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ताइवान पर हमले की फिराक में चीन, अमेरिका ने उठाया ये बड़ा कदम

अमेरिका और चीन के बीच टकराव चरम पर है। दुश्मनी इतनी ज्यादा बढ़ गई है दोनों देश एक दूसरे के खिलाफ खुलकर सामने आ गये हैं। चीनी सैनिकों और जंगी जहाजों का जमावड़ा ताइवान की सीमा पर बढ़ता ही जा रहा है।

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Published on: 16 Aug 2020 5:11 AM GMT
ताइवान पर हमले की फिराक में चीन, अमेरिका ने उठाया ये बड़ा कदम
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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की फ़ाइल फोटो

वाशिंगटन: अमेरिका और चीन के बीच टकराव चरम पर है। दुश्मनी इतनी ज्यादा बढ़ गई है दोनों देश एक दूसरे के खिलाफ खुलकर सामने आ गये हैं। चीनी सैनिकों और जंगी जहाजों का जमावड़ा ताइवान की सीमा पर बढ़ता ही जा रहा है।

ताइवान पर चीन के हमले की आशंका के बीच अमेरिका ने ताकतवर युद्धपोत और एयरक्राफ्ट कैरियर यूएसएस रोनाल्ड रीगन को एक बार फिर साउथ चाइना सी में तैनात कर दिया है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक चीनी सेना ताइवान के नियंत्रण वाले द्वीपों पर कब्जे के लिए हमला बोल सकता है। इसलिए चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी हैनान द्वीप पर सैन्य प्रशिक्षण अभ्यास करने की योजना बना रही है। पीएलए के दक्षिणी थिएटर कमांड को ये सैन्य अभ्यास आयोजित करने के निर्देश दिए गए हैं।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की फाइल फोटो

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उधर अमेरिकी सेना साउथ चाइना सी में युद्धाभ्यास कर रही है जबकि इसी क्षेत्र में चीनी नौसैनिक भी सैन्य अभ्यास कर रहे हैं। ऐसे में इस टकराव के और बढ़ने की आशंका है।

साउथ चाइना सी में युद्धाभ्यास को लेकर अमेरिका एयरक्राफ्ट करियर के एयर ऑपरेशन अधिकारी जोशुआ फगन ने कहा है कि इस क्षेत्र में हर देश को उड़ान भरने, समुद्री इलाके से गुजरने और अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक संचालन में मदद करना है।

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चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की फाइल फोटो

चीन का इन देशों से बढ़ा तनाव

गौरतलब है है कि साउथ चाइना सी में चीन का जापान, ताइवान, इंडोनेशिया, फिलीपींस समेत कई देशों से टकराव बढ़ गया है और चीन इस पूरे क्षेत्र पर कब्जे के लिए नजर गडाये हुए है। इसलिए चीन ने ताइवान सीमा पर बड़ी संख्या में मरीन कमांडो, सैन्य हेलिकॉप्टर और लैंडिंग शिप्स होवरक्राफ्ट को डेप्यूट किया है।

गौर करने वाली बात ये कि चीन ताइवान पर साल 1949 के बाद से ही अपना हक जताता आया है। माओत्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्ट पार्टी ने चियांग काई शेक की सरकार गिरा दी थी।

इसके बाद चियांग ने ताइवान द्वीप पर जाकर अपनी सरकार का गठन कर लिया था और उसे रिपब्लिक ऑफ चाइना का नाम दे दिया था। उस वक्त चीन की नौ सेना ज्यादा मजबूत नहीं थी इसलिए वो समुद्र पार कर उस द्वीप पर नहीं जा सके थे।

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