में ही फंसता जा रहा है।

भारत और अमेरिका के बाद अब ब्रिटेन ने भी चीन की घेराबंदी शुरू कर दी है। ब्रिटेन ने चीन पर शिकंजा कसते हुए चीनी कंपनी हुवावे को 5जी नेटवर्क बनाने को लेकर बैन कर दिया है।

चीनी कंपनी हुवावे पर डेटा चोरी और गुप्त सूचनाओं को लीक करने का आरोप है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की अध्यक्षता में हुई नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल की मीटिंग के बाद फैसला लिया गया कि देश में 5जी नेटवर्क के निर्माण में चीनी कंपनी की भागीदारी को खत्म किया जाए।

ब्रिटिश सरकार ने टेलिकॉम कंपनियों को आदेश दिया है कि वे 2027 तक 5जी नेटवर्क से हुवावे के सभी उपकरणों को हटा दें। इससे पहले अमेरिका ने भी हुवावे के सभी उपकरणों को प्रतिबंधित किया था।

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अमेरिका ने चीन को बेनकाब करने के लिए किया ये बड़ा काम

उधर कोरोना वायरस को लेकर चीन की तरफ से बोले गए झूठ से भी जल्द ही पर्दा उठने ही वाला है। क्योंकि उसकी पोल खोलने के लिए उसी के कुछ लोग अमेरिका के साथ जा खड़े हुए हैं।

अभी तक जो जानकारी निकलकर सामने आ रही है, उसके अनुसार दुनिया भर में फैले कोरोना वायरस के प्रसार के लिए जिम्मेदार माने जा रहे वुहान लैब के एक्सपर्ट चीन की काली करतूत से उसको बेनकाब करने के लिए अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की सहायता कर रहे हैं।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मुख्य रणनीतिज्ञ स्टीव बैनन ने बताया कि चीन के वुहान की लैब के एक्सपर्ट अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के साथ काम काम कर रहे हैं।

उन्होंने यह भी कहा है कि इनकी मदद से एजेंसियां पेइचिंग के खिलाफ इस बात का केस तैयार कर रही हैं कि कोरोना वायरस की महामारी वुहान की वायरॉलजी लैब से लीक हुई थी और उसे छिपाना हत्या के बराबर है।

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वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने कोरोना की बात छिपाई

बैनन ने आगे कहा कि इससे पहले हॉन्ग-कॉन्ग की एक एक्सपर्ट भी इस बात का आरोप लगाकर वहां से गायब हो चुकी हैं कि कोरोना वायरस के बारे में चीन और वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन को पहले पता चल गया था लेकिन उन्होंने इसके बारे में दुनिया को कुछ भी नहीं बताया।

बैनन अमेरिका की नेशनल सिक्यॉरिटी काउंसिल में शामिल रह चुके हैं। उन्होंने संभावना जताई है कि खुफिया एजेंसियों के पास इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस है और लैब में जाने वालों की जानकारी है जिससे अहम सबूत मिले हैं।

उन्होंने दावा किया है कि डिफेक्टर्स अमेरिका, यूरोप और ब्रिटेन की खुफिया एजेंसियों से बातचीत कर रहे हैं।

बैनन ने ये भी कहा कि जासूस यह केस तैयार कर रहे हैं कि चीन के लैब में SARS-जैसे वायरसों की वैक्सीन और दवा तैयार करने के प्रॉय के दौरान वहां से वायरस लीक होकर पूरी दुनिया में फ़ैल गया।

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नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल की मीटिंग में फैसला

ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की अध्यक्षता में हुई नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल की मीटिंग के बाद फैसला लिया गया कि देश में 5जी नेटवर्क के निर्माण में चीनी कंपनी की भागीदारी को खत्म किया जाएगा।

ब्रिटिश सरकार ने यह फैसला नेशनल साइबर सिक्योरिटी काउंसिल के रिपोर्ट की समीक्षा करने के बाद लिया। चीनी कंपनी हुवावे पर डेटा चोरी और गुप्त सूचनाओं को लीक करने का आरोप है।



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