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ट्रंप का खास ‘बंकर’, जिसका न्यूक्लियर बम भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता, सुविधाएं ऐसी...

अमेरिका में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। ऐसा हम नहीं बल्कि वहां से आ रही खबरें ये बातें कह रही हैं। दरअसल अमेरिका में एक अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस हिरासत में मौत के बाद से लोग सड़कों पर आ गये है।

Aditya Mishra
Published on: 1 Jun 2020 1:32 PM IST
ट्रंप का खास ‘बंकर’, जिसका न्यूक्लियर बम भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता, सुविधाएं ऐसी...
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वाशिंगटन: अमेरिका में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। ऐसा हम नहीं बल्कि वहां से आ रही खबरें ये बातें कह रही हैं। दरअसल अमेरिका में एक अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस हिरासत में मौत के बाद से लोग सड़कों पर आ गये है।

हिंसा की आग में वहां के 30 शहर झुलस रहे हैं। रविवार को हिंसक प्रदर्शनों की आग की लपटें राष्ट्रपति निवास वाइट हाउस तक पहुंच गई। बड़ी संख्यां में प्रदर्शनकारी वाइट हाउस के सामने जमा हुए तो राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की जान का खतरा महसूस हुआ। फौरन ट्रंप बिल्डिंग के नीचे बने बंकर में ले जाया गया। हालांकि कुछ समय बाद, उन्हें वहां से बाहर निकाल लिया गया।

बताया जाता है कि ये बंकर किसी भी इमरजेंसी के वक्त खतरे से निपटने के लिए बना है ताकि कोई अप्रिय घटना का अंदेशा होने पर राष्ट्रपति और उनके पूरे परिवार को सेफ रखा जा सके।

अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि कैसा है ये ये बंकर, इसके अंदर किस तरह की सुविधाएं हैं?

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132 कमरे हैं, 35 बाथरूम हैं और भी बहुत कुछ

आपको बता दें कि वाइट हाउस के अंदर बने बंकर में 132 कमरे हैं, 35 बाथरूम हैं और 6 फ्लोर हैं। इसके अंदर 3 लिफ्ट भी हैं।

कमरों की पहचान के लिए उन्हें अलग-अलग रंगों से रंगा गया है।

ताकि उनके रंगों के नाम से जाना जा सके। जैसे ब्लू रूम या वाइट रूम। सेंट्रल हॉल से सारे कमरे जुड़े हुए हैं। वैसे प्रेसिडेंट हाउस को वाइट हाउस नाम प्रेसिडेंट थियोडोर रुजवेल्ट ने साल 1901 में दिया था, जिसके बाद से यही नाम चल निकला।

बंकर के अंदर का हिस्सा इस तरह से तैयार किया गया है कि वो 18वीं सदी में आयरलैंड के किसी आलीशान बंगले जैसा नजर आता है।

बड़े, खुले हुए कमरों में सजावट भी सादी लेकिन काफी भव्य है।

साल 1791 में प्रेसिडेंट जॉर्ज वॉशिंगटन के वास्तुविद जेम्स हॉबेन ने वाइट हाउस का डिजाइन तैयार किया था, जिसे बनने में 8 साल लग गए। 8 सालों बाद साल 1800 में प्रेसिडेंट जॉन एडम्स यहां पहली बार आए।

साल 1812 में लड़ाई के दौरान प्रेसिडेंट हाउस को अंग्रेजों ने आग लगा दी, जिसके बाद जेम्स हॉबेन ने दोबारा इसपर काम किया। इसके बाद से अब तक इसमें काफी चेंजेज किये गये हैं।

1941 में तैयार किया गया था बंकर

यहां बता दें कि साल 1941 के दिसंबर में पर्ल हार्बर अटैक के तुरंत बाद इसे तैयार कर लिया गया था। उस दौरान फ्रेंकलिन रूजवेल्ट राष्ट्रपति थे। सुरक्षा पर खतरे को देखते हुए सुरक्षा अधिकारियों ने उन्हें वाइट हाउस छोड़कर कहीं और जाने के लिए कहा लेकिन राष्ट्रपति ने इससे इनकार कर दिया और कहा कि इसकी बजाए वाइट हाउस के भीतर ही गुप्त जगह तैयार की जाए।

अब बात करते हैं यहां बने सीक्रेट बंकर की। इसका निर्माण लगातार होती रही छिटपुट लड़ाइयों को ध्यान में रखकर किया गया था। वैसे इसके निर्माण के साल की खास जानकारी नहीं है।

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गोली और बम का हमला झेल सकती है

ईस्ट विंग में ऐसे बंकर की तैयारी शुरू हुई जिसपर बम, गोलियों किसी का भी असर न हो सके और न ही जहां तक किसी की पहुंच हो।

जब बंकर बन रहा था, तब लगभग रोज ही इसे देखने के लिए रूजवेल्ट आया करते थे।

उनके अलावा किसी को भी यहां आने की इजाजत नहीं थी। रूजवेल्ट के काफी बाद में यूएस के 33वें प्रेसिडेंट Harry S. Truman ने इस खुफिया व्यवस्था में और इजाफा किया।

माना जाता है कि ये इतना मजबूत है कि न्यूक्लियर बम के गिरने पर भी इसे कुछ नहीं होगा। ईस्ट विंग में लंबे-चौड़े लॉन के ठीक नीचे जमीन के काफी भीतर ये बंकर बना हुआ है।

इस खुफिया सुविधा के बारे में अमेरिकी पत्रकार Garrett Graff ने एक किताब में लिखा है। Raven Rock नाम की इस किताब में बताया गया है कि बंकर 600 स्कवैयर फीट में फैला हुआ है।

इसमें लिविंग रूम के अलावा कमांड रूम, टीवी और कॉफ्रेंस रूम भी है, जहां 16 लोग बैठ सकते हैं। 9/11 हमले के बाद किसी और बड़े हमले की आशंका में बंकर में काफी सारे आला अधिकारियों ने शरण ली थी।

इसमें प्रेसिडेंट बुश के अलावा यूएस के तत्कालीन वाइस प्रेसिडेंट Dick Cheney भी थे। फर्स्ट लेडी लौरा बुश भी वहां थीं। बाद में लौरा ने अपनी किताब Spoken From The Heart में 9/11 के बारे में बताते हुए खुफिया बंकर में छिपने का भी जिक्र किया था।

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Aditya Mishra

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